डायबिटीज एक ऐसी बीमारी है जिसके मरीजों को अपनी डाइट और बॉडी की एक्टिविटी का ध्यान रखना जरूरी है। डायबिटीज को कंट्रोल नहीं करें तो इस बीमारी के जोखिम बढ़ते जाते हैं। डायबिटीज के मरीजों के ब्लड में शुगर का स्तर बढ़ने से ना सिर्फ आंतरिक अंगों जैसे किडनी, लंग्स और दिल को खतरा पहुंचता है बल्कि बॉडी के बाहरी अंगों को भी नुकसान पहुंचता है। डायबिटीज के मरीजों को सबसे ज्यादा परेशानी पैरों में होती है। फुट अल्सर एक ऐसी बीमारी है जिससे दुनिया भर में लगभग 15 से 25 फीसदी लोग शिकार हैं।

पैरों के अल्सर की वजह से पैरों में दर्द, जलन और सूजन की परेशानी होती है। ये अल्सर खराब स्किन पर होता है इसलिए डायबिटीज के मरीज अपने पैरों का खास ध्यान रखें। इस अल्सर का सबसे ज्यादा असर पैरों के टखनो, पिंडलियों और तलवों पर देखने को मिलता है।आयुर्वेदिक उपचार मधुमेह के साथ-साथ पैर के अल्सर की जटिलता को भी ठीक कर सकता है। डायबिटिक फुट अल्सर तब विकसित होता है जब एक खुला घाव पूरी तरह से ठीक नहीं होता है और अल्सर हो जाता है। अगर लक्षणों को नजरअंदाज किया जाए तो इसके लक्षण गंभीर हो सकते हैं।

पैरों का अल्सर होने पर तुरंत डॉक्टर को दिखाएं साथ ही आप कुछ आयुर्वेदिक उपायों को भी अपना सकते हैं। कुछ आयुर्वेदिक नुस्खें इतने ज्यादा असरदार हैं कि डायबिटीज के मरीज उन्हें अपनाकर फुट अल्सर से छुटकारा पा सकते हैं। आइए योग गुरू बाबा राम देव से जानते हैं कि डायबिटीज के मरीज फुट अल्सर का इलाज कैसे करें।

डाइट में करें प्रोटीन और विटामिन बी 12 शामिल:

पैरों की ये परेशानी इम्युनिटी कम होने की वजह से होती है इसलिए डाइट में विटामिन सी और विटामिन बी 12 का सेवन करें। मोरिंगा ओलीफेरा का सेवन करें। प्रोटीन का अधिक सेवन करें। प्रोटीन की कमी को पूरा करने के लिए दूध का हल्दी के साथ सेवन करें।

हरीताकि का इस्तेमाल करें:

मधुमेह के रोगियों में ब्लड शुगर को कंट्रोल करने के लिए हरीतकी एक बेस्ट दवा है। हरीतकी शरीर में इंसुलिन के स्राव में सुधार करती है, जिससे रक्त शर्करा का स्तर कंट्रोल रहता है। हरीतकी मधुमेह को कंट्रोल करके फुट अल्सर को बिगड़ने से रोकती है।

तिल का तेल लगाएं:

डायबिटीज को कंट्रोल करने में तिल का तेल बेहद असरदार साबित होता है। ये तेल ब्लड में शुगर का स्तर कंट्रोल करता है। एंटी इंफ्लामेटरी और एंटीऑक्सीडेंट गुणों से भरपूर ये तेल डायबिटीज फुट अल्सर से बचाव करने में असरदार साबित होता है। तिल का तेल कोलेजन के स्तर को बढ़ाता है और मधुमेह के पैर के अल्सर में नए ऊतक रिजनरेट करता है।

जत्यादि तेल का इस्तेमाल करें:

जत्यादि तेल आयुर्वेद में उपयोग की जाने वाली कई जड़ी-बूटियों से बना एक हर्बल तेल है। मधुमेह के पैर के घाव की ड्रेसिंग के लिए तेल का इस्तेमाल सालों से किया जाता है। जत्यादि तेल खुले घाव या अल्सर को ठीक करता है और अल्सर के आसपास लालिमा, दर्द और खुजली को भी कम करता है। शुरूआती अवस्था में मधुमेह के पैर के घावों को ठीक करने के लिए ये तेल असरदार साबित होता है।

पैरों की एक्सरसाइज करें:

पैरों को सीधा रखें और पंजों को आगे-पीछे दबाएं। पैरों के टिशू रिपेयर होंगों और पैरों के अल्सर से निजात मिलेगी। आप पैरों की उंगलियों के बीच के प्वाइंट को भी दबा सकते हैं इससे पैरों को टिशू स्ट्रॉन्ग होंगें और पैरों के दर्द से निजात मिलेगी।