जून के महीने में सूर्य और चंद्र ग्रहण दोनों ही लगने वाले हैं। चंद्र ग्रहण महीने की शुरुआत में, तो वहीं सूर्य ग्रहण महीने के अंत में लगने वाला है। बता दें कि 5 जून को चंद्र ग्रहण लगेगा और इसके बाद 21 जून को सूर्य ग्रहण। चन्द्रग्रहण उस घटना को कहते हैं जब चन्द्रमा और सूर्य के बीच में धरती आ जाती है और धरती की पूर्ण या आंशिक छाया चांद पर पड़ती है। ज्योतिष विद्वानों का कहना है कि एक महीने में दो से अधिक ग्रहण होते हैं तो इसका परिणाम अच्छा नहीं होता है। यह ग्रहण 5 जून को रात 11.15 बजे शुरू होगा और 6 जून को रात 2.34 बजे तक रहेगा। आइए जानते हैं चंद्र ग्रहण से जुड़ी अन्य महत्वपूर्ण जानकारी-
चंद्र ग्रहण के दौरान भूलकर भी ये काम न करें:
– ग्रहण लगने पर सोना नहीं चाहिए।
– ग्रहण के दौरान खाना नहीं खाना चाहिए।
– ग्रहण लगने पर भगवान का ध्यान करना चाहिए या फिर उनके नाम का जप करना चाहिए।
– अगले दिन अच्छी तरह नहाना चाहिए और फिर दान करना चाहिए। सही नियमों का पालन कर के ही ये चीजें करनी चाहिए।
उपच्छाया चंद्र ग्रहण क्या होता है? उपच्छाया चंद्र ग्रहण तब लगता है जब पृथ्वी की वास्तविक छाया में न आकर उसकी उपच्छाया से ही वापस लौट जाता है। इस स्थिति में चांद पर एक धुंधली सी परत नजर आती है। इस घटना में चांद के आकार पर भी कोई असर नहीं पड़ता है, जबकि वास्तविक चंद्र ग्रहण में चंद्रमा के आकार में फर्क पड़ता है। इस घटना को नग्न आंखों के द्वारा नहीं देखा जा सकता है। उपच्छाया चंद्र ग्रहण बहुत अधिक प्रभावशाली नहीं होता है। इस दौरान सूतक काल भी मान्य नहीं होता है।
ग्रहण से पहले सूतक लग जाएगा: वैदिक ज्योतिष के अनुसार ग्रहण छाया-ग्रह राहु और केतु के कारण घटित होते हैं। ग्रहण से पहले सूतक काल आरंभ होता है जिसे अशुद्ध समय माना जाता है। ज्योतिष के अनुसार, चंद्र ग्रहण के दौरान सूतक 9 घंटे पहले ही प्रभावी हो जाता है।
चंद्र ग्रहण तीन प्रकार के होते हैं: पूर्ण, आंशिक और उपच्छाया। जानकारी के मुताबिक, साल 2020 में चार चंद्र ग्रहण लगने वाला है। बता दें कि एक जनवरी में हुआ था और बाकी जून, जुलाई और नवंबर में लगने वाले हैं। 5 जून को होने वाला चंद्रग्रहण उपच्छाया होगा। इसका मतलब है कि चांद, पृथ्वी की हल्की छाया से होकर गुजरेगा।