उत्तर प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री और समाजवादी पार्टी के संरक्षक मुलायम सिंह यादव के कई राजनीतिक किस्से मशहूर हैं। मुलायम सिंह ने छात्र नेता के रूप में अपने जीवन का सबसे पहला चुनाव लड़ा था। इसके बाद वह उत्तर प्रदेश के जसवंतनगर से विधायक बने और लगातार तीन बार विधायक रहने के बाद उन्हें पहली बार यूपी की जनता पार्टी की सरकार में मंत्री पद मिला। साल 1977 में उत्तर प्रदेश में हुए चुनाव के बाद सूबे में जनता पार्टी की सरकार बनी और मुख्यमंत्री पद पर बैठे राम नरेश यादव।
राम नरेश यादव की नजर पहली बार मुलायम सिंह यादव पर गई। मुलायम तीसरी बार जीतकर उत्तर प्रदेश की विधानसभा में पहुंचे थे। राम नरेश यादव की सरकार में मुलायम को सहकारिता और पशुपालन मंत्री बनाया गया। ‘द लल्लनटॉप’ में छपी खबर के मुताबिक, मुलायम सिंह को उस दौरान कोई गंभीरता से नहीं लेता था और उनके साथी जाति की तरफ इशारा करके कहते थे कि बचपन से जो काम करते आए हैं मंत्रालय भी वैसा ही थमा दिया गया है।
मुलायम सिंह यादव को इन तानों से कोई फर्क नहीं पड़ता था। वह तो बस अपना काम ठीक से करना चाहते थे। उन्होंने इन तानों को अपनी ताकत बनाने का हुनर हासिल कर लिया। सहकारिता मंत्री रहते हुए मुलायम ने कई बड़े बदलाव किए, कॉपरेटिव कमेटी के लिए रास्ता साफ किया। 1987 में चौधरी चरण सिंह के निधन के बाद मुलायम का कद बढ़ना शुरू हुआ। मुलायम और अजीत सिंह के बीच पार्टी को लेकर ‘लड़ाई’ हुई।
अजीत सिंह उस दौरान राज्यसभा के सदस्य थे और उन्होंने लोकदल के नेताओं को इकट्ठा किया। अजीत सिंह ने पार्टी के नेताओं से कहा कि वह मुलायम सिंह को नेता प्रतिपक्ष के पद से बेदखल करें। मुलायम को अजीत सिंह के इरादों की खबर लग गई। आखिरकार अजीत सिंह अपने इरादों में कामयाब हुए। कई साल बाद जाकर मुलायम सिंह ने अपनी अलग पार्टी की नींव रखी, जिसका नाम था- समाजवादी पार्टी।
मुलायम की नातिन की शादी में इकट्ठा हुआ परिवार: हाल ही में मुलायम सिंह यादव की नातिन की शादी हुई। इस शादी में कई दिग्गज नेता शामिल हुए थे। अखिलेश यादव भी अपने परिवार के साथ इस शादी में पहुंचे थे। तमाम राजनीतिक मतभेद के बावजूद शिवपाल और अखिलेश यादव मंच पर एक साथ नजर आए।