तृणमूल कांग्रेस की अध्यक्ष ममता बनर्जी का राजनीतिक करियर काफी दिलचस्प रहा है। उनकी जिंदगी में ऐसी तमाम घटनाएं घटीं, जिससे ना सिर्फ उनके राजनीति में डटे रहने की इच्छाशक्ति को बल मिला, बल्कि अलग पहचान भी बनी।ममता बनर्जी ने साल 1976 में राजनीति में अपना पहला कदम रखा था। इस दौरान वह महिला कांग्रेस में महासचिव भी रहीं। बाद में कांग्रेस से किनारा कर खुद की पार्टी बनाई। अपने प्रशंसकों के बीच ‘दीदी’ के नाम से चर्चित ममता बनर्जी ने काफी संघर्ष भी किया। वह एक घटना से इतनी आहत हुई थीं कि बंगाल की मुख्यमंत्री बनने की कसम खा ली थी। यह करीब 18 साल पहले का वाकया है।

इसलिए खाई थी मुख्यमंत्री बनने की कसम: ममता बनर्जी की इस कसम के पीछे एक बड़ी वजह थी। यह साल 1993 की बात है। तब ज्योति बसु बंगाल के मुख्यमंत्री हुआ करते थे। इस दौरान ममता बनर्जी एक मूक बधिर बलात्कार पीड़िता को न्याय दिलाने के लिए राइटर्स बिल्डिंग में मुख्यमंत्री ज्योति बसु के दफ्तर के सामने धरने पर बैठ गई थीं। इस दौरान उनकी सुरक्षाबलों से झड़प हुई थी। तभी ममता बनर्जी ने कसम खाई थी कि अब वो मुख्यमंत्री बनने के बाद ही राइटर्स बिल्डिंग में लौटेंगी।

दरअसल, ममता बनर्जी उस समय केंद्रीय राज्य मंत्री थीं। वह पीड़िता को न्याय दिलवाने के लिए मुख्यमंत्री से मिलना चाहती थीं। उनका आरोप था कि दोषियों को इसलिए गिरफ्तार नहीं किया जा रहा, क्योंकि उनके राजनीतिक संबंध थे। हालांकि, बावजूद इसके मुख्यमंत्री ज्योति बसु दीदी से नहीं मिले। जिसके बाद ममता बनर्जी उनके दफ्तर के सामने पीड़िता के साथ धरने पर बैठ गईं। जब ज्योति बसु आए तो महिला पुलिसकर्मी ममता बनर्जी और पीड़िता को दरवाजे के सामने से हटाने के लिए सीढ़ियों से घसीटते हुए बाहर ले गए थे।

फट गए थे ममता बनर्जी के कपड़े: इस घटना में ममता बनर्जी के कपड़े भी फट गए थे। तब दीदी ने कसम खाई थी कि अब वह इस लाल इमारत में तभी कदम रखेंगी,, जब वह मुख्यमंत्री बन जाएंगी। ममता बनर्जी ने बंगाल की मुख्यमंत्री बनने के लिए काफी संघर्ष किया। करीब 18 साल बाद उनकी यह कसम पूरी भी हुई और साल 2011 में वह बंगाल की मुख्यमंत्री बनीं।

 

 

‘वह महिला’ कहकर ममता को संबोधित करते थे ज्योति बसु: ममता बनर्जी की राजनीति से बंगाल के पूर्व मुख्यमंत्री ज्योति बसु इतने चिढ़ते थे कि वह कभी सावर्जनिक जगहों पर उनका नाम भी नहीं लेते थे। वह ममता बनर्जी को उनके नाम या ‘दीदी’ कहने की जगह सावर्जनिक जगहों पर ‘वह महिला’ कहकर संबोधित किया करते थे।