उत्तर प्रदेश चुनाव को देखते हुए राजनीतिक पार्टियों ने अपनी तैयारियां शुरू कर दी हैं। बहुजन समाज पार्टी (BSP) आलाकमान ने साफ कर दिया है कि इस बार किसी बाहुबली या माफिया को पार्टी टिकट नहीं देगी। इसी क्रम में मुख्तार अंसारी को पार्टी से बाहर का रास्ता दिखा दिया गया है। ऐसे में बीएसपी सुप्रीमो मायावती पर विरोधी दल पार्टी में मनमर्जी चलाने का आरोप भी लगा रहे हैं। मायावती एक इंटरव्यू में ऐसे आरोपों का जवाब देती हैं।
वरिष्ठ पत्रकार रजत शर्मा इंटरव्यू में मायावती से सवाल करते हैं, ‘बहुजन समाज पार्टी में वही रह सकता है जिसे मायावती चाहेंगी?’ मायावती इसके जवाब में कहती हैं, ‘बहुजन समाज इतना बेवकूफ नहीं है। वो ये देखता है कि कौन आदमी अच्छा है और कौन आदमी गलत है। उनके ये मालूम है कि जो हमारी नेता है, वो हमारे हितों का ख्याल रखती है। जो लोग बीएसपी छोड़कर गए वो जरूर किसी न किसी के हाथों में खेल रहे हैं।’
मायावती कहती हैं, ‘मैं पहली ऐसी सीएम थी, जिसने कमजोर वर्ग के लोगों को ध्यान में रखते हुए खुद कुर्सी छोड़ दी। आपको भी पता है सीएम की कुर्सी को लात मैंने खुद मारी है। अंदर की बात तो किसी को मालूम नहीं है। बीजेपी 80 में से 60 सीटें चाहती थी तो मैंने ऐसा करने से मना कर दिया। जब मना कर दिया तो उन्होंने कहा कि हमें विचार करना पड़ेगा और आपको सीएम पद से हटाना होगा। मैंने कहा कि आप क्यों हटाओगे मैंने खुद ही इस्तीफा दे दिया था। हर पार्टी बीएसपी के साथ गठबंधन करना चाहती है।’
सपा के साथ गठबंधन करना नहीं चाहतीं: यहां मायावती साफ कर देती हैं कि वह खुद समाजवादी पार्टी से गठबंधन नहीं करना चाहती हैं। मायावती कहती हैं, ‘गेस्ट हाउस कांड की घटना को मैं भूलने को तैयार नहीं हूं। लेकिन समाजवादी पार्टी तो चाहती है कि मैं उससे गठबंधन करूं। अगर मैं सपा चीफ को कह दूं तो वो भागते हुए दिल्ली आ जाएंगे।’ बता दें, सपा-बसपा ने 1993 में मिलकर चुनाव लड़ा था। इन चुनावों में दोनों पार्टियों ने अन्य छोटे दलों को भी अपने साथ मिला लिया था और मुलायम सिंह यादव मुख्यमंत्री बने थे।
गठबंधन ज्यादा दिनों तक नहीं चल सका और साल 1995 मायावती पहली बार सूबे की मुख्यमंत्री बनी थीं। ऐसे ही मायावती के साथ भी हुआ और उन्हें कार्यकाल पूरा करने से पहले ही सीएम पद छोड़ना पड़ा। आखिरकार साल 2007 में बीएसपी को यूपी में बहुमत मिला और मायावती ने बतौर सीएम अपना कार्यकाल भी पूरा किया।