इस्लामिक कैलेंडर के मुताबिक मोहर्रम की पहली तारीख इस्लामिक न्यू ईयर की शुरुआत है। 30 जुलाई से इस्लामिक नया साल शुरू हो चुका है। इस्लामिक कैलेंडर में मोहर्रम साल का पहला महीना होता है। इस महीने को गम का महीना कहा जाता है। इस्लामिक कैलेंडर में 365 दिनों की बजाय मात्र 354 दिन होते हैं। इस महीने को अल्लाह के रसूल हजरत मुहम्मद (सल्ल.) ने अल्लाह का महीना कहा है।

अल्लाह के नबी ने कहा कि रमजान के रोजों के बाद सबसे उत्तम रोजे मुहर्रम के महीने के हैं। इस महीने को इबादत का महीना भी कहा जाता है। इस महीने को शोक का महीना इसलिए कहते हैं, क्योंकि इराक में स्थित कर्बला में हजरत मुहम्मद (सल्ल.) के नवासे (नाती) हजरत हुसैन को शहीद कर दिया गया था। कर्बला में बेगुनाहों को मौत के घाट उतार दिया गया था। बुजुर्ग कहते हैं कि इस घटना को याद करते हुए ही मुहर्रम का महीना शोक और इबादत करने में गुजारा जाता है।

इस बार कब मनाया जाएगा मुहर्रम:

इस्लामिक कैलेंडर के अनुसार मुहर्रम के महीने की शुरुआत 30 जुलाई से हुई है। इस महीने की शुरूआत के दसवे दिन अशूरा होता है। अशूरा के दिन ही मुहर्रम मनाया जाता है। इस बार मुहर्रम 9 अगस्त को मनाया जाएगा।

मुहर्रम महीने का महत्व:

मुहर्रम महीने के 10 वें दिन को ‘आशूरा’ कहते है। आशूरा के दिन हजरत मुहम्मद (सल्ल.) के नवासे हजरत इमाम हुसैन, उनके बेटे, घरवाले और उनके साथियों को करबला के मैदान में शहीद कर दिया गया था। हजरत के नवासे और हजारों बेगुनाहों की मौत की वजह से इस महीने को गम का महीना कहा जाता है। इमाम हुसैन और हजारों बेगुनाहों की शहादत को याद करते हुए मुहर्रम के दिन जुलूस और ताजिया निकाला जाता है। गम, इबादत और शोक का महीना है मोहर्रम।

मुहर्रम महीने का इतिहास:

मुहर्रम का इतिहास 662 ईस्वी पूर्व का है। जब मुहर्रम के पहले दिन हजरत मुहम्मद (सल्ल.) और उनके साथियों को मक्का से मदीना जाने के लिए मजबूर किया गया था, तो इस्लाम की हिफ़ाज़त के लिए हजरत इमाम हुसैन ने अपनी जान कुर्बान कर दी थी।

12वीं शताब्दी में गुलाम वंश के पहले शासक कुतुब-उद-दीन ऐबक के दौर से ही दिल्ली में अशूरे के दिन ताज़िये निकाले जाते रहे हैं। इस दिन शिया मुसलमान इमामबाड़ों में जाकर मातम मनाते हैं और ताज़िया निकालकर अपना गम और रंज जाहिर करते हैं। भारत के कई शहरों में मोहर्रम में शिया मुसलमान मोहर्रम की दसवी को मातम मनाते हैं, लखनऊ इसका मुख्य केंद्र रहता है।