एक नए अध्ययन में पाया गया है कि वायु प्रदूषण के सूक्ष्म कण (पीएम 2.5) के लंबे समय तक संपर्क में रहने से पुरुषों में नपुंसकता का खतरा बढ़ जाता है। जबकि, सड़क यातायात का शोर 35 वर्ष से अधिक उम्र की महिलाओं में बांझपन के खतरे को कई गुना बढ़ा देता है। वायु प्रदूषण का हमारी सेहत पर बुरा प्रभाव पड़ता है और ना सिर्फ हमारे फेफड़े वायु प्रदूषण से प्रभावित होते हैं बल्कि इससे पुरुषों में नपुंसकता की भी समस्या हो सकती है। वायु प्रदूषण से जहां बुजुर्गों में सांस लेने में परेशानी और अस्थमा जैसी समस्याएं बढ़ रही हैं।

एक शोध के मुताबिक, दुनिया भर में बांझपन एक प्रमुख स्वास्थ्य समस्या है जो गर्भधारण करने की कोशिश कर रहे सात में से एक जोड़े को प्रभावित करती है। इस अनिश्चितता को दूर करने के लिए, शोधकतार्ओं ने इस बात की जांच करने का प्रयास किया कि क्या सड़क पर यातायात से होने वाले शोर और महीन कण पदार्थ (पीएम 2.5) वायु प्रदूषण के लंबे समय तक संपर्क में रहने से पुरुषों में नपुंसकता और महिलाओं में बांझपन का खतरा बढ़ जाता है?

शोध के निष्कर्ष 30 से 45 साल की आयु के 5,26,056 पुरुषों और 3,77,850 महिलाओं के आंकड़ों पर आधारित हैं, जिनके दो से कम बच्चे हैं, जो एक साथ रहते हैं या विवाहित हैं और 2000 से 2017 के बीच डेनमार्क में रहते हैं। शोध के मुताबिक, इस समूह का चयन ऐसे लोगों को शामिल करने के लिए किया गया था जो सक्रिय रूप से गर्भ धारण की कोशिश कर रहे थे और इस प्रकार बांझपन के खतरे में थे। पहले से जांच किए गए लोगों को बाहर रखा गया, साथ ही उन महिलाओं को भी शामिल किया गया जिन्होंने गर्भधारण को रोकने के लिए सर्जरी करवाई थी और उन पुरुषों को भी शामिल किया गया था जिनकी नसबंदी की गई थी।

इन आंकड़ों के आधार पर तैयार हुई रिपोर्ट

प्रत्येक प्रतिभागी के पते पर साल भर औसत पीएम 2.5 की मात्रा और सड़क यातायात शोर के स्तर की गणना की गई और राष्ट्रीय रोगी रजिस्टर से बांझपन के जांच को दर्ज किया गया। 18 साल तक नजर रखने के बाद 16,172 पुरुषों में नपुंसकता और 22,672 महिलाओं में बांझपन की जांच की गई।

आय, शिक्षा का स्तर और व्यवसाय सहित कई प्रभाव डालने वाले कारणों को शामिल करने के बाद, पांच सालों में पीएम 2.5 के 2.9 माइक्रोग्राम प्रति घन मीटर उच्च औसत स्तर के संपर्क में आने से 30 से 45 साल की आयु के पुरुषों में नपुंसकता का 24 फीसदी खतरा बढ़ गया। जबकि, पीएम 2.5 महिलाओं में बांझपन से जुड़ा नहीं पाया गया। पांच सालों में सड़क यातायात के शोर के 10.2 डेसिबल उच्च औसत स्तर के संपर्क में आने से 35 वर्ष से अधिक उम्र की महिलाओं में बांझपन का खतरा 14 फीसदी बढ़ा हुआ पाया गया। जबकि 30 से 35 साल की आयु वाली महिलाओं में शोर का बांझपन से कोई लेना देना नहीं था।

महिलाओं के मुकाबले पुरुषों में 15 फीसदी ज्यादा सेक्स स्वास्थ्य

पुरुषों में सड़क यातायात के शोर 37 से 45 आयु वर्ग में नपुंसकता का खतरा एक छोटे से हिस्से से जुड़ा था, लेकिन 30 से 37 साल की आयु वालों में इसका असर नहीं दिखाई दिया। वायु प्रदूषण का असर यूं तो सभी पर होता है लेकिन पुरुषों में महिलाओं के मुकाबले यह ज्यादा नुकसान करता है। महिलाओं के मुकाबले पुरुषों में 15 फीसद ज्यादा यौन स्वास्थ्य से जुड़ी समस्याएं होती है।