Jyotiraditya Scindia Family: प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने पिछले दिनों कैबिनेट विस्तार में ज्योतिरादित्य सिंधिया को भी जगह दी है। उन्हें नागरिक उड्डयन जैसा अहम मंत्रालय सौंपा गया है। कांग्रेस छोड़ भाजपा में आए ज्योतिरादित्य सिंधिया के परिवार का शुरू से ही देश की सियासत में दबदबा रहा है। राजशाही से लेकर सियासी गलियारों में तमाम पड़ाव तय किये हैं।

सिंधिया परिवार का राजस्थान के सवाई माधोपुर स्थित प्राचीन झोझेश्वर महादेव मंदिर से पुराना नाता है। पूरे सिंधिया परिवार के लिए ये धार्मिक स्थल आस्था का केंद्र रहा है। अक्सर सिंधिया परिवार के सदस्य यहां आते हैं और पूजा-अर्चना करते हैं। ऐसा कहा जाता है कि इस परंपरा की शुरुआत करीब 150 साल पहले ज्योतिरादित्य के पूर्वज जयाजीराव सिंधिया ने की थी और वे इस मंदिर में पूजा करने आते थे।

कुछ ऐसी है मान्यता: प्रचलित मान्यताओं के मुताबिक जिस वक्त जयाजीराव इस मंदिर में पूजा के लिए आते थे तब यहां बिरजू महाराज नाम के साधू रहा करते थे। मंदिर के संतों के मुताबिक जयाजीराव सिंधिया जब दर्शन के लिए आए तो उन्होंने बिरजू महाराज के समक्ष पुत्र के लिए याचना की थी। फिर साल 1876 में उन्हें माधौ राव के रूप में पुत्र की प्राप्ति भी हुई थी।

दर्शन के लिए भिजवाया था संदेश: कहते हैं कि इसके बाद कई बार संतों ने ज्योतिरादित्य सिंधिया के पिता माधवराव सिंधिया तक ये संदेश भिजवाया कि वो महादेव मंदिर आकर दर्शन कर सकें। उन्होंने वहां जाने का कार्यक्रम भी बनाया लेकिन जाने से पहले ही उनका देहांत हो गया था। बाद में ज्योतिरादित्य सिंधिया ने अपने पिता की ये इच्छा पूरी की।

मंदिर को दान में दे दी जमीन: बताया जाता है कि माधौ महाराज के जन्म के बाद उनके पिता जयाजीराव ने ग्वालियर से झोझेश्वर महादेव मंदिर तक की यात्रा की। वहां पहुंचने पर उन्होंने संतों के रहने के लिए आश्रम का निर्माण करवाया। साथ ढाई सौ बीघा जमीन भी दान में दी थी।

बेहद धार्मिक है सिंधिया परिवार: बता दें कि सिंधिया राजघराने ने अपने शासनकाल में कई मंदिरों का निर्माण कराया। इसमें महाकाल मंदिर समेत उज्जैन के कई प्रसिद्ध धार्मिक स्थल शामिल हैं।