आम तौर पर लोगों का मानना है कि उनका वजन कम है और वे सामान्य कद काठी के हैं तो उन्हें डायबिटीज का खतरा नहीं है, ऐसा काफी हद तक टाइप 2 डायबिटीज के बढ़ने के कारण है, जो सीधे शरीर के वजन से संबंधित है। जैसे-जैसे हमारा वजन बढ़ता है, टाइप 2 डायबिटीज होने का खतरा भी बढ़ता जाता है।

हालांकि, डायबिटीज हमेशा आपके दिखने के तरीके से संबंधित नहीं होता है। यदि आप दुबले हैं लेकिन इंसुलिन रेजिस्टेंस है, तो आपका ब्लड शुगर बढ़ सकता है। मैक्स हेल्थकेयर के चेयरमैन और हेड, एंडोक्रिनोलॉजी एंड डायबिटीज डॉ अंबरीश मिथल ने इंडियन एक्सप्रेस को बताया कि कुछ लोगों को लग सकता है कि यदि उनका बीएमआई (Body Mass Index) 25 से कम है, तो वे स्वस्थ हैं। लेकिन यह भी सही नहीं है। कम वजन वाले शरीर में यदि हाई फैट रेशियो और कम मांसपेशियां हैं तो वे भी टाइप 2 डायबिटीज के शिकार हो सकते हैं।

एक महत्वपूर्ण समस्या शारीरिक निष्क्रियता (Physical Inactivity) है। बहुत से लोग पूरे दिन कंप्यूटर या टेलीविजन के सामने बिताते हैं और केवल न्यूनतम शारीरिक श्रम करते हैं। इसकी वजह से उनमें उम्र बढ़ने की प्रक्रिया में मांसपेशियों के टिश्यूज घटने का एक स्वाभाविक प्रवृत्ति (Sarcopenia) कम हो जाती है। ऐसे लोगों में इंसुलिन रेजिस्टेंस भी होता है। ये लोग उन लोगों की तरह या उनसे भी ज्यादा मेटाबोलिक दुष्प्रभाव के शिकार होते हैं, जो मोटे और भारी वजन वाले होते हैं।

कभी-कभी, मांसपेशियों का वजन कमर के चारों ओर अधिक होता है। इसलिए, कमर से कूल्हे तक के सही अनुपात का पता लगाना जरूरी और महत्वपूर्ण है। आंत का वसा और उच्च कोलेस्ट्रॉल वाले लोग भी इस तरह के होते हैं। यदि डायबिटीज का पारिवारिक इतिहास है, तो यह जोखिम तेजी से बढ़ता है।

ऐसे रोगियों को आमतौर पर शुरू में ओरल एंटी डायबेटिक दवाओं दी जाती हैं, लेकिन टाइप-2 डायबिटीज से पीड़ित सामान्य वजन वाले मोटे लोगों की तुलना में ऐसे लोगों को बीमारी के दौरान पहले इंसुलिन की आवश्यकता हो सकती है। इन वयस्कों को अन्य प्रकार के डायबिटीज भी हो सकते हैं। टाइप 1 डायबिटीज, जो गंभीर इंसुलिन की कमी का लक्षण है, पारंपरिक रूप से बच्चों में होता है।

इस प्रकार के डायबिटीज को इंसुलिन पर निर्भर डायबिटीज भी कहा जाता है, जिसमें पता लगने के समय से उपचार के लिए इंसुलिन की जरूरत होती है। यह उनके शरीर के भीतर एक ऑटोइम्यून प्रतिक्रिया के कारण होता है जहां वे अपने अग्नाशयी कोशिकाओं (Pancreatic Cells) के खिलाफ एंटीबॉडी विकसित करते हैं।