Banu Mushtaq: सुप्रीम कोर्ट ने शुक्रवार को उस याचिका पर सुनवाई करने पर सहमति व्यक्त की जिसमें मैसूरु दशहरा उत्सव के उद्घाटन के लिए बानू मुश्ताक को मुख्य अतिथि के रूप में आमंत्रित किया गया है। याचिका में बानू मुश्ताक को दिए गए निमंत्रण को चुनौती दी है। याचिका में कहा गया है कि उत्सव के शुभारंभ के अवसर पर चामुंडेश्वरी मंदिर के गर्भगृह में गैर-हिंदू ‘आगमिक पूजा’ नहीं कर सकते। बता दें, बानू मुश्ताक एक प्रसिद्ध लेखिका और बुकर पुरस्कार विजेता हैं।
अधिवक्ता सुघोष सुब्रमण्यम ने सीजेआई बीआर गवई की अध्यक्षता वाली पीठ से कर्नाटक हाई कोर्ट के उस आदेश के खिलाफ अपील पर तत्काल सुनवाई का अनुरोध किया, जिसमें 22 सितंबर को दशहरा उत्सव की शुरुआत के अवसर पर मंदिर के अंदर एक मुस्लिम द्वारा अनुष्ठान करने के खिलाफ दायर याचिका खारिज कर दी गई थी। उन्होंने कहा कि यह हिंदू रीति-रिवाजों के विरुद्ध होगा और धार्मिक भावनाओं को ठेस पहुंचाएगा।
याचिकाकर्ता एचएस गौरव ने कहा कि चामुंडेश्वरी मंदिर के अंदर दशहरा का उद्घाटन केवल एक औपचारिक उद्घाटन नहीं है, बल्कि एक पवित्र अनुष्ठान है जो देवी चामुंडेश्वरी की ‘आगमिक पूजा’ से शुरू होता है, जिसे उद्घाटनकर्ता गणमान्य व्यक्ति द्वारा किया जाता है। उन्होंने कहा कि एक मुसलमान द्वारा यह पूजा करने से कर्नाटक और दुनिया भर के लाखों हिंदुओं की भावनाओं को ठेस पहुंचेगी।
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हाई कोर्ट के समक्ष, राज्य ने अपने महाधिवक्ता के शशिकिरण शेट्टी के माध्यम से राज्य सरकार के 2016 के एक परिपत्र का हवाला दिया था, जिसमें कहा गया था कि राज्य के धार्मिक बंदोबस्ती विभाग के अधिकार क्षेत्र में आने वाले सभी मंदिरों के साथ-साथ निजी मंदिरों को जाति, समुदाय, धर्म या लिंग के भेदभाव के बिना देवता के ‘दर्शन’ के लिए सभी को फ्री प्रवेश देना आवश्यक है।
शेट्टी ने कहा कि मंदिर में दशहरा उत्सव राज्य के द्वारा आयोजिक किया जाने वाला समारोह है और यह मंदिर या धार्मिक संस्थान का धार्मिक समारोह नहीं है, इसलिए किसी व्यक्ति को निमंत्रण देने पर धर्म के आधार पर आपत्ति नहीं की जा सकती। याचिका को खारिज करते हुए मुख्य न्यायाधीश विभु बाखरू ने कहा कि दशहरा उत्सव के उद्घाटन के लिए बानू मुश्ताक को निमंत्रण देने से याचिकाकर्ता के धर्म का पालन करने और प्रचार करने के अधिकार पर किसी भी तरह से रोक नहीं लगती है।
बानू मुश्ताक कौन हैं?
62 वर्षीय बानू मुश्ताक एक कन्नड़ लेखिका, कार्यकर्ता और किसान एवं कन्नड़ भाषा आंदोलन की पूर्व सदस्य हैं। मई 2025 में वह अपने लघु कहानी संग्रह एडेया हनाटे (हार्ट लैंप) (Edeya Hanate (Heart Lamp) के लिए अंतर्राष्ट्रीय बुकर पुरस्कार जीतने वाली पहली कन्नड़ लेखिका बनीं। जिसका दीपा भस्थ ने अंग्रेजी में अनुवाद किया था।
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