कैंसर एक ऐसी बीमारी जिसका नाम सुनते ही ज़हन में डरावनी फिलिंग आने लगती है। इस बीमारी का अगर समय पर इलाज नहीं किया जाए तो ये मौत का कारण बनती है। आमतौर पर लोग इस बीमारी को लाइलाज बीमारी समझते हैं और उसका इलाज करने के बजाए सिर्फ मौत का इंतजार करते हैं। आप जानते हैं कि कैंसर जानलेवा बीमारी तब साबित होती है जब उसकी पहचान देरी से होती है। अगर डाइट और लाइफस्टाइल में बदलाव किया जाए तो कैंसर जैसी बीमारी से बचाव किया जा सकता है।
कैंसर से बचाव करने में डाइट सबसे अहम किरदार निभाती है। नारायण अस्पताल, गुरुग्राम के वरिष्ठ सलाहकार और निदेशक, मेडिकल ऑन्कोलॉजी,डॉ.रणदीप सिंह के अनुसार डाइट कैंसर की रोकथाम में योगदान देने वाले प्राथमिक तरीकों में से एक है। डाइट पर ध्यान दिया जाए तो वजन भी कंट्रोल रहता है। कैंसर से बचाव करने में डाइट का अहम किरदार है।
हेल्दी डाइट कैंसर के विकास के जोखिम सहित सेहत के विभिन्न पहलुओं को महत्वपूर्ण रूप से प्रभावित करती है। संतुलित और पोषक तत्वों से भरपूर डाइट का सेवन न केवल समग्र स्वास्थ्य में सहायता करता है बल्कि कैंसर की संभावना को कम करने में भी महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है। आइए जानते हैं कि डाइट कैसे कैंसर की रोकथाम में मदद करती है।
डाइट कैसे कैंसर का कारण बनती है?
मोटापा कई तरह के कैंसर जैसे ब्रेस्ट कैंसर,कोलोरेक्टल और गर्भाशय कैंसर सहित कई प्रकार के कैंसर के लिए एक ज्ञात जोखिम कारक है। फलों, सब्जियों, साबुत अनाज और लीन प्रोटीन से भरपूर डाइट वजन कंट्रोल करने में मददगार है। इस डाइट का सेवन करने से मोटापे से संबंधित कैंसर का खतरा कम हो सकता है।
इसके अलावा, कुछ खाद्य पदार्थों में शक्तिशाली कैंसर-रोधी गुण मौजूद होते हैं। फल, सब्जियों, हल्दी में एंटीऑक्सीडेंट गुण मौजूद होते हैं। इन फूड्स में विटामिन और खनिज प्रचुर मात्रा में होता हैं जो फ्री रेडिकल्स से बचाव करने में मदद करते हैं। फ्री रेडिकल्स अस्थिर अणु होते हैं जो कोशिकाओं को नुकसान पहुंचा सकते हैं और संभावित रूप से कैंसर का कारण बन सकते हैं। “ब्रोकोली और केल जैसी क्रूसिफेरस सब्जियों में ऐसे यौगिक होते हैं जो कैंसर विरोधी प्रभाव के लिए जाने जाते हैं। इसके अतिरिक्त डाइट में साबुत अनाज, फलियां और फल जैसे स्रोतों से फाइबर को शामिल करने से पाचन दुरुस्त रहता है जिससे कोलोरेक्टल कैंसर का खतरा कम हो सकता है।
डाइट करती है हॉर्मोन को प्रभावित
हेल्दी डाइट हॉर्मोन के स्तर को भी प्रभावित करती है। डाइट में प्रोसेस फूड्स और शुगर वाले फूड्स का सेवन अधिक करने से इंसुलिन प्रतिरोध और इंसुलिन ग्रोथ फेक्टर के स्तर में बढ़ोतरी हो सकती है, जो कुछ कैंसर से जुड़े होते हैं। कुछ फूड्स एंटी इंफ्लामेटरी गुणों से भरपूर होते हैं जैसे फैटी फिश,अलसी के बीज और अखरोट। इन सभी फूड्स में सूजन रोधी गुण मौजूद होते हैं, जो सूजन से संबंधित कैंसर के खतरे को कम कर सकते हैं।
प्रोसेस फूड्स और रेड मीट का सेवन सीमित मात्रा में करें। रेड मीट और प्रोसेस फूड्स को कोलोरेक्टल कैंसर के बढ़ते खतरे से जोड़ा गया है। इसके बजाय आप डाइट में मछली, पोल्ट्री, फलियां और प्लांट बेस्ड प्रोटीन जैसे लीन प्रोटीन का सेवन करें।