टीवी का सबसे कॉन्ट्रोवर्शियल शो बिग बॉस हर बार की तरह इस बार भी खूब सुर्खियां बटोर रहा है। शो के 17वें सीजन में टीवी और फिल्मी जगत के कई छोटे-बड़े सितारों ने हिस्सा लिया है, जिनमें एक नाम फेमस अदाकारा अंकिता लोखंडे (Ankita Lokhande) का भी है। अभिनेत्री अपने पति विक्की जैने (Vicky Jain) के साथ शो का हिस्सा बनी हैं। वहीं, हाल ही में कपल से जुड़ी एक बात जबरदस्त चर्चाओं में बनी रही। खबरें थी की सलमान खान (Salman Khan) के शो में अंकिता लोखंडे और उनके पति को स्पेशल हेयर कलर और हेयर कट जैसी सुविधा दी गई हैं, जबकि शो के नियमों के मुताबिक किसी भी कंटेस्टेंट को घर के अंदर इस तरह की कोई सर्विस नहीं मिलती है।
इधर, मामले को लेकर जब बाकी घरवालों ने आपत्ति जताई, तब अंकिता ने बताया कि उन्हें इस तरह की कोई सुविधा नहीं मिली है। इससे अलग वे ग्लूटाथियोन के इंजेक्शन लेती हैं और वो उनका मेडिकल कंडिशन है, इसी के लिए उन्हें खास मेडिकल रूम में बुलाया गया था। अब, अभिनेत्री के इस बयान के बाद से ही अधिकतर लोगों के मन में सवाल है कि आखिर ग्लूटाथियोन होता क्या है? इस लेख में हम आपको इसी के बारे में बता रहे हैं-
क्या है ग्लूटाथियोन?
दरअसल, ग्लूटाथियोन हमारी बॉडी में बनने वाले सबसे महत्वपूर्ण और शक्तिशाली एंटीऑक्सिडेंट में से एक है। यह मुख्य रूप से तीन अमीनो एसिड से मिलकर बना होता है, ग्लूटामाइन, ग्लाइसिन और सिस्टीन। वहीं, वैसे तो ग्लूटाथियोन कई खाद्य पदार्थों में प्राकृतिक रूप से भी मौजूद होता है। हालांकि, हेल्थ एक्सपर्ट्स बताते हैं कि ओरल रूप से लिए जाने पर ग्लूटाथियोन गट में टूट जाता है और शरीर में पूरी तरह से नहीं पहुंच पाता है। वहीं, जब आप इंजेक्शन के रूप में ग्लूटाथियोन को लेते हैं, तो ये पाचन तंत्र को दरकिनार करते हुए सीधे ब्लड के साथ घुल जाता है।
क्या हैं फायदे-नुकसान?
एक्सपर्ट्स बताते हैं कि आमतौर पर ग्लूटाथियोन इंजेक्शन का सबसे अधिक उपयोग त्वचा के रंग को हल्का करने और स्किन पर हुए पिगमेंटेशन यानी झाइयों को कम करने के लिए किया जाता है। इसकी हाई डोज मेलेनिन के प्रोडक्शन को रोकने में सहायता करती है। वहीं, मेलेनिन ही स्किन के रंग के लिए जिम्मेदार पिगमेंट होता है।
इससे अलग ग्लूटाथियोन हमारे शरीर की कोशिकाओं में बनता है और शरीर में डैमेज्ड सेल्स को रिपेयर करने के मदद करता है। ग्लूटाथियोन का इंजेक्शन शरीर के एंटीऑक्सीडेंट स्तर को बढ़ाता है, मुक्त कणों को कम करता है और त्वचा के स्वास्थ्य को बनाए रखता है। साथ ही ये डिटॉक्सीफिकेशन में सहायता करने और डीएनए को क्षति से बचाने में भी मददगार है। इसका इस्तेमाल कीमोथेरेपी और वायरल इंफेक्शन के इलाज में भी किया जाता है।
एक्सपर्ट्स बताते हैं कि इंजेक्शन के रूप में लिए जाने पर एक डोज में 600 ml से लेकर 1200 ml तक ग्लूटाथियोन दिया जाता है। हालांकि, इसका असर कुछ समय के लिए ही रहता है। यही वजह है कि स्किन को लाइट बनाए रखने के लिए ग्लूटाथियोन की मेंटेनेंस डोज दी जाती है। हालांकि, कई बार इसके गंभीर साइड इफेक्ट्स भी हो सकते हैं जैसे- थायरॉइड ग्रंथि का ठीक से काम न कर पाना या गंभीर स्किन रिएक्शन हो जाना। इसके अलावा किडनी पर भी इसका बेहद खराब असर पड़ता है। ऐसे में किडनी और थायरॉइड के मरीजों को ग्लूटाथियोन इंजेक्शन नहीं लेने की सलाह दी जाती है।
Disclaimer: आर्टिकल में लिखी गई सलाह और सुझाव सिर्फ सामान्य जानकारी है। किसी भी प्रकार की समस्या या सवाल के लिए डॉक्टर से जरूर परामर्श करें।