दुनिया भर में पुरुषों में बांझपन (male Infertility) की समस्या बढ़ती जा रही है। पुरुषों के वीर्य में शुक्राणुओं की कमी के कारण ही उसकी महिला साथी के गर्भवती होने की संभावना को कम करता है। पुरुषों में प्रजनन क्षमता को कमजोर होना अब आम बात होती जा रही है। विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) के मुताबिक 18। 6 करोड़ लोग इनफर्टिलिटी के शिकार हैं।

एशियन जर्नल ऑफ फर्मास्युटिकल एंड क्लिनिकल रिसर्च (Asian Journal of Pharmaceutical and Clinical Research) के मुताबिक मोबाइल फोन, लेपटॉप, वाई फाई, कंप्यूटर यहां तक कि माइक्रोवेव से भी पुरुषों में शुक्राणु (Sperms) प्रभावित होते हैं।

यदि पुरुष के स्पर्म में प्रति मिलीलीटर 15 मिलियन से कम शुक्राणु हैं तो यह संख्या सामान्य से कम मानी जाती है। युवाओं में स्पर्म काउंट कम होने का कारण उनके हेल्थ और लाइफ स्टाइल फैक्टर्स हैं। शोध के मुताबिक 15 से 20 प्रतिशत आम आबादी बांझपन की समस्या से जूझ रही हैं। इसलिए हमें इनफर्टिलिटी के कारणों को समझना ज्यादा जरूरी है। आइए जानते हैं-

स्पर्म काउंट कम होने से क्या होता है?

पुरुषों में स्‍पर्म की क्‍वालिटी खराब होना या स्‍पर्म काउंट कम हो, तो महिला को गर्भधारण करने में दिक्‍कत आती है। इसके अलावा वीर्य के अंदर स्‍पर्म में खराबी, कई तरह की स्‍वास्‍थ्‍य समस्‍याओं से भी हो सकता है, जैसे- हाई ब्‍लड प्रेशर, हार्ट डिजीज, स्किन और ग्‍लैंडुलर विकार आदि।

जेब में मोबाइल रखने से क्या होता है?

स्वास्थ्य विशेषज्ञों के मुताबिक जेब में ज्यादा देर तक मोबाइल रखने से शरीर पर रेडिएशन से होने वाला खतरा बढ़ जाता है। यह बैग में रखे मोबाइल से होने वाले नुकसान से दोगुना से लेकर सात गुना तक असर डाल सकता है। WHO के मुताबिक साल भर संबंध बनाने के बाद भी जब कोई पुरुष पिता बनने में अक्षसम हो तो इस पुरुषों की इनफर्टिलिटी कहते हैं।

शोध में कहा गया है कि रेडियो तरंगों के विकिरण (Radiation) शुकाणुओं को कई तरहों से खराब करता है। चूंकि टेलीविजन, वाई फाई, फोन टावर, रडार, मोबाइल फोन, लेपटॉप, कंप्यूटर आदि से रेडियो तरंगों का उत्सर्जन होता है। इससे शुक्राणुओं की संख्या कम हो सकती है। दरअसल ये तरंगे शरीर में शुक्राणुओं के लिए जरूरी हार्मोन और एंटीऑक्सीडेंट्स एंजाइम को प्रभावित करती हैं।