बिहार के पूर्व मुख्यमंत्री और राजद नेता लालू प्रसाद यादव को उनकी बेटी रोहिणी आचार्य अपनी एक किडनी देने वाली हैं। इस महीने के अंत में उनकी किडनी ट्रांसप्लांट की जाएगी। रोहिणी की तरह ही कई परिवारों के कई सदस्य अपने प्रियजनों को बचाने के लिए अपने अंग दान करते हैं, ऐसे में डोनर को अपनी एक किडनी दान करने के बाद स्वस्थ्य रहने के लिए क्या सुनिश्चित करने की जरूरत है, हम आपको इसके बारे में बताने वाले हैं।
पारस अस्पताल, गुरुग्राम में नेफ्रोलॉजी विभाग में एसोसिएट कंसल्टेंट डॉ. माधुरी जेटली के अनुसार अगर आप किडनी डोनेट करते हैं तो भविष्य में किडनी फेल होने का खतरा थोड़ा बढ़ सकता है। हालांकि, इसकी संभावना काफी कम होती है। अपनी किडनी दान करने से पहले आपको पूरी तरह से चिकित्सा जांच से गुजरना होगा।
जांच के बाद डॉक्टर ये बताते हैं कि आपकी किडनी प्राप्तकर्ता के लिए एक अच्छा मैच हैं या नहीं। इसके अलावा ये भी जांच की जाती है कि आपको ऐसी कोई स्वास्थ्य समस्या तो नहीं है, जो किडनी दान करने के बाद बढ़ सकता है।
इस तरह निकाली जाती है किडनी
हालांकि किडनी निकालने की सर्जरी या नेफरेक्टोमी आमतौर पर लैप्रोस्कोपिक तकनीक का उपयोग करके की जाती है। जिससे डोनर को ब्लीडिंग या इंफेक्शन का खतरा काफी कम होता है।
आमतौर पर किडनी डोनर अस्पताल में तीन दिनों तक रहने के बाद ठीक हो जाते हैं, जिसमें कोई समस्या नहीं होती है। एक किडनी निकाले जाने के बाद दूसरी किडनी सामान्य से थोड़ी बढ़ जाती है। अधिक बची हुई किडनी को अधिक ब्लड फ्लो मिलता है और वो शरीर से गंदगी को फिल्टर करती है। जिसके साथ-साथ किडनी डोनर सामान्य जीवन जीता है।
एक्सपर्ट्स की मानें तो किडनी डोनेट करने से व्यक्ति की लाइफ पर असर पड़ता है, ये केवल भ्रम है। अध्ययनों से पता चलता है कि जो लोग किडनी दान करते हैं वे औसत आबादी से अधिक जीवित रहते हैं। एक अध्ययन से पता चला है कि कैसे दान करने के 20 साल बाद भी 85 प्रतिशत डोनर जीवित रहे। ऐसा इसलिए हो सकता है क्योंकि केवल स्वस्थ लोगों को ही डोनर बनने की अनुमति दी जाती है। या दाता किडनी दान करने के बाद अतिरिक्त स्वास्थ्य सावधानी बरतते हैं।