मातृत्व एक महिला के जीवन का सबसे सुखद एहसास होता है। एक बार प्रेग्नेंट होने के बाद महिला को डिलीवरी तक अपना खास ख्याल रखना होता है। खाने-पीने से लेकर हर चीज का ध्यान रखना पड़ता है। गर्भवती महिलाओं को आयरन, कैल्शियम और पोषक तत्वों से युक्त खाद्य पदार्थों का सेवन करने की सलाह दी जाती है। इस दौरान कुछ चीजें न खाने की भी सलाह दी जाती है। क्योंकि ये चीजें गर्भपात का कारण बन सकती हैं।

गर्भावस्था में पपीता का सेवन

गर्भावस्था के दौरान पपीते का सेवन नहीं करने की सलाह दी जाती है। क्योंकि पपीता एक गर्म फल है। इससे भ्रूण की बढ़ती ताकत में जन्म दोष हो सकता है। इसलिए पपीते से परहेज करना चाहिए। बैंगलोर के आयुर्वेदिक चिकित्सक डॉक्टर ब्रह्मानन्द नायक के मुताबिक पपीता फल में पकने से पहले प्रोटियोलिटिक एंजाइम पपैन और काइमोपैपेन होते हैं, लेकिन वे पके फल में मौजूद नहीं होते हैं। कई गर्भवती महिलाएं कब्ज और अपच को दूर करने और नियंत्रित करने के लिए अपने आहार में पका हुआ पपीता शामिल करती हैं। हालांकि, कच्चे पपीते में लेटेक्स और पपैन होते हैं जो गर्भावस्था में संभावित नुकसान पहुंचा सकते हैं। कच्चे पपीते में मौजूद एंजाइम भ्रूण के विकास में बाधा डाल सकते हैं, गर्भपात को ट्रिगर कर सकते हैं और गर्भावस्था में जटिलताएं पैदा कर सकते हैं।

पपीता गर्भपात का कारण बन सकता है पपीता एक शक्तिशाली इमेनगॉग (Powerful Emmenagogue) है। इसका मतलब है कि यह मासिक धर्म प्रवाह को उत्तेजित कर सकता है या बढ़ा सकता है। गर्भावस्था के शुरुआती चरणों के दौरान, प्लेसेंटा का गठन किया जा रहा है। और पपीते में मौजूद लेटेक्स इसके गठन को बाधित कर सकता है और गर्भपात का कारण बन सकता है। अध्ययनों का कहना है कि पपीता वासकुलर प्रेशर सकता है जिससे प्लेसेंटा में आंतरिक रक्तस्राव या रक्तस्राव हो सकता है। प्लेसेंटल ब्लीडिंग या गर्भावस्था में रक्तस्राव से संबंधित जटिलताओं का कारण बनता है। यह कुछ मामलों में गर्भपात का कारण भी बन सकता है।

पपीता जल्दी लेबर को ट्रिगर कर सकता है

डॉक्टर ब्रह्मानन्द नायक के मुताबिक कच्चे या अध-पके पपीते में मौजूद पपैन प्रोस्टाग्लैंडीन और ऑक्सीटोसिन हार्मोन को ट्रिगर कर सकता है। ये हार्मोन गर्भाशय के संकुचन को प्रेरित करने के लिए रासायनिक संकेतों के रूप में कार्य करते हैं जो समय से पहले प्रसव का कारण बन सकते हैं।

मछली और अंडे का सेवन

मछली खाना भी सेहत के लिए अच्छा होता है। इन्हें खाने से विटामिन डी, प्रोटीन, ओमेगा -3 फैटी एसिड और डीएचए जैसे आवश्यक पोषक तत्व मिलते हैं, लेकिन प्रदूषित पानी में रहने और अन्य जलीय जीवन खाने से अक्सर पारा मछली के शरीर में प्रवेश कर सकता है। यह पारा मछली की मांसपेशियों में बस जाता है और मछली के पकने पर भी नहीं छूटता। इससे गर्भपात हो सकता है। इसलिए गर्भवती महिलाओं को मछली खाने से बचना चाहिए। गर्भावस्था के दौरान कच्चे अंडे खाने से बचें। इससे साल्मोनेला संक्रमण का खतरा बढ़ जाता है। इससे जी मिचलाना, पेट दर्द, डायरिया, उल्टी जैसी समस्याएं हो सकती हैं।

कैलोरी वाले खाद्य पदार्थों का सेवन

अधिक कैलोरी वाले खाद्य पदार्थ खाने से वजन बढ़ता है। साथ ही गर्भावस्था में जटिलताएं होने की भी संभावना रहती है। इससे गर्भपात हो सकता है। महिलाओं को अधपका मांस, समुद्री भोजन, प्रसंस्कृत मांस, तला हुआ और बेक्ड मांस खाने से बचना चाहिए।