Sonam Kapoor News: बॉलीवुड एक्ट्रेस सोनम कपूर (Sonam Kapoor) ने इसी साल 20 अगस्त को अपने पहले बच्चे को जन्म दिया है। अभिनेत्री, अक्सर अपनी प्रेगनेंसी के एक्सपीरियंस लोगों के साथ साझा करती रहती हैं। सोनम ने इंस्टाग्राम पर अपनी प्रेग्नेंसी और बच्चे के जन्म (Postnatal) के बारे में बहुत सी बातें अपने फैंस के साथ शेयर की हैं। उन्होंने इंस्टाग्राम पर बताया कि कैसे उन्होंने अपने बेटे को जन्म देने के लिए ‘जेंटल बर्थ मेथड’ (Gentle Birth Method) की मदद ली थी।

सोनम (Sonam Kapoor) ने लिखा है कि वो अपने बच्चे को नैचुरल तरीके से जन्म देना चाहती थीं, जहां तक संभव हो मेडिकल हस्तक्षेप कम हो। एक्ट्रेस ने बताया कि उनकी नैचुरल डिलीवरी कराने में डॉ. गौरी मोथा ने बेहद मदद की। उन्होंने ‘जेंटल बर्थ मेथड’ नाम की एक किताब भी लिखी है जिसमें उन्होंने बताया है कि बच्चे के जन्म से पूर्व की दिक्कतों से कैसे निबटा जाए। अब सवाल ये उठता है कि आखिर ‘जेंटल बर्थ मेथड’ (Gentle Birth Method) है क्या ? जिसका सहारा लेकर सोनम ने नैचुरल डिलीवरी की है।

‘जेंटल बर्थ मेथड’ क्या है? (What is the Gentle Birth Method?)

‘जेंटल बर्थ मेथड’, डॉ. मोथा द्वारा डिज़ाइन की गई एक तकनीक है। इस तकनीक का इस्तेमाल महिलाओं की प्रेग्नेंसी को आरामदायक, शांत और आत्मविश्वास के साथ बच्चे को जन्म देने के लिए अपनाया जाता है। ये तकनीक ब्रिटेन में काफी समय से चल रही है, जिसका चलन हाल ही में भारत में भी शुरू हुआ है। यह मूल रूप से एक वेलनेस प्रोग्राम (Wellness Program) है। दिल्ली के एलांटिस हेल्थकेयर के प्रबंध निदेशक और स्त्री रोग विशेषज्ञ डॉ. मनन गुप्ता ने इंडियन एक्सप्रेस को बताया है कि इस प्रक्रिया में मन और शरीर की सकारात्मकता शामिल है।

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(Source: Sonam Kapoor/Instagram)

क्यों लिया जाता है जेंटल बर्थ मेथड का सहारा?

प्रेगनेंसी में मां को अधिक आत्मविश्वासी, आराम और शांत रहना बेहद जरूरी है जिसके लिए जेंटल बर्थ मेथड का सहारा लिया जाता है। इस प्रक्रिया में महिला को 18 हफ्तों तक शुगर फ्री भोजन दिया जाता है और कई तरह के योग कराए जाते हैं। इस प्रक्रिया को अपनाने से प्रेग्नेंसी आसान होती है।

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जेंटल बर्थ मेथड में क्या-क्या शामिल है?

  • डॉ. गुप्ता के अनुसार ‘जेंटल बर्थ मेथड’ में शरीर को शांत रखने के लिए योग और ध्यान (meditation )को शामिल किया जाता है।
  • महिला की डाइट में, डिलीवरी डेट से 4 महीने पहले से शुगर फ्री और गेहूं-फ्री (sugar-free and wheat-free) भोजन को शामिल किया जाता है।
  • इसमें महिला को सकारात्मक डिलीवरी (positive birth) की कल्पना करने पर जोर दिया जाता है।
  • हिप्नोथेरेपी की जाती है जिससे मां सहज और शांत डिलीवरी की कल्पना कर सके।