श्रीशचंद्र मिश्र

पश्चिमी जीवन शैली को अपनाने के आतुर लोगों ने सहजीवन यानी लिव इन रिलेशनशिप में रहने की अवधारणा को तेजी से एक फैशन के रूप में अपनाना शुरू किया है। मशहूर लोगों में यह प्रचलन आम है। रणबीर कपूर और कैटरीना कैफ अरसे से सहजीवन में रह रहे हैं। सैफ अली खान की बहन सोहा अली खान अरसे तक कुणाल खेमू के साथ ऐसे ही रिश्ते में रहीं। टीवी कलाकारों को भी अब सहजीवन भाने लगा है। टीवी डांस शो ‘नच बलिए’ की ज्यादातर जोड़ियां सहजीवन में रह रही हैं…

अपने देश में सहजीवन को सामाजिक मान्यता नहीं मिली है लेकिन वैधानिक रूप से ऐसा जीवन जीने वालों पर तब तक कोई बंदिश नहीं है जब तक वे किसी विधान को न तोड़ें। दो साल पहले संसद के मानसून अधिवेशन में विवाह का पंजीकरण अनिवार्य करने वाला बिल पास होने के बाद से सहजीवन की समय-समय पर व्याख्या हुई है। इसकी व्यावहारिकता पर सवाल उठे हैं। पक्ष-विपक्ष में दलीलें सामने आई हैं। सहजीवन संबंधों को शादी के तरह के रिश्ते के दायरे में लाने का सुप्रीम कोर्ट दिशा निर्देश दे चुका है। विवाह का पंजीकरण अनिवार्य कराने से वैवाहिक रिश्तों में स्थायित्व आने की बात सोचना दूर की कौड़ी है। कानून लागू होने से ज्यादा जरूरी है समाज व परिवार की मानसिकता में बदलाव। लेकिन इस कानून ने वैवाहिक संबंधों से जुड़ी कई पारिवारिक व सामाजिक समस्याओं का समाधान होने का रास्ता तो दिखाया ही है। अदालतों में जितने भी पारिवारिक विवाद पहुंचते हैं उनमें संपत्ति विवाद के बाद सबसे ज्यादा संख्या वैवाहिक संबंधों से जुड़े विवादों की ही होती रही है।

विवाह का अनिवार्य पंजीकरण कराने की मांग विभिन्न स्तरों पर काफी समय से उठती रही है। सामुदायिक, धार्मिक व सामाजिक बाध्यताओं, मान्यताओं व जटिलताओं की वजह से एक अनिवार्य व्यवस्था के रूप में इसे लागू करने में अड़चन आती रही। यह कानून बनाना इसलिए जरूरी हो गया था क्योंकि बदलती सामाजिक व्यवस्था और बिगड़ते मानवीय मूल्यों ने विवाह जैसी रस्म की परिभाषा को बदल दिया है। वैवाहिक संबंधों में तनाव बढ़ रहा है और इसमें धोखाधड़ी, जालसाजी, व्यभिचार जैसी आपराधिक प्रवृत्तियां पनपने लगी है। लिहाजा,विवाह का पंजीकरण अनिवार्य करने के कानून में साफ व्यवस्था है कि ऐसे मामलों में किसी भी तरह के विवाद का निपटारा करने के लिए पारिवारिक अदालतें गठित की जाएं और 2011 में बने अनिवासी भारतीय कानून को सख्ती से लागू करने के लिए राज्य आयोग को अधिकार दिए जाएं। यह अलग बात है कि ऐसी व्यवस्था पर पूरी तरह अमल होने में कितना समय लगेगा, यह कहा नहीं जा सकता।

विवाह का पंजीकरण अनिवार्य करने के कानून ने एक तरह से महिलाओं के अधिकार सुनिश्चित करने के लिए संविधान में दिए गए प्रावधान की ही पुष्टि की है। मगर देश में पारिवारिक और सामाजिक ढांचा जिस तेजी से बदल रहा उससे सहजीवन का चलन अब कस्बों तक पहुंच गया है। ऐसे रिश्तों की वैधानिकता और व्यावहारिकता पर कानूनी बहस छिड़ने के अलावा व्याख्या भी शुरू हो गई है। पांच साल पहले सुप्रीम कोर्ट के सामने सहजीवन और उसका हिस्सा बनी महिला के अधिकारों का मामला आया तो शीर्ष अदालत ने कुछ शर्तों के साथ सहजीवन को मान्यता दे दी।
सहजीवन को अपराध या पाप की परिभाषा से दूर रखते हुए सुप्रीम कोर्ट ने 2013 में संसद से सहजीवन संबंध निभाने वाली महिलाओं और सहजीवन से जन्मे बच्चों के अधिकारों की सुरक्षा के लिए कानून बनाने को कहा। सहजीवन संबंध को घरेलू हिंसा विरोधी कानून के तहत लाने के लिए सुप्रीम कोर्ट ने कुछ दिशा निर्देश भी दिए। मामला सहजीवन से जुड़ी महिला के रिश्ता खत्म हो जाने के बाद पुरुष से गुजारा भत्ता मांगने का था।

इससे पहले खंडवा (मध्यप्रदेश) की लोक अदालत ने सुप्रीम कोर्ट के पहले आए निर्देशों के आधार पर पत्नी के अलावा उसके पति के साथ सहजीवन में रह रही महिला को भी एक ही घर में रहने की इजाजत दे दी। और यह भी फैसला दिया कि दूसरी महिला को सहजीवन साथी के मकान, खेत व जमीन में भी आधा हिस्सा मिलेगा। कुछ देशों में तो सहजीवन को कानूनी मान्यता भी मिल गई है। भारत में स्थिति अलग है। सहजीवन को विवाह जैसा मानने से कई तरह की जटिलताएं पैदा हो सकती हैं। सरकार की चेतावनी है कि विवाह का पंजीकरण न कराने वालों को नतीजे भुगतने होंगे। इससे पहले सरकार को स्पष्ट करना होगा कि सहजीवन के मामलों में इस कानून की क्या भूमिका रहेगी?

ऐसे रिश्तों की परिणति

ऐसे रिश्तों की क्या परिणति हो सकती है, इसके लिए अभिनेत्री नीना गुप्ता की मिसाल ही काफी है। सालों पहले वे वेस्टइंडीज के क्रिकेटर विवियन रिचर्ड्स से गर्भवती हुईं। रिचर्ड्स उस समय बड़े सितारे थे और उन्होंने स्पष्ट कर दिया था कि वे शादी नहीं करेंगे। बिन ब्याही मां का उपहास सहते हुए उन्होंने बेटी को पाला। नीना से उन्होंने संपर्क जरूर बनाए रखा। बहरहाल, कुछ साल पहले नीना गुप्ता दिल्ली के व्यवसायी विवेक मेहरा के साथ सहजीवन रहने लगीं। रिचर्ड्स से 27 साल पहले हुई बेटी मसाबा के साथ वे दिल्ली आ गईं। नौ साल बाद उन्होंने विवेक से शादी कर ली है। नीना का कहना है कि अगर किसी लड़की को सामाजिक स्वीकार्यता चाहिए तो उसे शादी को पहली प्राथमिकता देना चाहिए। नीना के बेटी मसाबा सहजीवन के पक्ष में नहीं है।

आठ दिशा निर्देश

सहजीवन पर सुप्रीम कोर्ट ने संबंध की अवधि, एक ही घर में रहने, वित्तीय संसाधनों में बंटवारे समेत आठ दिशा निर्देश दिए। कोर्ट ने तब माना था कि ऐसे रिश्ते सामाजिक रूप से स्वीकार्य नहीं हैं लेकिन फिर भी इसे वैवाहिक संबंधों की प्रकृति के दायरे में लाया जाए। सुप्रीम कोर्ट ने संसद से गौर कर अधिनियम में उपयुक्त संशोधन कर विधेयक लाने को कहा है, इस दलील के साथ कि कानून बनाए जाने की जरूरत महिला को राहत देने के लिए ज्यादा है।