किसान आंदोलन का नेतृत्व कर रहे किसान संगठनों में भारतीय किसान यूनियन की महत्वपूर्ण भूमिका देखी जा रही है। किसान नेता और भारतीय किसान यूनियन के प्रवक्ता राकेश टिकैत का प्रभाव इस आंदोलन के दौरान सबसे ज़्यादा रहा है। किसानों के बीच अपनी गहरी पैठ बना चुके राकेश टिकैत किसानों के मसीहा कहे जाने वाले चौधरी महेंद्र सिंह टिकैत के बेटे हैं। चौधरी महेंद्र सिंह टिकैत अपने समय के सबसे प्रभावशाली किसान नेता थे।

किसानों के लिए उन्होंने खुद को समर्पित कर दिया था और उनका प्रभाव इतना था कि सत्ता पक्ष के लोग भी उनके सामने झुकने पर मजबूर हो जाते थे। बावजूद इसके, उन्हें राजनीतिक महत्वाकांक्षा कभी छू भी न पाई थी। उन्हें राजनीति में आने की कई लोगों ने पेशकश की लेकिन वो कभी राजी नहीं हुए। जाट नेता और हरियाणा के मुख्यमंत्री रहे ओमप्रकाश चौटाला ने महेंद्र सिंह टिकैत को  एक बार राज्यसभा भेजे जाने का प्रस्ताव दिया था। इस प्रस्ताव को महेंद्र सिंह टिकैत ने ठुकरा दिया था। यह बात खुद ओमप्रकाश चौटाला ने महेंद्र सिंह टिकैत के निधन ने बाद बताई थी।

महेंद्र सिंह टिकैत हर तरह से खुद को राजनीति से अलग रखते थे। जब उन्होंने 1986 में किसानों को समर्पित अपना संगठन भारतीय किसान यूनियन की स्थापना की तब उन्होंने अपने संगठन के नाम के आगे अराजनीतिक लिखवाया था। वो अपने मंच से किसी भी राजनीतिक दल के व्यक्ति को बोलने नहीं देते थे।

महेंद्र सिंह टिकैत की एक और खासियत ये थी कि वो कभी अपनी जमीन से अलग नहीं हुए। लोकप्रियता के शिखर पर पहुंचने के बाद भी वो खुद ही अपने खेतों में काम करते थे। उनका ठेठ देसीपन उनकी खसियत रही। चौधरी महेंद्र सिंह टिकैत जीवनभर धर्मनिरपेक्षता का पालन करते रहे। उनकी लोकप्रियता केवल उनके जाट समुदाय में ही नहीं थी बल्कि उनके साथ मुसलमान किसान भी जुड़े रहे।

महेंद्र सिंह टिकैत ताउम्र किसानों के अधिकारों के लिए लड़ते रहे और इस कारण वो कई सरकारों के निशाने पर भी रहे। उत्तर प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री मुलायम सिंह यादव ने उन्हें एक बार गिरफ्तार करवा लिया था।

जब मायावती मुख्यमंत्री थीं, तब उन्होंने महेंद्र सिंह टिकैत की गिरफ्तारी के लिए पुलिस भेजी लेकिन पुलिस उन्हें गिरफ्तार नहीं कर पाई। इन सभी घटनाओं से महेंद्र सिंह टिकैत की लोकप्रियता बढ़ती ही गई।