30 साल की उम्र के बाद हर व्यक्ति को उम्र के हिसाब से खुद का अधिक ध्यान रखना पड़ता है, दरअसल उम्र बढ़ने के साथ महिलाओं के शरीर में बदलाव होते रहते हैं। इन बदलावों के अनुसार उन्हें अपनी केयर करने की जरूरत होती है।
लेकिन आज के समय में खराब लाइफस्टाइल और खानपान के कारण कई बीमारियों के शिकार हो जाते हैं। खासकर तीस की उम्र पार करने के बाद उनको अपनी सेहत (Health) को लेकर ज्यादा कॉन्शस रहना चाहिए। दरअसल इस दौरान हार्मोंस में आए बदलावों की वजह से आंखों की रोशनी पर प्रभाव पड़ता है तो वहीं बालों का सफेद होना, थकना और चेहरे पर भी फाइन लाइंस का बनना शुरू हो जाता है।
इस उम्र को पार करते ही शरीर में पोषक तत्वों की कमी होने लगती हैं। जिसके कारण मांसपेशियों में लचीलापन, हड्डियों का कमजोर होना, एनर्जी कम होना आदि शामिल हैं। यहां हम आपको कुछ ऐसी बीमारियों के बारे में बता रहे हैं, जिनके होने की आशंका 30 की उम्र पार करने के बाद बढ़ जाती हैं। आइये जानते हैं कि ऐसा क्या करने पर इस उम्र के बाद भी आप हेल्दी-फिट (Healthy-Fit) रह सकती हैं-
इनफर्टिलिटी: स्त्री एवं प्रसूति रोग विशेषज्ञ डॉक्टर लवली जेठवानी ने जनसत्ता डॉट कॉम से बातचीत करते हुए बताया कि सामान्यतः 30 की उम्र पार करते ही महिलाओं में प्रजनन क्षमता कम होने लगती है। वहीं जैसे जैसे उम्र बढ़ती है यह और कम हो जाती है। ऐसे में महिलाओं को चाहिए कि वे अपनी फैमिली प्लानिंग सही उम्र में ही कर लें। अगर किसी कारणवश ऐसा नहीं कर पा रही हैं, तो उन्हें अपनी हेल्थ का पूरा ध्यान रखना चाहिए ताकि इनफर्टिलिटी की प्रॉब्लम से बची रह सकें। इसके लिए उन्हें सही खान-पान, जीवनशैली को संतुलित रखकर आप अपनी प्रजनन क्षमता को बरकरार रख सकती हैं। धूम्रपान और अल्कोहल से भी बचना चाहिए।
प्रीमेच्योर ओवरीज फेलियर: डॉक्टर लवली के मुताबिक जब अंडाशय सामान्य मात्रा में एस्ट्रोजन हार्मोन नहीं बनाते या फिर अंडे अपने निश्चित समय पर नहीं निकलते तो प्रीमेच्योर ओवरीज फेलियर का खतरा होता है। ऐसा सामान्यत: मेनोपॉज होने पर होता है। हालांकि हमारे देश में 30 से 40 साल की उम्र वर्ग में प्रीमेच्योर ओवरीज फेल होने के मामले 0.1 प्रतिशत तक देखे जाते हैं। लेकिन बदलती जीवनशैली, काम के दबाव के कारण इस उम्र की 25 प्रतिशत तक महिलाएं इररेग्युलर पीरियड्स से लगातार परेशान रहती हैं।
अन्य बीमारी: तीस की उम्र पार चुकी महिलाओं को PCOS के संबंध में और भी सतर्क रहना चाहिए। दरअसल देर से शादी करने की वजह से महिलाओं में एस्ट्रोजन और प्रोजेस्ट्रॉन हार्मोन्स का बैलेंस बिगड़ने लगता है। पीसीओएस पेशेंट में हार्मोनल डिसबैलेंस के कारण अंडाशय में छोटे-छोटे सिस्ट बन जाते हैं। समय रहते इनका इलाज कराना बेहद जरुरी है। वहीं फाइब्रॉयड एक किस्म की गांठ होती है, जो यूटेरस यानी गर्भाशय में होती है। यह गांठ मांसपेशियों वाली कोशिकाओं से बनी होती है, जो नॉन कैंसरस होती है। 30 से 50 साल की उम्र की महिलाओं को फाइब्रॉयड होने की आशंका ज्यादा होती है।
ऐसे रखें ख्याल: जैसे-जैसे उम्र बढ़ती है एस्ट्रोजन का स्तर घटता है जो कि हड्डी के घनत्व को प्रभावित करता है। ऐसे में दूध, दही, पनीर, ब्रोकली, बादाम आदि का सेवन करें। 30 की उम्र में पहुंचने पर महिलाओं को आयरन से भरपूर खाद्य पदार्थ जैसे मटर, कद्दू के बीज, हरी सब्जियां, किशमिश आदि लें। वहीं हड्डियों के लिए विटामिन डी के साथ कैल्शियम का जरूर सेवन करना चाहिए।