उत्तर प्रदेश के पूर्व मुख्यंमत्री अखिलेश यादव ने चुनाव की तैयारियां शुरू कर दी हैं। अखिलेश ने साफ कर दिया है कि इस बार उनकी पार्टी छोटे दलों के साथ गठबंधन करेगी। आज भले ही अखिलेश यूपी की सियासत के मुख्य चेहरा हैं, लेकिन कभी उनके पिता मुलामय सिंह यादव उन्हें समाजवादी पार्टी का टिकट तक नहीं देना चाहते थे। इस बात का खुलासा खुद अमर सिंह ने एक इंटरव्यू के दौरान किया था।

अमर सिंह के कहने पर हुए थे तैयार: अमर सिंह ने ‘आजतक’ से बातचीत में कहा था, ‘मैंने ही अखिलेश यादव का विवाह करवाया था। इसके बाद अखिलेश यादव को पहला चुनाव भी मैंने ही लड़वाया था। मुलायम सिंह यादव बिल्कुल भी अखिलेश के चुनाव लड़ने के पक्ष में नहीं थे और उसे टिकट ही नहीं देना चाहते थे। हालांकि जनेश्वर मिश्र हमारे समर्थन में कभी नहीं रहे, लेकिन जब हमने अखिलेश को पहला चुनाव जबरदस्ती लड़वाया तो उन्होंने हमारा समर्थन किया था। यहीं से अखिलेश यादव के चुनावी सफर की शुरुआत हुई थी।’

डिंपल को भी नहीं लड़वाना चाहते थे चुनाव: डिंपल यादव ने साल 2009 में फिरोजाबाद से उप-चुनाव लड़कर अपने सियासी सफर की शुरुआत की थी। मुलायम से इस बारे में सवाल पूछा गया था तो उन्होंने कहा था, ‘हमारे परिवार में महिलाएं कभी चुनाव नहीं लड़ती हैं। वो तो हमारी पार्टी के कुछ वरिष्ठ साथियों ने जबरदस्ती डिंपल को टिकट दिलवा दिया। ये सब हमारी इच्छा के विरुद्ध किया गया था। अब लड़वा दिया तो लड़वा दिया, अब आगे तो नहीं लड़ने देंगे।’

बता दें, अखिलेश यादव ने साल 2000 में कन्नौज से उप-चुनाव लड़ा था। इन चुनावों में अखिलेश यादव की ऐतिहासिक जीत हुई थी और वह पहली बार लोकसभा पहुंचे थे। इसके बाद 2004 को लोकसभा चुनाव में वह एक बार फिर मैदान में उतरे थे और जीत हासिल की थी।

2012 में उत्तर प्रदेश का मुख्यमंत्री बनने के बाद अखिलेश यादव ने कन्नौज लोकसभा सीट छोड़ दी थी। इसी सीट से फिर उनकी पत्नी डिंपल यादव उप-चुनाव में उतरी थीं और जीत हासिल कर लोकसभा पहुंची थीं। हालांकि 2019 के चुनाव में डिंपल यादव की कन्नौज से करारी हार हुई थी। बीजेपी के सुब्रत पाठक ने इसमें जीत हासिल की थी।