पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी ने अपने कार्यकाल में कई अहम फैसले लिए थे। वाजपेयी की छवि बड़े-बड़े फैसलों को आसानी से लेने वाले प्रधानमंत्री की थी। विपक्षी दलों और नेताओं से भी उनके अच्छे संबंध थे। हालांकि एक समय ऐसा भी आया था जब अटल बिहारी वाजपेयी की सरकार सदन में अविश्वास प्रस्ताव के दौरान बहुमत साबित नहीं कर पाई थी और उन्हें इस्तीफा देना पड़ा था।
1998 के आम चुनाव में NDA को बहुमत नहीं मिला था और AIADMK के समर्थन से वाजपेयी ने सरकार बनाई थी। जयललिता ने इसके बाद सरकार पर कई तरह का दबाव बनाना शुरू कर दिया था, लेकिन वाजपेयी ने उनकी बात नहीं मानी थी। इसके बाद जयललिता ने सरकार से अपना समर्थन वापल ले लिया था। सदन में दोबारा वोटिंग हुई। बीजेपी को ये पता था कि मायावती के समर्थन के बिना बहुमत साबित करना संभव नहीं होगा।
मायावती को बीजेपी का ऑफर: मायावती को बीजेपी सांसद रंगराजन कुमारमंगलम ने तो यहां तक आश्वासन दे दिया था कि अगर केंद्र में एनडीए की सरकार बनती है तो उन्हें बीजेपी के समर्थन से यूपी का मुख्यमंत्री बना दिया जाएगा। हालांकि मायावती ने इसके बावजूद सदन में कुछ ऐसा किया था, जिसकी किसी को उम्मीद नहीं थी। मायावती ने वोटिंग के दौरान अपने सांसदों की तरफ देखा और जोर से चिल्लाईं ‘लाल बटन दबाओ’। मतों की गिनती हुई और एक वोट से अटल बिहारी वाजपेयी की सरकार 1999 में गिर गई।
क्या बोलीं मायावती? सदन से बाहर आने के बाद मायावती मुस्कुराती हुईं पत्रकारों से मिली थीं। पत्रकारों ने उनसे पूछा, ‘किसको वोट दिया आपने और क्यों?’ मायावती इसके जवाब में कहती हैं, ‘हमने मौजूदा सरकार के खिलाफ वोट दिया है और हमारी वजह से सरकार गिरी है। ये उत्तर प्रदेश का बीजेपी को जवाब है। बीएसपी अपने कार्ड पहले नहीं खोलती है। बीजेपी वालों ने कहा था कि यूपी में उनका विधानसभा स्पीकर शक्ति का दुरुपयोग नहीं करेगा, लेकिन उन्होंने ऐसा किया और हमारे विधायक तक तोड़े। हमने किसी को पहले नहीं बताया और एक वोट से सरकार गिरा दी।’
बता दें, इलेक्ट्रॉनिक स्कोरबोर्ड पर सामने आए आंकड़े ने सबको चौंका दिया था। क्योंकि सरकार के समर्थन में 269 और विपक्ष में 270 वोट पड़े थे। शक्ति सिन्हा अपनी किताब ‘वाजपेयी द ईयर्स दैट चेंज्ड इंडिया’ में लिखते हैं, ‘वोटिंग के बाद वाजपेयी जब अपने कमरे में पहुंचे तो उनकी आंखों में आंसू थे। उन्हें लगा सदमा उनके चेहरे पर भी साफ झलक रहा था, लेकिन उन्होंने पांच-सात मिनट में ही खुद को संभाला और इस्तीफा लेकर राष्ट्रपति भवन की तरफ रवाना हो गए थे।’