Exercise For Stamina boosting in Men : यंग जेनरेशन आजकल बिना जिम जाए नहीं रहते लेकिन जिम में किस तरह की एक्सरसाइज करनी चाहिए, यह जरूरी है। एक्सरसाइज न सिर्फ शारीरिक मजबूती को बढ़ाती है बल्कि यह मानसिक सुकून भी देती है। एक्सरसाइज हर तरह की शारीरिक हेल्थ के लिए की जाती है। एक्सरसाइज हेल्थ के लिए बेहतरीन टॉनिक है। एक्सरसाइज से सिर्फ मसल्स ही नहीं बनाए जाते बल्कि इससे हार्ट अटैक, स्ट्रोक, हाई ब्लड प्रेशर, टाइप 2 डायबिटीज, डिप्रेशन, एंग्जाइटी, अर्थराइटिस, कैंसर जैसी बीमारी होने के जोखिम को भी कम किया जाता है।
सुबह में एक्सरसाइज करने से दिन भर मूड सही रहता है। एक्सरसाइज पूरा दिन हमें तरोताजा रखती है। पुरुषों और महिलाओं की प्रजनन संबंधी समस्याओं को भी एक्सरसाइज और योग से सही किया जा सकता है। कुछ खास एक्सरसाइज सिर्फ पुरुषों के लिए होती है। इसमें बहुत अधिक शारीरिक ताकत की जरूरत है। पुरुष कुछ खास एक्सरसाइज करें तो वह खुद में कमजोर स्टेमिना को मजबूत कर सकते हैं। आइए जानते हैं वो खास एक्सरसाइज कौन सी हैं जिनसे मसल्स फ्लेक्सेबल तो होते ही है, स्टेमिना भी बूस्ट होता है।
स्टेमिना बूस्ट करने के लिए पुरुषों की एक्सरसाइज
बैक स्वैक्वेट:
मैंसजर्नल के मुताबिक बैक स्क्वैट पुराने जमाने वाली उठक-बैठक की तरह की एक्सरसाइज है। यह डेडलिफ्ट की तरह ही होती है लेकिन इसमें डंबल को उठाना नहीं होता बल्कि डंबल को पीछे से शॉल्डर पर रखा जाता है और स्क्वैट्स किया जाता है। इसमें भी शरीर का पूरा अंग भाग लेता है। इस एक्सरसाइज से पैरों की मजबूती होती है। इस एक्सरसाइज से पेल्विक एरिया में बहुत मजबूती आती है। यह एक्सरसाइज महिला और पुरुष दोनों में स्टेमिना को बूस्ट कर सकती है।
पुल अप्स:
पुरुषों के लिए पुल अप्स एक्सरसाइज के कई फायदे हैं। यह एक साथ शोल्डर, चेस्ट और कमर से उपर के मसल्स को मजबूती देती है। हालांकि पुल अप्स करने में बहुत अधिक प्रैक्टिस की जरूरत होती है। पुल अप्स करने के लिए बहुत अधिक ताकत भी लगती है। पुल अप्स करने के लिए दोनों हाथों से उपर के रॉड को ग्रिप बनाकर पकड़ लें और लटक जाएं। इसके बाद उपर नीचे करने की कोशिश करें। पुल अप्स में शोल्डर को रॉड के बराबर में उठाना पड़ता है जबकि नीचे आपके पैर लटकते होने चाहिए।
बैंच प्रेस:
बैंच प्रेस के बारे में हर कोई परिचित है। इस एक्सरसाइज में एक बैंच पर लेटकर डंबल को उठाना पड़ता है। इससे सीना चौड़ा होता है और हाथों के मसल्स मजबूत होते हैं। इससे शॉल्डर और ट्राईशेप के मसल्स फ्लेक्सिबल बनते हैं और स्टेमिना बूस्ट होता है।