योग से डायबिटीज़ के मरीज़ों के ब्लड शुगर के स्तर में कमी आती है, जिसके कई कारण हैं जैसे: कोर्टिसोल और एड्रेनालाईन के स्तर में कमी होना, वजन में कमी आना और इंसुलिन का ज़्यादा प्रभावी होना। यदि आपके ब्लड शुगर स्तर में सुधार होता है तो डायबिटीज़ से होने वाली जटिलताओं जैसे दिल के दौरे, किडनी फेल होना और अंधेपन का जोखिम कम हो जाता है। डायबिटीज में अपने वजन पर नियंत्रण रखने की सबसे ज्यादा जरूरत होती है। हालांकि, योग के जरिए डायबिटीज जैसी खतरनाक बीमारी को ठीक किया जा सकता है। इसके लिए योग गुरू बाबा रामदेव ने कई आसन बताए हैं।
आपको बता दें कि पश्चिमी के वैज्ञानिकों ने इस बारे में पक्के सबूत देना शुरू किए हैं कि योग स्वास्थ्य को बेहतर बनाने, दर्द को ठीक करने और बीमारियों को दूर रखने में किस तरह मदद करता है। एक बार योग को समझ लें, तो उसके बाद आप खुद योग करने के लिए प्रेरित होंगे और अगली बार कोई आप से पूछे कि आप योग क्यों करते हैं, तो आप तुरंत जवाब दे पाएंगे।
स्वामी रामदेव के अनुसार अगर आपने ब्लड शुगर जैसी बड़ी बीमारी को अनदेखा किया तो यह आगे चलकर किसी खतरनाक बीमारी का कारण भी बन सकता है। स्वामी रामदेव के अनुसार मंडूकासन, शशकासन, वक्रासन, योगमुद्रासन, अर्द्ध मत्येंद्रासन, गोमुखासन, उत्तापादासन, नौकासन, पवनमुक्तासन और शवासन सभी आसनों को करने के बाद पूरी बॉडी क रिलैक्स करने के लिए यह योगासन जरूर करें। इससे आपका मन और दिमाग भी शांत रहेगा। इसके अलावा ब्लड शुगर को जड़ से खत्म करने के लिए भस्त्रिका, कपालभाति, भ्रामरी, अनुलोम विलोम और सूर्य नमस्कार करने से आपका वजन कम होने के साथ-साथ डायबिटीज सहित कई बीमारियों से कोसों दूर रहेंगे।
रिसर्च से पता चला है कि योग से ब्लड प्रेशर कम होता है और दिल की गति धीमी होती है। प्रमुख साइंस जर्नल द लैंसेट में हाईपरटेंशन से पीड़ित लोगों से जुड़े दो अध्ययन प्रकाशित हुए, जिसमें शवासन (कॉर्पस पोज़) के प्रभावों की तुलना सामान्य तौर से बिस्तर पर लेटने से की गई। तीन महीने बाद, शवासन से सिस्टोलिक ब्लडप्रेशर (उच्चतम संख्या) में 26-पॉइंट की गिरावट और डायस्टोलिक ब्लडप्रेशर में 15-पॉइंट (सबसे निम्मतम संख्या) की गिरावट देखी गई और शुरुआत में ब्लडप्रेशर जितना ज़्यादा था, उसमें गिरावट भी उतनी ही बड़ी थी। दिल की धीमी गति से हाई ब्लड प्रेशर और दिल व स्ट्रोक के मरीज़ों को फायदा पहुंच सकता है। योग एलडीएल (“खराब”) कोलेस्ट्रॉल को कम करता है और एचडीएल (“अच्छा”) कोलेस्ट्रॉल को बढ़ाता है।
इसके अलावा रिसर्च करने वालों को यह भी पता चला कि कि जो लोग कम से कम चार साल तक सप्ताह में कम से कम एक बार 30 मिनट तक योगाभ्यास करते हैं, उनका वजन वयस्क होने के दौरान कम बढ़ता है। ज़रूरत से ज़्यादा वजन वाले लोगों का वजन योग से कम हुआ। इससे पता चला कि योगाभ्यास करने वालों का बॉडी मास इंडेक्स (बीएमआई) उन लोगों की तुलना में कम था जो योगाभ्यास नहीं करते थे। रिसर्च करने वालों ने इसके पीछे सजगता को कारण माना। सजग रहकर भोजन करने से भोजन के साथ ज़्यादा सकारात्मक रिश्ता बनता है।
योग से तनाव भी दूर होता है। यह मन के उतार-चढ़ाव को शांत करता है, इसका मतलब यह है कि यह तनाव का कारण बनने वाले निराशा, अफसोस, गुस्सा, भय और इच्छा जैसे मानसिक चक्रों को धीमा कर देता है। तनाव से माइग्रेन, अनिद्रा, ल्यूपस, एमएस, एक्जिमा, हाई ब्लड प्रेशर और दिल के दौरे जैसी समस्याएं हो सकती हैं, इसलिए अगर आप अपने दिमाग को शांत करना सीख जाते हैं, तो आपके लंबे समय तक स्वस्थ जीवन जीने की संभावना बढ़ जाती है।
सीकेडी के मामलों पर योग के सीधे फायदों के बारे में वैज्ञानिक आंकड़ों की कमी है लेकिन सबूतों के नहीं होने का मतलब यह नहीं कि सबूत हैं नहीं। कुछ लोग इसे फिटनेस बनाने का फैशनेबल तरीका मानते हैं, लेकिन इससे डायबिटीज़, हाईपरटेंशन और किडनी की क्रोनिक बीमारियों सहित कई तरह की क्रोनिक बीमारियों में फायदा पहुंच सकता है।
डायबिटीज़ और हाई ब्लड प्रेशर किडनी की क्रोनिक बीमारी के सबसे आम कारणों में से हैं और यह बात पूरी तरह सिद्ध हो चुकी है कि ब्लड प्रेशर पर बेहतर नियंत्रण रखने से सीकेडी की बढ़ोतरी को धीमा करने में मदद मिलती है, चाहे कारण कुछ भी हो। किडनी ट्रांसप्लांट के बाद ब्लड प्रेशर पर बेहतर नियंत्रण रखने से ट्रांसप्लांट की गई किडनी की उम्र बढ़ जाती है।