Yoga for Arthritis: शरीर में यूरिक एसिड के बढ़ने की वजह से व्यक्ति को अर्थराइटिस की समस्या हो जाती है। इस बीमारी में असहनीय दर्द के साथ कभी-कभी हाथ-पैर में सूजन भी हो जाती है। एक रिपोर्ट के अनुसार आज भारत में हर चौथा व्यक्ति हड्डियों से जुड़ी समस्या से परेशान है। ये रोग केवल बुजुर्गों को ही नहीं बल्कि युवाओं को भी अपनी चपेट में ले सकती है। आमतौर पर इस बीमारी के लक्षण 30 से 50 साल की उम्र के बीच दिखाई देता है, हालांकि बदलते जीवनशैली और खानपान के वजह से कम उम्र के बच्चों मे भी ये समस्या देखी जाती है।
घुटनों में सूजन, स्किन का लाल होना और जोड़ों में दर्द अर्थराइटिस के कुछ लक्षण हैं। बाबा रामदेव के अनुसार योग के माध्यम से आप इस समस्या से छुटकारा पा सकते हैं। ऐसे में आइए जानते हैं कि कौन से योगाभ्यासों को करने से शरीर में यूरिक एसिड की मात्रा काबू में रहेगी और लोग अर्थराइटिस की परेशानी से बचे रहेंगे।
भस्त्रिका: इस प्राणायाम को 3 तरीकों से किया जाता है। शुरुआत में 5 सेकेंड सांस ले और उतनी ही देर में सांस छोड़ें। दूसरी बार में 5 सेकेंड की जगह केवल 2.5 सेकेंड का वक्त लीजिए। तीसरे दौर में लगातार सांस लें और छोड़े। इस प्राणायाम को 5 मिनट करें।
उष्ट्रासन: इस योगासन को बैठ कर किया जा सकता है। यूरिक एसिड के बढ़ने से टखने, कमर, गर्दन, घुटने आदि में दर्द महसूस होता है। उष्ट्रासन योग के माध्यम से इसे कम किया जा सकता है। उष्ट्रासन के अभ्यास से हमारी पीठ स्ट्रेच होती है। इस आसन में सिर थोड़ा झुकाना पड़ता है वहीं, पेट उठा हुआ रहता है। यह आसन हमारे हिप्स और थाई के लिए भी फायदेमंद होता है।
भ्रामरी प्राणायाम: ये प्राणायाम सुखासन या पद्मासन की अवस्था में बैठ कर किया जाता है। पहले अंदर गहरी सांस भरें। सांस भरकर पहले अपनी उंगलियों को ललाट में रखते हैं। जिसमें 3 अंगुलियों से आंखों को बंद करें और अंगूठे से कान को बंद करें। उसके बाद मुंह को बिना खोले ‘ऊं’ का नाद करते हैं। इस प्राणायाम को 3-20 बार किया जा सकता है।
कपालभाति: इस प्राणायाम का अवधि 5 से 10 है। हर 5 मिनट के बाद 1 मिनट आराम करें।