उत्तर प्रदेश में 10 फरवरी को पहले चरण के मतदान के साथ ही विधानसभा चुनाव का बिगुल बज गया है। पहले चरण में ज्यादातर पश्चिमी उत्तर प्रदेश की सीटों पर मतदान हो रहा है। इस बार अखिलेश यादव के साथ चुनावी रण में उतरे जयंत चौधरी की परीक्षा भी इसी चरण में होनी है। यही वजह है कि सत्तारूढ़ बीजेपी के चौतरफा हमलों के बीच जयंत ने प्रचार-प्रसर और विरासत को बचाने के लिए कोई कोर-कसर नहीं छोड़ी है।
सक्रिय राजनीति से दूर रहने वालीं जयंत की पत्नी चारू चौधरी भी चुनावी अखाड़े में उतर गई हैं।गाजियाबाद के मोदीनगर से आरएलडी के उम्मीदवार के पक्ष में वोट मांगने पहुंचीं चारू ने योगी सरकार पर तीखा हमला बोला। उन्होंने कहा कि हमने भी चौधरी साहब को खोया है। सब पर जिम्मेदारियां बढ़ गई हैं। मैं परिवार को संभाल रही हूं और जयंत जी पार्टी को। मुझे उम्मीद है कि उनकी विरासत को आप संभाल लेंगे।
चारू ने कहा कि उत्तर प्रदेश के सीएम खुद अपनी पीठ थपथपा रहे हैं, लेकिन कोरोना काल में पूरे प्रदेश में लोग दवाइयों के लिए परेशान थे, अस्पताल में भर्ती नहीं हो पाए, घर में किसी का निधन हो गया तो अंतिम संस्कार भी ढंग से नहीं कर पाए। गंगा में बहती लाशें से तो सबने देखी हैं।
पंजाबी परिवार से ताल्लुक रखती हैं चारू: आपको बता दें कि चारू पंजाबी परिवार से ताल्लुक रखती हैं। जयंत और चारू ने साल 2003 में शादी की थी। दोनों की दो बेटियां, साहिरा और इलेसा हैं। चारू शेयर मार्केट में अच्छी खासी दिलचस्पी है। उन्होंने लंदन से बाकायदा इन्वेस्टमेंट बैंकिंग की ट्रेनिंग भी ली है।
डिंपल से करीबी ले आई जयंत-अखिलेश को नजदीक: चारू चौधरी और पूर्व मुख्यमंत्री अखिलेश यादव की पत्नी डिंपल के बीच अच्छी दोस्ती भी है। दोनों तमाम मौकों पर मिलते रहते हैं। यूपी चुनाव से पहले जब जयंत और अखिलेश साथ आए तो कहा गया कि चारू ने इसमें बड़ी भूमिका निभाई। डिंपल के जरिए दोनों को करीब लाने के लिए उन्होंने पहल की और सपा-आरएलडी के बीच गठबंधन हुआ।
‘चाहती हूं बेटियां राजनीति में आएं’: आपको बता दें कि चारू चौधरी यूं तो सक्रिय सियासत से दूर रहती हैं। साल 2014 के लोकसभा चुनाव में उन्होंने जयंत के लिए वोट मांगा था लेकिन इस बार चौधरी परिवार की विरासत और सियासत को बचाने के लिए वह पूरे दमखम के साथ मोर्चा संभाले नजर आ रही हैं। एक इंटरव्यू में चारू ने कहा था कि उनकी इच्छा है कि उनको दोनों बेटियां भी राजनीति में आएं। हालांकि इसका फैसला उन्हीं को (बेटियों को) करना है।