Bal Diwas, Children’s Day 2018 Speech, Essay: बाल दिवस विश्वभर में अलग-अलग दिन मनाया जाता है लेकिन हर जगह इस दिन को मनाने का उद्देश्य बच्चों के विकास से ही जुड़ा है। भारत में बाल दिवस 14 नवंबर को पंडित जवाहरलाल नेहरू के जन्मदिन पर मनाया जाता है। पंडित जवाहरलाल नेहरू को श्रद्धाजंलि देने के लिए हम इस दिन उन्हें याद करते हैं। स्कूलों में शिक्षक नेहरू जी के संदेश को बच्चों तक पहुंचाते हैं और बच्चे पंडित नेहरू के बारे में स्पीच देकर उन्हें सम्मान अर्पित करते हैं। यह दिन बच्चों के शिक्षा के अधिकार, उनके विकास और कल्याण के विषय में लोगों को जागरूक करने के लिए समर्पित है। अगर आप इस बाल दिवस पर स्पीच देने जा रहे हैं तो आइए जानते कैसे आप अपने शब्दों को सही रूप दे सकते हैं।
शिक्षकों के लिए
बाल दिवस की सभी को शुभकामनाएं। आदरणीय पूर्व प्रधानमंत्री पंडित जवाहरलाल नेहरू के जन्मदिन और बाल दिवस पर हम सभी यहां एकत्र हुए हैं। बच्चों के विकास और कल्याण के लिए काम करने वाले नेहरू जी को आज सारा देश याद कर रहा है। आज हम आपके साथ कुछ शेयर करना चाहते हैं। बचपन जीवन का आनंददायक चरण होता है और साथ ही इसे एक संवेदनशील चरण भी माना जाता है। आज के समय में बच्चों के खिलाफ कई अपराध हो रहे हैं। हम और आप सभी को जीवन में हर पल पर सावधान रहना चाहिए चाहे आप घर पर हो या स्कूल में हों।
आपको हमेशा याद रखना चाहिए कि हम आज यहां हैं क्योंकि आप सभी ने आपको सभी को मार्गदर्शन करने के लिए प्रेरित किया है। शिक्षक केवल ज्ञान होने के कारण शिक्षक नहीं बनते बल्कि छात्र भी हमारे जीवन में बहुत ही महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं। आप समझते हैं कि हम आपके लिए क्या महत्व रखते हैं। हमें कहते हुए गर्व है कि यहां मौजूद प्रत्येक छात्र में कुछ ना कुछ क्षमताएं छिपी हैं जिन्हें आपको पहचानना चाहिए और आगे बढ़ना चाहिए।
बच्चों के लिए
आदरणीय प्रधानाचार्य जी, अध्यापक व अध्यापिकाएं और मेरे प्यारे साथियों को बाल दिवस की शुभकाममाएं। चाचा नेहरू के जन्मदिन पर हमें उनके पदचिन्हों पर चलने की कोशिश करनी चाहिए और देश को आगे बढ़ाने में योगदान देना चाहिए। उन्होंने इस देश को विकसित बनाने के लिए बच्चों की शिक्षा, अधिकारों और उनके विकास का सपना देखा था। वह हमेशा कठिन परिश्रम करने के लिए बच्चों को प्रेरित करते थे। बच्चों को उनके संपूर्ण अधिकार प्राप्त हो सके इसके लिए उन्होंने बहुत परिश्रम किए। हमें उनके योगदान को याद रखना चाहिए।
रोने की वजह ना थी, ना कोई हंसने का बहाना था, आखिर क्यों हो गए हम इतने बड़ेइ, ससे अच्छा तो वो बचपन हमाना था।
रोने की वजह ना थी, ना कोई हंसने का बहाना था, आखिर क्यों हो गए हम इतने बड़ेइ, ससे अच्छा तो वो बचपन हमाना था।
एक बचपन का जमाना था, होता जब खुशियों का खजाना था, चाहत होती चांद को पाने की थी, पर दिल तो तितली का दिवाना था- Happy Children's Day
बच्चों को पढ़ाओे तो अमीर बनने के लिए नहीं, उन्हें शिक्षित करो तो खुश रहने के लिए, जिससे कि वो जान सकें चीजों का मूल्य, उनकी कीमत नहीं। Happy Children's Day
बचपन है ऐसा खजाना, जो आता नहीं दोबारा, मुश्किल है इसको भुलाना, वो खेलना, कूदना और खाना और मौज-मस्ती में इठलाना। Happy Children's Day
दुनिया का सबसे सच्चा समय, दुनिया का सबसे अच्छा दिन, दुनिया का सबसे हसीन पल, सिर्फ बचपन में ही मिलता है। Happy Children's Day
रोने की वजह न थी
न हंसने का बहाना था
क्यों हो गए हम इतने बड़े
इससे अच्छा तो बचपन का जमाना था
Happy Children's Day
Such a treasure your precious child is,
Who will thrive on every hug and kiss.
Hold them close and sing them songs;
They will only be a child for so long.
Happy Children’s Day 2018!
आदरणीय महानुभाव, प्रधानाचार्य जी, अध्यापक व अध्यापिकाएं और मेरे सहपाठियों को सुप्रभात। जैसा कि हम सभी जानते हैं कि हम यहाँ स्वतंत्र भारत के पहले प्रधानमंत्री के जन्मदिन अर्थात् बाल दिवस को मनाने के लिए इकट्ठा हुये हैं। मैं इस महान उत्सव को अपने लिए, यादगार उत्सव बनाने के लिए बाल दिवस पर भाषण देना चाहती/चाहती हूँ। हर साल 14 नवम्बर को, पूरे देश के विद्यालयों और कॉलेजों में बाल दिवस के रुप में मनाया जाता है। 14 नवम्बर जवाहर लाल नेहरु का जन्म दिवस है...। भाषण में आप आगे अपने हिसाब से मैटर घटा-बढ़ा सकते हैं।
इन कविताओं के माध्यम से बाल दिवस सेलिब्रेट कर अपना बचपन याद कर सकते हैं और साथ ही अपने आस-पास के बच्चों को शिक्षा के प्रति प्रोत्साहित कर सकते हैं।
चाचा नेहरू तुझे सलाम, अमन शांति का दे पैगाम, जग को जंग से तूने बचाया, हम बच्चों को भी मनाया, किया अपना जन्मदिवस बच्चों के नाम, चाचा नेहरू तुझे सलाम। बाल दिवस मुबारक!
जाहिर है, दक्षता का सबसे अच्छा प्रकार वह है, जो मौजूदा सामाग्री का अधिकतम लाभ उठा सके।।
बिना शांति के सभी सपने खो जाते हैं और राख में मिल जाते हैं।।
हम एक अद्भुत दुनिया में रहते हैं जो सौंदर्य, आकर्षण और रोमांच से भरी हुई है।
यदि हम खुली आंखों से खोजे तो यहां रोमांच का कोई अंत नहीं है।।
संकट और गतिरोध जब होते हैं तो वो हमें कम से कम एक फायदा देते हैं, वो हमें सोचने पर मजबूर करते हैं।।
असफलता तभी आती है जब हम अपने आदर्श उद्देश्य और सिद्धांत भूल जाते हैं।।
जो व्यक्ति भाग जाता है वो शांत बैठे व्यक्ति की तुलना में अधिक खतरे में पड़ जाता है।।
जो पुस्तकें हमें सोचने के लिए विवश करती हैं, वो ही हमारी सबसे ज्यादा सहायक होती हैं।।
आप तस्वीर के चेहरे दीवार की तरफ मोड़ के इतिहास का रुख नहीं बदल सकते हैं।
दूसरों के अनुभवों से लाभ उठाने वाला बुद्धिमान होता है।
बहुत अधिक सतर्क रहने की नीति सभी खतरों में सबसे बड़ी है।
भारत के प्रथम प्रधानमंत्री जवाहरलाल नेहरू ना तो चीनियों के प्रति सॉफ्ट थे और न ही वह उनपर विश्वास करते थे। चीन से आधिकारिक बातचीत के लिए नेहरू अपने विश्वासपात्रों पर भरोसा करते थे, इन्हें गोपनीयता की शपथ दिलाई गई थी और ये विश्वासपात्र नेहरू से अकेले में बात करते थे। ये दावा राजनयिक और कटूनीतिज्ञ जी पार्थसारथी पर आधारित एक किताब में किया गया है। क्लिक कर पढ़ें क्या है दावा।
जवाहरलाल नेहरू की बहन विजय लक्ष्मी पंडित ने अपनी किताब “द स्कोप ऑफ हैप्पीनेस: अ पर्सनल मेमॉयर” में लिखा है कि कमला नेहरू ने जवाहरलाल के वैचारिक परिवर्तन में अहम भूमिका निभायी थी। विजय लक्ष्मी पंडित ने लिखा है, “उसने गांधी के आत्मत्याग के दर्शन को बहुत गंभीरता से लिया था। उसने जवाहर से क्रांतिकारी रुख त्याग कर अपनी जीवनशैली बदलने का अनुरोध किया।” कमला ने महात्मा गांधी के कई आंदोलनों में बढ़-चढ़ कर हिस्सा लिया था। विदेशों सामान का बहिष्कार और इलाहाबाद में शराबबंदी जैसे आंदोलनों में कमला नेहरू महिला जत्थे की अगली कतार में रहती थीं। पढ़ें पूरा वाकया
14 नवंबर 1889 को उत्तर प्रदेश के इलाहाबाद में जन्मे जवाहरलाल नेहरू को बच्चों से खासा लगाव था और बच्चे उन्हें ‘‘चाचा नेहरू’’ कहकर पुकारते थे। भारत में 1964 से पहले तक बाल दिवस 20 नवंबर को मनाया जाता था, लेकिन जवाहरलाल नेहरू के निधन के बाद उनके जन्मदिन अर्थात 14 नवंबर को बाल दिवस के रूप में मनाने का फैसला किया गया। कई देशों में एक जून को बाल दिवस के तौर पर मनाया जाता है। कुछ देश संयुक्त राष्ट्र की घोषणा के अनुरूप 20 नवंबर को बाल दिवस मनाते हैं।