रणनीतिकार प्रशांत किशोर ने साल 2017 के उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनाव के दौरान कांग्रेस के लिए प्रचार अभियान की रणनीति तैयार की थी। तमाम कोशिशों के बाद भी कांग्रेस को कोई फायदा नहीं हुआ था और पार्टी की करारी हार हुई थी। प्रशांत किशोर से जब इस बारे में पूछा गया था तो उन्होंने कहा था कि मना करने के बाद भी कांग्रेस ने समाजवादी पार्टी के साथ गठबंधन किया था और यही उसकी हार का कारण भी बन गई। हाल ही में गोवा यात्रा के दौरान प्रशांत किशोर ने राहुल गांधी और कांग्रेस पर भी निशाना साधा था।

प्रशांत किशोर ने टिप्पणी करते हुए कहा था, ‘इस झांसे में बिल्कुल नहीं आना चाहिए कि लोग नाराज़ हो रहे हैं। वो मोदी को सत्ता से बाहर कर देंगे। आपको कई दशकों तक बीजेपी से लड़ना होगा। ये समस्या राहुल गांधी के साथ है कि उन्हें लगता है कि ये बस कुछ समय की बात है और लोग खुद ही नरेंद्र मोदी को सत्ता से बाहर कर देंगे।’ इसके बाद कांग्रेस ने इस टिप्पणी पर तंज कसते हुए कहा था, ‘एक कंसल्टेंट की कोई विचारधारा नहीं होती है।’ एक अन्य इंटरव्यू में वरिष्ठ पत्रकार बरखा दत्त से बात करते हुए प्रशांत किशोर ने कहा था, ‘राहुल गांधी को सच में बहुत मेहनत करनी होगी क्योंकि कांग्रेस 1985 के बाद से ही अपनी जमीन खोती जा रही है।’

राहुल से पहली मुलाकात: ‘द लल्लनटॉप’ के इंटरव्यू में प्रशांत किशोर की राहुल गांधी के साथ पहली मुलाकात के बारे में पूछा गया था तो उन्होंने बताया था, ‘मै राहुल जी से पहले बार साल 2015 में मुख्यमंत्री नीतीश कुमार जी के शपथ ग्रहण समारोह में मिला था। वहां कई अन्य नेता भी शामिल थे। यहां कोई बहुत लंबी बात नहीं हुई थी। उन्होंने उत्तर प्रदेश को लेकर मुझसे कुछ सलाह मांगी थी और साथ काम करने के लिए भी बोला था। लेकिन मैं ऐसा कुछ भी करने से पहले अपना साथियों से चर्चा करना चाहता था। मैंने ऐसा किया भी था और उसके बाद ही कोई फैसला लिया था।’

प्रियंका को बनना चाहते थे चेहरा: यूपी चुनाव में हुई गलतियों को गिनाते हुए प्रशांत किशोर ने कहा था, ‘हमने कांग्रेस के सामने उत्तर प्रदेश को लेकर कई मुद्दे रखे थे। इस पर पहले कांग्रेस के नेताओं को आपत्ति थी। हमने कहा था कि प्रियंका गांधी को उत्तर प्रदेश में कांग्रेस का चेहरा बनाया जाना चाहिए। ऐसा नहीं हो पाया। इसके अलावा दूसरी आपत्ति सोनिया गांधी के रोड शो को लेकर थी। बाद में रोड शो हुआ भी और इसकी शुरुआत भी पीएम मोदी के संसदीय क्षेत्र वाराणसी से की गई थी।’