कौटिल्य के नाम से मशहूर आचार्य चाणक्य महान अर्थशास्त्री और रणनीतिकार थे। अपनी नीतियों के बल पर ही उन्होंने नंद वंश का नाश कर, एक साधारण से बालक चंद्रगुप्त मौर्य को मगध का सम्राट बनाया था। चाणक्य जी ने समाज का मार्गदर्शन करने के लिए एक नीति शास्त्र की रचना भी की थी। सुनने में चाणक्य जी की नीतियां भले ही कठिन लगें लेकिन माना जाता है कि जो व्यक्ति आचार्य चाणक्य की नीतियों का अनुसरण कर ले वह अपनी जिंदगी में सभी सुखों को प्राप्त करता है।
आचार्य चाणक्य ने अपने नीति शास्त्र में धन संचयन का महत्व बताया है। चाणक्य जी ने ऐसी गलतियों का जिक्र किया है, जो धन के मामले में व्यक्ति को भूलकर भी नहीं करनी चाहिए।
धन आगमन के लिए: चाणक्य जी बताते हैं कि मां लक्ष्मी केवल उसी घर में निवास करती हैं, जहां शांति का वातावरण और साफ-सफाई रहती है। जिस घर में परिजनों के बीच परस्पर प्यार की भावना होती है, जिस घर में पति और पत्नी के बीच प्रेम होता है। उस घर में मां लक्ष्मी का आगमन होता है। साथ ही घर में आर्थिक सुख-समृद्धि आती है।
कटु भाषा का ना करें प्रयोग: चाणक्य जी कहते हैं कि जिन लोगों की भाषा और आवाज कटु होती है, उस घर में कभी भी लक्ष्मी का वास नहीं होता। कटु भाषा का इस्तेमाल करने वाले व्यक्तियों को कभी भी व्यापार के मामले में लाभ नहीं होता। हालांकि जिन लोगों की मधुर वाणी होती है, उसके घर में आर्थिक संपन्नता बनी रहती है। इसलिए चाणक्य जी मधुर वाणी बोलने की सलाह देते हैं।
दान करें: चाणक्य नीति के अनुसार धनवान व्यक्ति को हमेशा दान-पुण्य करते रहना चाहिए। क्योंकि दान-पुण्य करने से मां लक्ष्मी प्रसन्न होते हैं। वहीं धन होने के बाद भी जो लोग दान नहीं करते, उनसे लक्ष्मी जी रूठ जाती हैं। साथ ही उन्हें आर्थिक नुकसान उठाना पड़ता है।
कार्यक्षेत्र में बनाएं तालमेल: आचार्य चाणक्य जी का मानना है कि व्यक्ति को अपने कार्यक्षेत्र में सहकर्मियों का सम्मान करना चाहिए। क्योंकि ऐसा करने से ना सिर्फ मां लक्ष्मी प्रसन्न होती हैं बल्कि आपको समाज में मान-सम्मान भी प्राप्त होता है।