शरीर का स्वास्थ्य पाचन तंत्र पर निर्भर करता है।अगर आपका पाचन तंत्र मजबूत है तो आपका शरीर भी फिट और स्वस्थ रहेगा लेकिन अगर आपकी पाचन शक्ति मजबूत नहीं हैं तो आप कई बीमारियों की चपेट में भी आ सकते हैं। जिसमें पथरी, बवासीर व कब्ज का होना आदि समस्याएं शामिल हैं। इसके अलावा जिन लोगों कि पाचन शक्ति मजबूत होती है उनके शरीर में रोगों से लड़ने की शक्ति भी ज्यादा होती है और ऐसे लोग बीमार भी कम पड़ते हैं।

दरअसल एक हेल्दी और स्वस्थ शरीर के लिए पाचन तंत्र का हेल्दी होना भी जरूरी होता है। बता दें कि हेल्दी पाचन तंत्र वही माना जाता है जो कि पाचन एंजाइमों का उत्पादन बढ़ा सके साथ ही शरीर के अंदर होने वाले बैक्टीरिया के विकास को रोकते हैं। लेकिन आजकल की भागदौड़ भरी जिंदगी में लोग अपने खानापन और सेहत पर अच्छे से ध्यान नहीं दे पाते हैं, साथ ही व्यस्त रहने के चलते एक्सरसाइज भी नहीं कर पाते हैं। बस फिर यही सब कारण धीरे-धीरे पाचन तंत्र को कमजोर बनाने लगते हैं और खाना पचाने में दिक्कत होने लगती है।

आज के समय में काफी लोग पाचन तंत्र से जुड़ी समस्याओं से परेशान हैं। लेकिन क्या आप जानते हैं पाचन तंत्र से जुड़ी परेशानियों को कम करने में कुछ योगासन भी काफी कारगर माने जाते हैं। ऐसे में आप बाबा रामदेव द्वारा सुझाए गए योगासनों का सहारा ले सकते हैं।आइए जानते हैं वो 2 आसन कौन से हैं –

नौकासन

स्वामी रामदेव के अनुसार जिन लोगों को खाना डाइजेस्ट होने में दिक्कत आती है। उनके लिए नौकासन योग करना काफी लाभदायक होता है। बता दें कि पेट और पाचन तंत्र से जुड़ी समस्याओं को दूर करने के लिए रोजाना यह आसन करना चाहिए। बता दें कि इस आसन को करने के लिए आप बिल्कुल सीधे बैठ जाएं और टांगों को स्ट्रेच करें। इसके बाद शरीर को धीरे-धीरे ऊपर की तरफ उठाएं और सांस को बाहर की तरफ छोड़ें साथ ही इस मुद्रा में कम से कम 1 मिनट तक रहें। फिर धीरे-धीरे सामान्य मुद्रा में आ जाएं और 3 से 4 बार इस आसन को दोहराएं।

गोमुखासन

डाइजेशन की समस्या को ठीक करने के लिए गोमुखासन भी काफी फायदेमंद होता है। दरअसल यह आसन करने से पीठ और पेट की मांसपेशियों को स्ट्रेच करता है। जिससे डाइजेशन प्रोसेस में मदद मिलती है और पाचन तंत्र मजबूत होता है। बता दें कि गोमुखासन करने के लिए सबसे पहले दाएं पैर को बाएं पैर के ऊपर रख कर बैठे और अब दाएं हाथ को पीछे की ओर ले जाएं। इसके बाद बाएं हाथ की कोहनी को मोड़कर पीठ की और ले जाएं और फिर दोनों हाथों को मिलाते हुए सीधी रेखा बनाए और कुछ देर के लिए इसी मुद्रा में बैठे रहें।