कोरोना महामारी का दंश पूरा देश झेल रहा है। लगभग हर दिन ऑक्सीजन की कमी से मरीजों के मौत की खबरें सामने आ रही हैं। कर्नाटक में चामराजनगर के एक सरकारी अस्पताल में ऑक्सीजन की कमी से पिछले 24 घंटे में 24 कोविड मरीजों के मौत की खबरें सामने आ रही हैं। देशभर में ऑक्सीजन की कमी से हो रही मौतों पर केंद्र सरकार कटघरे में है। इसी बीच बीजेपी से राज्य सभा सांसद सुब्रह्मण्यम स्वामी ने दावा किया है कि ऑक्सीजन की कमी को लेकर स्वास्थ्य के लिए संसद की स्थायी समिति ने सरकार को अक्टूबर 2020 में ही चेताया था लेकिन उस पर कोई ध्यान नहीं दिया गया।
सुब्रह्मण्यम स्वामी ने यह दावा अपने ट्वीट में किया है। अपने आधिकारिक ट्विटर अकाउंट से किए गए ट्वीट में भाजपा सांसद ने लिखा, ‘सरकार को यह कहना बंद करना चाहिए कि कितनी ऑक्सीजन उपलब्ध है बल्कि यह बताए कि कितनी सप्लाई हुई है और किस अस्पताल को। अक्टूबर 2020 में ही स्वास्थ्य के लिए संसद की स्थायी समिति ने यह चेतावनी दी थी कि ऑक्सीजन सिलेंडर की आपूर्ति और आउटपुट की भारी किल्लत है। सरकार ने इस तरफ कोई ध्यान नहीं दिया।’
ऑक्सीजन की कमी से दिल्ली के कई अस्पताल भी जूझ रहे हैं जिस कारण से संक्रमित मरीजों के मरने की भी खबरें आई हैं। दिल्ली हाईकोर्ट ने केंद्र को इसके लिए फटकार भी लगाई कि वो दिल्ली को आवंटित 490 मीट्रिक टन ऑक्सीजन मुहैया कराए।
Govt should stop saying how much O2 is available but tell us how much has been supplied and to which hospital. As far back as October 2020, the Standing Committee of Parliament for Health had warned of the acute shortage in O2 cylinders in output & supply. Govt did not bother.
— Subramanian Swamy (@Swamy39) May 3, 2021
देश में कोरोना अचानक इतना भयावह कैसे हो गया? क्या सरकार को वैज्ञानिकों और स्वास्थ्य विशेषज्ञों ने इस बारे में कोई पूर्व चेतावनी नहीं दी? जैसे बीजेपी सांसद का कहना है कि ऑक्सीजन की किल्लत को लेकर सरकार को चेतावनी दी गई थी उसी तरह वैज्ञानिकों ने भी सरकार को इस बाबत चेतावनी दी थी जिस पर ध्यान नहीं दिया गया।
ब्रिटिश मीडिया संस्थान द गार्जियन ने समाचार एजेंसी रॉयटर्स के हवाले से शनिवार को एक रिपोर्ट छापी है जिसके मुताबिक, चार भारतीय वैज्ञानिकों ने भारत सरकार को यह कहा था कि बड़े स्तर पर प्रतिबंध लगाने की जरूरत है ताकि कोरोना का नया वेरिएंट देश में न फैले।
रिपोर्ट में यह कहा गया कि वैज्ञानिकों की चेतावनी को अनदेखा कर सरकार ने बड़े आयोजनों को मंजूरी दी। लाखों लोग कुंभ, राजनीतिक रैलियों आदि में शामिल हुए।

