हर वर्ष 21 जून को अंतरराष्ट्रीय योग दिवस मनाया जाता है। योग की उत्पत्ति भारत में हुई और इसका इतिहास 5000 वर्ष से भी ज़्यादा पुराना है। कुछ लोग इसे फिटनेस के लिए फैशन के तौर पर अपनाते हैं, लेकिन इससे डायबिटीज़, हाइपरटेंशन और किडनी की क्रोनिक बीमारियों सहित कई तरह की क्रोनिक बीमारियों में फायदा मिल सकता है। योग से स्वास्थ्य को कई तरह के फायदे मिलते हैं। आइए एक्सपर्ट से जानते हैं इसके कुछ लाभ-
फोर्टिस ग्रुप ऑफ हॉस्पिटल्स के नेफ्रोलॉजी एंड किडनी ट्रांसप्लांट के प्रिंसिपल डायरेक्टर डॉ संजीव गुलाटी ने जनसत्ता डॉट कॉम से बातचीत करते हुए बताया कि इस बात के पर्याप्त परोक्ष प्रमाण हैं कि योग से कि़डनी की बीमारियों में फायदा पहुंचता है। हालांकि योग विशेषज्ञ की देखरेख में ही किया जाना चाहिए। आप किसी विशेषज्ञ से सलाह लेकर अपने लिए उपयुक्त योग आसान चुन सकते हैं।
योग करने से मेटाबोलिज्म और ख़ून का प्रवाह सही होता है और यह शरीर से मेटाबोलिक अपशिष्ट और विषाक्त पदार्थों को बाहर निकालने में मदद करता है। इससे एंडोक्राइन फंग्शन में सुधार हो सकता है और क्षतिग्रस्त ऊतकों की मरम्मत में मदद मिलती है। यह शारीरिक फिटनेस मजबूत करने के साथ ही शरीर की प्रतिरक्षा को भी बेहतर बना सकता है। इससे मन शांत होता है और तनाव व दर्द में आराम मिलता है। इससे शरीर में पानी की मात्रा का प्रबंधन करने में भी सहायता मिलती है। इससे नींद बेहतर होती है, जिससे शरीर को बढ़िया आराम मिलता है। अगर अच्छा आराम मिले तो शरीर अपने भीतर पानी के मात्रा के नियमन और दिल की धड़कन को स्थिर करने जैसे काम बेहतर तरीके से कर सकता है।
हालांकि योग सुरक्षित है, लेकिन किडनी फेलियर का हर मरीज़ सभी आसन नहीं कर सकता। उदाहरण के लिए, यदि मरीज़ को पॉलीसिस्टिक किडनी की बीमारी है, तो पेट व पीठ पर दबाव डालने वाले आसानों से बचना चाहिए। यदि मरीज़ को हाई ब्लड प्रेशर या पीठ के निचले हिस्से में दर्द है, तो पैर उठाने वाले योग आसनों से बचना चाहिए। यदि आपको किडनी की बीमारी है तो पेशेवर विशेषज्ञ की देखरेख में ही योगाभ्यास करें। योग आसनों से आराम मिलता है।
योग में ऐसे कई आसन हैं, जिन्हें किडनी फेलियर के मरीज़ कर सकते हैं और साबित हुआ है कि इस आसनों को करने से किडनी के काम करने में सुधार आता है। मैं लोगों को नीचे बताए 11 सरल योग आसन करने की सलाह देता हूं:
- वृक्षासन: इसे करने के लिए सीधा खड़े हों, फिर दाहिने पैर को बायीं जांघ के अंदरूनी हिस्से पर रखें और हाथों को आपस में जोड़कर सिर के ऊपर उठाएं। कुछ मिनटों के बाद हाथों को नीचे लाएं और अब बायां पैर दायीं जांघ के अंदरूनी हिस्से पर रखें और हाथों को जोड़ कर सिर के ऊपर उठाएं।
- ताड़ासन: इसे करने के लिए अपने पंजों पर खड़े हों, उसके बाद अपनी बाहों को अपने सिर के ऊपर ले जाएं और दोनों हाथों को जोड़ें। इस मुद्रा में आराम से सांस लेते रहें और जितनी देर संभव हो इसी मुद्रा में बने रहें।
- भुजंगासन: इसे करने के लिए अपने पेट के बल लेटें और हाथों को दोनों तरफ फर्श पर रखें और सांस लेते हुए रीढ़ को ऊपर उठाएं और छाती व सिर को फर्श से ऊपर उठाएं। यह ध्यान रखें कि पैर समानांतर रहें और कुछ देर तक इसी स्थिति में रहें। इससे किडनी पर हल्का दबाव बनेगा और किडनी में नई जान आएगी।
- ऊष्ट्रासन: इसे करने के लिए फर्श पर अपने घुटने टिकाएं, रीढ़ को फैलाएं, छाती को खोलें और पैरों तक पहुंचें। यह सुनिश्चित करें कि जांघें फर्श से लंबवत रहें और पैरों के पंजे फर्श पर टिके हों। इस आसन से खून से दौरे को बेहतर करने के साथ ही शरीर के परिसंचरण तंत्र को बेहतर बनाने में भी मदद मिलती है।
- पश्चिमोत्तानासन: इसे करने के लिए आगे की ओर झुकें और अपने पैर की उंगलियों को छूने की कोशिश करें।
- सूर्य नमस्कार: यह सबसे बेहतरीन योग आसनों में से एक है क्योंकि इसमें 11 चरण शामिल होते हैं। आप यूट्यूब पर इसकी विस्तृत जानकारी देख सकते हैं।
- कटि चक्र आसन: इसमें फर्श पर लेटकर बाजुओं को फैलाएं और पैरों के बीच 3 फीट की दूर रखें। फिर सिर एक तरफ और घुटनों को विपरीत दिशा में घुमाएं।
- अनुलोम विलोम: इसमें व्यक्ति को पहले बायीं नासिका से सांस लेकर, दाहिनी नासिका से सांस छोड़ना चाहिए और उसके बाद दाहिनी नासिका से सांस लेकर, बायीं नासिका से छोड़ना चाहिए। बारी-बारी से दोनों नासिका से सांस लेने से खून का दौरा बेहतर होता है। इसे करने का सबसे अच्छा समय सुबह का है।
- कपालभाती: इसमें व्यक्ति जोर से सांस छोड़ता है और फिर अपने आप सांस को भीतर लेता है। अपनी सुविधा के अनुसार बीच में कुछ देर का विश्राम देकर इसे 3 – 5 सेशन तक दोहराएं।
- भस्त्रिका: इसमें व्यक्ति गहरी सांस लेता है और उसके बाद जोर से सांस छोड़ता है। इसे अधिकतम 3-5 बार करें।
- शवासन: इसमें व्यक्ति पीठ के बल लेट जाता है और हाथ व पैर ढीले छोड़कर कुछ देर तक बिना कुछ किए लेटे रहता है।
इस प्रकार योग शरीर के आंतरिक अंगों को स्वस्थ रखता है, शरीर में विभिन्न प्रणालियों को संतुलित करता है और शरीर व मन के तनाव को प्रभावी ढंग से नियंत्रित करता है। कुछ योग आसन और प्राणायाम शरीर की आंतरिक सफाई करते हैं, जिससे शरीर से विषैले पदार्थ बाहर निकल जाते हैं। इससे हाइपरटेंशन और डायबिटीज को रोकने में मदद मिल सकती है, जिससे आपकी किडनी की भी सुरक्षा होती है।
सीकेडी के मरीज़ों के ब्लड शुगर और ब्लड प्रेशर में सुधार होने से उनकी किडनी ज़्यादा लंबे समय तक काम करती है। तो ध्यान रखें कि दिन में एक बार योग करने से किड़नी की बीमारियों को दूर रखने में मदद मिल सकती है।