जम्मू-कश्मीर की एक विशेष एनआईए अदालत ने अमेरिका में रह रहे कश्मीरी ‘लॉबिस्ट’ और दोषी करार दिए जा चुके पाकिस्तानी खुफिया एजेंसी आईएसआई के एजेंट गुलाम नबी फई से संबंधित जमीन को तत्काल कुर्क करने का मंगलवार को आदेश दिया। बडगाम जिले की राष्ट्रीय अन्वेषण अभिकरण (एनआईए) अदालत के विशेष न्यायाधीश याह्या फिरदौस ने वडवान और चट्टाबुघ नामक दो गांवों में 1.5 कनाल (लगभग 8,100 वर्ग फुट) से अधिक भूमि को जब्त करने की अनुमति दे दी।

कोर्ट ने बडगाम के जिलाधिकारी को राजस्व और पुलिस अधिकारियों की सहायता से संपत्ति का ‘‘तत्काल’’ कब्जा लेने का निर्देश दिया। बाद में, आज बडगाम पुलिस ने फई की संपत्ति को कुर्क कर लिया। सहायक लोक अभियोजक मोहम्मद इकबाल राठेर ने दंड प्रक्रिया संहिता की धारा 83 (अब भारतीय नागरिक सुरक्षा संहिता की धारा 85) के तहत फई की संपत्ति कुर्क करने का अनुरोध करते हुए अर्जी दायर की थी जिसके बाद अदालत ने यह आदेश पारित किया।

मूल रूप से बडगाम निवासी फई को इस वर्ष अप्रैल में अदालत ने ‘‘भगोड़ा’’ घोषित कर दिया था, क्योंकि उसने पुलिस के समक्ष पेश होने के लिए जारी 30 दिन के नोटिस का कोई जवाब नहीं दिया था। उसके खिलाफ गैरकानूनी गतिविधियां (रोकथाम) अधिनियम (यूएपीए) के तहत 2020 में मामला दर्ज किया गया था। प्रतिबंधित जमात-ए-इस्लामी के समर्थक और घोषित आतंकवादी तथा हिजबुल मुजाहिदीन के सरगना सैयद सलाहुद्दीन का करीबी सहयोगी बताए जाने वाले फई के खिलाफ देश में आतंकवादी संगठन को समर्थन देने के आरोप में मामला दर्ज है।

जज ने सात पन्नों के आदेश में कहा, ‘‘अदालत रिकॉर्ड से संतुष्ट है कि आरोपी ने जानबूझकर और इरादे से खुद को छिपाया है।’’ अभियोजन पक्ष ने दलील दी कि संपत्ति की कुर्की करना अत्यावश्यक है, क्योंकि फई के रिश्तेदारों के पास वर्तमान में जमीन का कब्जा है और वे उसे बेच सकते हैं, जिससे कानूनी प्रक्रिया विफल हो जाएगी।

कोर्ट ने कहा, ‘‘…यह अदालत बडगाम के जिलाधिकारी को निर्देश देती है कि वह वडवान गांव में खेवात संख्या 60, सर्वे संख्या 466 के तहत एक कनाल और दो मरला भूमि तथा चट्टाबुघ गांव में खेवात संख्या 136, सर्वे संख्या 343 के तहत 11 मरला भूमि की अचल संपत्ति कुर्क करे और तत्काल कब्जा ले।’’

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भारत और अमेरिका में 76 वर्षीय फई का कानूनी विवादों का लंबा इतिहास रहा है। उसने वाशिंगटन आधारित कश्मीरी अमेरिकन काउंसिल (केएसी) के निदेशक के रूप में पहचान बनाई। इस संगठन के बारे में उसका दावा था कि यह कश्मीर के लोगों पर तथाकथित ‘‘उत्पीड़न’’ को सामने लाने वाला जमीनी स्तर का एक स्वतंत्र संगठन है। उसे 2011 में एफबीआई ने तब गिरफ्तार किया था, जब एक जांच में पता चला कि केएसी पाकिस्तानी खुफिया एजेंसी आईएसआई का मुखौटा है।

अमेरिकी अधिकारियों ने साबित किया कि फई ने 20 से अधिक वर्षों तक आईएसआई के कम से कम 35 लाख अमेरिकी डॉलर का इस्तेमाल किया ताकि कश्मीर पर अमेरिकी नीति को प्रभावित किया जा सके। साल 2012 में, वर्जीनिया की एक संघीय अदालत ने फई को साजिश और कर उल्लंघन के जुर्म में दो साल जेल की सजा सुनाई थी। उस समय, अमेरिकी अटॉर्नी नील मैकब्राइड ने कहा था कि फई ने आईएसआई के दुष्प्रचार को बढ़ावा देते हुए ‘‘न्याय विभाग, आईआरएस और कई राजनीतिक नेताओं से झूठ बोला था।’’ रिहाई के बाद, उसे तीन साल तक निगरानी में रखा गया था।

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(भाषा)