डॉ. मनमोहन सिंह की पहचान एक सादगी पसंद और बेहद नपा-तुला बोलने वाले राजनेता की है। साल 2004 में जब सोनिया गांधी ने पीएम का पद ठुकराया और मनमोहन सिंह (Dr Manmohan Singh) का नाम आगे किया तो तमाम सियासी पंडित दंग रह गए थे। मनमोहन सिंह इससे पहले पीवी नरसिम्हा राव की सरकार में वित्त मंत्री थे और एक तरीके से उन्होंने ही आर्थिक सुधारों की पहल की थी। वे 10 जनपथ के विश्वासपात्र लोगों में शुमार थे।

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डॉ. मनमोहन सिंह जब प्रधानमंत्री बने तो 10 जनपथ से वफादारी के जिन्न ने PMO तक उनका पीछा नहीं छोड़ा। उनपर तमाम प्रशासनिक कामकाज से लेकर नीतियों में सोनिया गांधी की राय लेने का आरोप लगा। वरिष्ठ पत्रकार और लेखक रशीद किदवई अपनी किताब ‘भारत के प्रधानमंत्री’ में लिखते हैं कि मनमोहन सिंह को सोनिया के आगे झुकने या उनसे राय लेने वाले शख़्स के रूप में पेश किया जाता रहा, लेकिन सच्चाई ये है कि सोनिया उनका बहुत आदर किया करती हैं। उन्होंने हमेशा डॉ. सिंह की बुद्धिमत्ता और इमानदारी की कद्र की और कभी-कभार ही उनके प्रशासनिक कार्यों में दखल दिया।

रशीद किदवई मनमोहन सिंह के कार्यकाल में हुए परमाणु करार को उदाहरण के तौर पर पेश करते हुए कहते हैं कि वामपंथी पार्टियां इसके खिलाफ थीं, लेकिन मनमोहन सिंह ने दो टूक कह दिया था कि इस पर पुर्नविचार संभव नहीं है। मामला सोनिया गांधी तक भी पहुंचा, लेकिन उन्होंने वाम दलों के तमाम तर्कों और मांग को दरकिनार करते हुए मनमोहन सिंह का साथ दृढ़ता से साथ दिया।

सोनिया गांधी देती हैं भरपूर सम्मान: रशीद किदवई लिखते हैं कि सोनिया गांधी अपने पति राजीव से इतर मनमोहन सिंह को खास तवज्जो दिया करती हैं और उनका भरपूर सम्मान भी करती हैं। किदवई, पूर्व गृह सचिव सी.जी. सोमैया की जीवनी के हवाले से एक घटना का जिक्र करते हैं। उस वक्त राजीव गांधी प्रधानमंत्री थे और योजना आयोग के अध्यक्ष भी। वहीं, डॉ. मनमोहन सिंह योजना आयोग के उपाध्यक्ष। राजीव ने नगर केंद्रित विकास और अर्थव्यवस्था की एक रूपरेखा तैयार की।

ऐसा क्या कह दिया था राजीव ने? इस दौरान उन्होंने योजना आयोग को ‘जोकरों का एक ऐसा गिरोह’ करार दे दिया, जो विकास के किसी भी नए प्लान को तुरंत रद्द कर देता था। राजीव गांधी की इस बात से मनमोहन सिंह बेहद आहत हुए और इस्तीफे की जिद पर अड़ गए।

घंटे भर समझाने के बाद माने: सी.जी. सोमैया लिखते हैं कि मैं उनके (मनमोहन सिंह) के पास एक घंटे बैठा रहा और उन्हें समझाता रहा। मैंने उनसे कहा कि हमारे पीएम अभी युवा और अनुभवहीन हैं, ऐसे में हमारी जिम्मेदारी है कि हम उन्हें समझाएं। न कि साथ छोड़कर चल दें। बाद में वे किसी तरह माने।

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First published on: 14-06-2022 at 13:09 IST