राजधानी दिल्ली में सर्दी के मौसम के साथ वायु प्रदूषण का खतरा बढ़ जाता है। खबरों की मानें तो वर्तमान समय में देश की राजधानी दिल्ली और उसके आसपास के इलाकों में हवा की गुणवत्ता बेहद ख़राब है। जब भी हम ‘वायु प्रदूषण’ के बारे में बात करते हैं, तो आमतौर पर बाहरी इमारतों और घरों के बाहर मौजूद प्रदूषण की बात करते हैं। लेकिन हम इनडोर पॉलुशन के बारे में चर्चा भी नहीं करते हैं। विश्व स्वास्थ्य संगठन के अनुसार वायु प्रदूषण से दिल की बीमारियां, स्ट्रोक, फेफड़ों का कैंसर, क्रॉनिक ऑब्सट्रक्टिव पल्मोनरी डिजीज (सीओपीडी) और तीव्र श्वसन संक्रमण जैसी कई गंभीर बीमारियों का खतरा कई गुना तक बढ़ जाता है।

लैंसेट प्लैनेटरी हेल्थ की एक रिपोर्ट के अनुसार, भारत में पिछले दो दशकों (2000- 2019) में इनडोर या बाहरी वायु प्रदूषण से लगभग 64 प्रतिशत मौतें हुई हैं। पर्यावरण संरक्षण अधिनियम 1986 के अनुसार, इनडोर वायु प्रदूषकों का स्तर अक्सर बाहरी स्तरों की तुलना में 2-5 गुना अधिक होता है। कुछ मामलों में तो इनका स्तर बाहरी स्तरों से 100 गुना अधिक हो सकते हैं। कोरोना महामारी के बाद लोग औसतन अपना 65 प्रतिशत समय अपने घरों के अंदर व्यतीत करते हैं। ऐसे में इनडोर प्रदूषण से हमारे स्वास्थ्य पर क्या प्रभाव पड़ता है इसको लेकर कई स्वास्थ्य विषेशज्ञों ने सलाह दी है, तो आइये जानते है इसपर उनका क्या कहना है।

उजाला हॉस्पिटल के इंटरनल मेडिसिन कंसल्टेंट डॉ शुचिन बजाज के मुताबिक सर्दियों में हवा की गति धीमी हो जाती है, इस वजह से ये प्रदूषक (ओजोन (O3) और नाइट्रोजन डाइऑक्साइड (NO2), पार्टिकुलेट मैटर (PM), और कार्बन मोनोऑक्साइड (CO)) वातावरण के निचले हिस्सों में रह जाते है, इस वजह से हमें सर्दियों में ज्यादा प्रदूषण देखने को मिलता है। हवा, धूप और हवा का दबाव कम होने से हार्ट अटैक का खतरा और अधिक बढ़ जाता है। ठंड और हवा के कारण नसें सिकुड़ती हैं, जिसकी वजहें से हार्ट को ज्यादा खून पंप करने पर मजबूर करता है, जिससे हार्ट पर तनाव बढ़ जाता है और परिणामस्वरुप हार्ट अटैक हो सकता है।

वहीं आकाश हेल्थकेयर के पल्मोनोलोजिस्ट डॉ अक्षय बुधराजा ने बताया कि घर के अंदर की हवा हमेशा बाहर की हवा से खराब नहीं रह सकती है। धुंध (स्मॉग) का लेवल बहुत ज्यादा होने पर लोग सुबह के समय खिड़कियां खुली रखते हैं। बहुत से लोग घर के अंदर धूम्रपान करते हैं। इनडोर प्रदूषक अस्थमा, अतिसंवेदनशीलता न्यूमोनिटिस, आंखों में खुजली, नाक, गले, सिरदर्द, हृदय रोग, खराब नींद की गुणवत्ता आदि जैसे सांस लेने संबंधी समस्या के लक्षण पैदा कर सकते हैं। इसलिए अगर हवा की क्वालिटी को अच्छी बनाए रखने के बारे में लोगों को जानकारी रहे तो इनडोर की हवा को स्वस्थ रखा जा सकता है।

पारस हॉस्पिटल के सीनियर कंसल्टेंट (पल्मोनोलॉजी) डॉ अरुणेश कुमार का कहना है कि इनडोर वायु प्रदूषण स्वास्थ्य पर कई तरह का नकारात्मक प्रभाव डालता है, इसकी वजह से कई बार याददाश्त में कमी होने का भी संकेत मिला है। घर या ऑफिस के अंदर की हवा को प्रदूषण मुक्त रखने के लिए सुगंधित सफाई उत्पादों के बजाय एरोसोल मुक्त उत्पादों का उपयोग करना अच्छा होता है। इसके अलावा इनडोर पौधों जैसे प्राकृतिक एयर प्यूरीफायर का उपयोग करें क्योंकि ऐसे पौधे में हवा से फॉर्मलाडेहाइड, बेंजीन और ट्राइक्लोरोइथेन को हटा करके इसे ऑक्सीजन से बदल देते हैं। घर के अंदर हवा की गुणवत्ता की समस्याओं से छुटकारा पाने के लिए आप घर के अंदर एयर प्यूरीफायर भी लगा सकते हैं।