अक्सर हम इस बात को लकेर कंफ्यूज रहते हैं कि हमारे लिए खाने में कौन सा तेल बेहतर रहेगा। जब भी इस बात को लेकर चर्चा होती है तो सबकी अपनी-अपनी अलग राय होती है। हमारे लिए कौन सा तेल बेहतर है, इसका फैसला करना तब और मुश्किल हो जाता है जब दिल से संबंधित बीमारी हो। हार्ट के मरीजों के लिए कोलेस्ट्रॉल का बढ़ना सबसे ज्यादा जोखिम है और अगर तेल में फैट की मात्रा ज्यादा है तो कोलेस्ट्रॉल का बढ़ना तय है, इसलिए हम और ज्यादा कंफ्यूज हो जाते हैं। लेकिन आपको घबराने की जरूरत नहीं। यहां एक्सपर्ट की राय के मुताबिक हम बता रहे हैं कि हार्ट के मरीज के लिए कौन सा तेल सही है।

सरसों तेल बनाम जैतून का तेल:

आधुनिक जीवनशैली में ऑलिव यानी जैतून के तेल का चलन बढ़ा है। अधिकांश मिलेनियल युवा फिटनेस को लेकर बेहद चूजी हो गए हैं। उनकी डाइट में क्या होना चाहिए क्या नहीं, इसका निर्णय वो इंटरनेशनल मानदंडों को देखते हुए लेते हैं। यही कारण है ऑलिव ऑयल को युवा ज्यादा पसंद करते हैं। अगर इसमें इंग्रेडिएंट की बात करें तो यह डाइट्री फैट से भरपूर होते हैं जो कार्डियोवास्कुलर हेल्थ के लिए बेहतर माने जाते हैं। इसके अलावा इससे वजन बढ़ने का जोखिम नहीं होता है। यही कारण है कि युवा अपने घरों में इस तेल से खाना पकाने के लिए ज्यादा जोर देते हैं।

पर जब बात सरसों तेल की आती है तो भारत के अधिकांश लोगों के घरों में इसी से खाना पकाया जाता है। इस तेल का स्वाद भारतीय लोगों को काफी भाता है। यह आयुर्वेद से जुड़ा हुआ है। सदियों से सरसों तेल का इस्तेमाल न सिर्फ खाना बनाने में बल्कि कई परेशानियों में भी इस्तेमाल किया जाता है। कई चीजें तो ऐसी हैं जिसे सरसों तेल के बिना बनाया ही नहीं जा सकता है।

बेहतर कौन सा तेल हैः

कई रिसर्च में इस बात को साबित किया गया है कि सरसों के तेल में प्राकृतिक एंटीऑक्सीडेंट्स और एसेंशियल फैटी एसिड होते हैं। हेल्दी हार्ट के लिए दोनों चीजों की बेहद जरूरत होती है। इसमें मोनोसैचुरेटेड फैटी एसिड, पोलीअनसैचुरेटेड फैट और कई अन्य तरह के अच्छे फैट होते हैं जो पूरे शरीर के लिए फायदेमंद है।

इसके अलावा इसमें गुड कोलेस्ट्रॉल की पर्याप्त मात्रा होती है और बैड कोलेस्ट्रॉल को खून से निकालने की क्षमता होती है। इतना ही नहीं दिल के लिए सबसे अच्छी बात इस तेल में यह है कि इसमें ओमेगा-3 फैटी एसिड और ओमेगा 6 फैटी एसिड मौजूद होते है जो बहुत कम चीजों में पाया जाता है और यह दिल सहित शरीर के कई कामों के लिए जरूरी है। इसमें फैटी एसिड का अनुपात भी संतुलित रहता है। अब इतने सारे गुणों के कारण सरसों तेल दिल के मरीजों के लिए उत्तम तो होगा ही। कई अध्ययनों में भी यह बात कही गई है कि सरसों का तेल दिल के मरीजों के लिए बेहतर होता है।

रिफाइंड तेलः

रिफाइंड तेल को लेकर कई चीजें स्पष्ट नहीं है। रिफाइंड तेल को बहुत उच्च तापमान पर बनाया जाता है। इसलिए माना जाता है कि इसमें से कई आवश्यक तत्व खतम हो जाते हैं। कुछ रिसर्च में कहा गया है कि इस तेल के सेवन से ट्रांस फैट की मात्रा बढ़ जाती है जो LDLयानी बैड कोलेस्ट्रॉल की मात्रा शरीर में बढ़ा देती है।

बैड कोलेस्ट्रॉल हार्ट अटैक के जोखिम को बढ़ा देता है। इसके अलावा इसमें ओमेगा-3 और ओमेगा 6 फैटी एसिड का संतुलन बहुत बिगड़ा रहता है जिसके कारण पेट पर इसका बहुत बुरा असर होता है। हालांकि फूड सेफ्टी एंड स्टैंडर्ड ऑथोरिटी ऑफ इंडिया ने 2019 में विवाद के बीच कहा था कि रिफाइंड तेल का शरीर पर कोई बुरा परिणाम देखने को नहीं मिला है लेकिन इसकी सीमित मात्रा में सेवन की सलाह दी गई थी।