Iron deficiency anemia during pregnancy: मां बनना किसी भी महिला के लिए एक खूबसूरत एहसास होता है।गर्भावस्थाजन्म के बाद के 9 महीने सबसे महत्वपूर्ण होते हैं। यह अवधि बहुत ही संवेदनशील और कुछ मामलों में स्वास्थ्य की दृष्टि से कठिन होती है। इस दौरान महिलाओं की सेहत में कई तरह के उतार-चढ़ाव आते हैं। इस दौरान महिला को अपने स्वास्थ्य का अधिक और बेहतर तरीके से ध्यान रखने की सलाह दी जाती है। प्रेग्नेंसी के बाद महिला के शरीर में कई तरह के बदलाव आते हैं।

ऐसे में डॉक्टर शरीर में पोषक तत्वों की कमी को दूर करने के लिए कुछ दवाओं और पोषक तत्वों की खुराक लेने की सलाह देते हैं। इसमें आयरन भी होता है। हमारे समाज में प्रेग्नेंसी को लेकर कई मिथ हैं। कई महिलाओं को यह गलतफहमी होती है कि गर्भावस्था के दौरान आयरन (Low iron in pregnancy) लेने से बच्चे के रंग पर असर पड़ता है। आज इस लेख में हम जानेंगे कि इस दावे में कितनी सच्चाई है और आयरन शरीर को कैसे प्रभावित करता है।

गर्भावस्था के दौरान आयरन क्यों दिया जाता है?

पुणे के सहेधरी स्पेशलिटी हॉस्पिटल की आईवीएफ विशेषज्ञ डॉ. सुप्रिया पुराणिक के मुताबिक आयरन न केवल गर्भावस्था के दौरान बल्कि सामान्य रूप से कुछ शारीरिक कार्यों के लिए भी आवश्यक होता है। यह ऑक्सीजन ले जाने वाली लाल रक्त कोशिकाओं में मौजूद एक प्रोटीन है। आयरन हीमोग्लोबिन के निर्माण के लिए जिम्मेदार होता है। यह ऑक्सीजन ले जाने वाली लाल रक्त कोशिकाओं में मौजूद एक प्रोटीन है।

गर्भावस्था के दौरान आयरन की कमी से एनीमिया (Anemia in Pregnancy) होने का खतरा होता है। इसे आमतौर पर एनीमिया कहा जाता है। इसलिए डॉक्टर गर्भावस्था के दौरान आयरन कैप्सूल लेने की सलाह देते हैं। इससे मां का हीमोग्लोबिन लेवल अच्छा रहता है और बच्चे को भी सही ऑक्सीजन मिलती है।

आयरन से बच्चा काला होता है?

मशहूर आईवीएफ विशेषज्ञ डॉ. सुप्रिया पुराणिक ने बताया है कि गर्भावस्था के दौरान आयरन की गोलियां लेने से बच्चा काला नहीं पड़ता है। इन गोलियों का सेवन डॉक्टर की सलाह के अनुसार ही करना चाहिए। उन्होंने यह भी कहा कि शरीर में आयरन की कमी होने पर समय से पहले प्रसव होने की संभावना रहती है।

आयरन की कमी से बच्चे को नुकसान होता है

डॉक्टर पुराणिक के अनुसार गर्भावस्था के दौरान मां के शरीर में आयरन (Anemia During Pregnancy) की उचित मात्रा बहुत जरूरी होती है। मां के शरीर में आयरन की कमी बच्चे के मानसिक और शारीरिक स्वास्थ्य के विकास को प्रभावित कर सकती है। रिपोर्ट के मुताबिक भारत में महिलाओं का हीमोग्लोबिन शुरुआती गर्भावस्था में कम होता है।

रेड ब्लड सेल्स के लिए आयरन जरूरी

डॉक्टर पुराणिक ने बताया कि गर्भावस्था के दौरान शरीर में बहुत अधिक खून का निर्माण होता है, इसे खून बनाने के लिए लाल रक्त कोशिकाओं की आवश्यकता होती है; जो आयरन (Anaemia and pregnancy) की मदद से बनती है। सुरक्षित प्रसव के लिए अच्छे प्रमाण में हीमोग्लोबिन की आवश्यकता होती है। सिजेरियन डिलीवरी हो या नॉर्मल डिलीवरी, उस दौरान काफी खून बह जाता है। यदि ऐसे समय में आपका हीमोग्लोबिन का स्तर पहले से ही कम है, तो प्रसव जोखिम भरा और घातक हो सकता है।