CM Yogi Adityanath Birthday: आज योगी आदित्यनाथ 50 वर्ष के हो गए, 20 वर्ष की उम्र में उन्हें न तो नेता बनना था और न ही महंत। B.Sc के बाद M.Sc करके उन्हें नौकरी करनी थी। लेकिन कुछ ऐसा हुआ कि 15 फरवरी 1994 को नाथ संप्रदाय के प्रमुख मठ गोरखनाथ मंदिर के उत्तराधिकारी के रूप में अपने गुरु महंत अवैद्यनाथ से दीक्षा ली और इसके बाद वह पूरी तरह योगी बन गए और ताउम्र भगवा वस्त्र धारण करने वाले भी बन गए।

5 जून 1972 को उत्तराखंड के पौड़ी गड़वाल जिले के पंचूर गांव में अजय बिष्ट का जन्म हुआ। महंत बनने से पहले योगी आदित्यनाथ का नाम अजय सिंह बिष्ट था। वन विभाग में काम करने वाले आनंद सिंह बिष्ट और सावित्री देवी के 7 बच्चे हैं। अजय सिंह बिष्ट अपने भाई-बहनों में पांचवें नंबर पर आते हैं। उनकी तीन बड़ी बहनें, एक बड़ा भाई और फिर वह हैं। वहीं उनके छोटे भाई भी हैं। अब आगे की कहानी में हम इसी नाम का जिक्र करेंगे, आइए आगे बढ़ते हैं-

पढ़ाई के दौरान गोरखनाथ मठ के महंत के संपर्क में आए

अजय सिंह बिष्ट की पढ़ाई लिखाई 8 वीं तक घर के पास के ठांगर के प्राइमरी स्कूल से हुई। 9वीं की पढ़ाई के लिए वह चमकोटखाल के जनता इंटर कॉलेज चले गए और फिर इंटर की पढ़ाई के लिए ऋषिकेश जाना हुआ। ऋषिकेश के भरत मंदिर इंटर कॉलेज से उन्होंने अपनी पढ़ाई पूरी की। अजय सिंह बिष्ट पढ़ने में तेज़ थे तो उन्होंने इंटर के बाद ग्रजुऐशन और पोस्ट ग्रेजुऐशन किया।

बता दें कि पढ़ाई के दौरान वो पंचुर के पास कांडी गांव के रहने वाले संत महंत अवैद्यनाथ के सम्पर्क में आये। अवैद्यनाथ महाराज गोरखपुर के गोरखनाथ मठ के महंत थे और उन्हें एक योग्य उत्तराधिकारी की तलाश थी। यही से फिर अजय सिंह बिष्ट से योगी आदित्यनाथ बनने का सफर शुरू होता है, लेकिन यह बात न तो पिता को पता थी और न ही उनकी मां जानती थीं।

घर वालों से कहा कहीं जा रहे फिर कभी वापस नहीं लौटे

दिल्ली में विद्यार्थी परिषद के एक कार्यक्रम में अजय सिंह बिष्ट के बातों से प्रभावित होकर अवेद्यनाथ ने उन्हें अपने पास बुलाकर परिचय पूछा, वह भी उत्तराखंड के थे। महंत ने अजय को गोरखपुर आने का निमंत्रण दिया। महंत अवेद्यनाथ ने योगी से कहा कि सांसारिक जीवन में कुछ नहीं है। अजय यानि योगी को उनकी बात अच्छी लगी। फिर एक दिन घर वालों से कहा कहीं जा रहे; अजय जब अपना घर छोड़कर गोरखपुर आए और वापस नहीं गए तो परिवार परेशान हो गया। इसी बीच योगी की दीक्षा की खबर अखबारों में प्रकाशित हुई। दिल्ली के एक अखबार में भी छोटी सी खबर छपी कि अजय सिंह बिष्ट गोरक्षपीठ के उत्तराधिकारी बन गए हैं।

महंत अवैद्यनाथ ने अजय से कहा मुझे योग्य शिष्य चाहिए

जुलाई 1993 में महंत अवैद्यनाथ बीमार हो गए थे इसके बाद उन्हें दिल्ली के एम्स में भर्ती करवाया गया। इसी दौरान अजय उनसे मिलने दिल्ली पहुंचे। तो अजय को देख महंत ने कहा, ‘अब मेरी तबीयत ठीक नहीं रहती, मुझे एक योग्य शिष्य चाहिए। जिसे मैं अपना उत्तराधिकारी घोषित कर सकूं। अगर ऐसा नहीं कर पाया तो हिन्दू समुदाय मुझे गलत समझेगा।’ इसी के बाद 15 फरवरी 1994 को बसंत पंचमी के मौके पर महंत अवैद्यनाथ ने अजय बिष्ट को नाथ पंथ की दीक्षा दी। इस दिन अजय बिष्ट का नामकरण योगी आदित्यनाथ के रूप में कर दिया गया।

बेटे को भगवा वस्त्र में देख फूट-फूटकर रोई थीं मां

अजय सिंह के सन्यास की सूचना सुनकर उनके माता-पिता गोरखपुर पहुंचे, मंदिर में बेटे को ढूंढ रहे थे। अचानक उनके माता-पिता की नजर बेटे पर पड़ी, उन्हें योगी के रूप में देखा तो फूट-फूट कर रोने लगे। योगी उस समय मंदिर में हो रहे किसी कार्य को देख रहे थे। सभी ने उनसे उसी समय वापस घर चलने को कहा, यह जानकारी जब अवेद्यनाथ को हुई तो उन्होंने बुलाया और कहा यदि यह जाना चाहें, तो ले जा सकते हैं। वैसे भी संन्यास की एक परंपरा है। बिना परिवार से भिक्षा लिए तपस्या अधूरी मानी जाती है। फिर योगी कुछ दिनों बाद दिग्विजयनाथ महाविद्यालय के तत्कालीन प्राचार्य के साथ अपने गांव गए और माता-पिता से भिक्षा लेकर वापस आए।

संन्यास के बारे में पिता को क्या बताया था ?

मीडिया को मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के एक परिजन ने बताया था कि संन्यास के बाद पिता को सूचना देने के लिए योगी आदित्यनाथ ने पोस्टकार्ड का सहारा लिया। बताया कि पोस्ट कार्ड में लिखा था कि ‘आज से अजय सिंह बिष्ट ख़त्म हो गया’। पोस्ट कार्ड पाकर पिता परेशान हुए, मां भी खूब फूट-फूटकर रोईं थी और घरवाले बेहद दुखी हो गए थे। पिता को लगता था कि उनका बेटा पढ़ लिखकर बड़ा आदमी बनेगा, मां चाहती थी वह पढ़ लिखकर नौकरी करेंगे लेकिन घर से मोह त्याग कर एक संन्यासी जीवन व्यतीत करने वाले अजय के बारे में किसे पता था कि वह एक नहीं दो बार उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री बनेंगे।