Allahabad High Court: इलाहाबाद हाई कोर्ट ने एक महत्वपूर्ण निर्णय में कहा है कि प्रदर्शनी, ट्रेड फेयर या अन्य प्रकार के मेलों के नाम पर प्रदेश में शैक्षणिक संस्थानों के खेल के मैदान सहित अचल संपत्तियों के उपयोग की अनुमति नहीं दी जा सकती, भले ही वह परिसर में हों या कहीं अन्य स्थान पर स्थित हों।

इस टिप्पणी के साथ मुख्य न्यायाधीश अरुण भंसाली और न्यायमूर्ति क्षितिज शैलेंद्र की पीठ ने राज्य सरकार को इस संबंध में जिला प्रशासन, पुलिस प्रशासन और सभी स्तर के शैक्षणिक संस्थानों को एक महीने के भीतर एक स्पष्ट सर्कुलर जारी करने का निर्देश दिया।

अदालत ने यह निर्णय गिरिजा शंकर नाम के एक व्यक्ति द्वारा दायर जनहित याचिका पर पारित किया। याचिकाकर्ता ने हमीरपुर जिले के राठ में सरकारी सहायता प्राप्त ब्रह्मानंद डिग्री कॉलेज के परिसर में वाणिज्यिक मेले का आयोजन रोकने के लिए राज्य के अधिकारियों को निर्देश देने का अनुरोध किया था।

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याचिका में बताया गया कि उक्त डिग्री कॉलेज झांसी के बुंदेलखंड विश्वविद्यालय से संबद्ध है और विभिन्न डिग्री पाठ्यक्रम और अन्य पेशेवर पाठ्यक्रम संचालित करता है और पिछले साल से इस कॉलेज के प्रधानाचार्य के निर्देश पर कॉलेज के पूरे मैदान में एक वाणिज्यिक मेले का आयोजन किया जा रहा है।

वकीलों की दलीलें सुनने और रिकॉर्ड पर गौर करने के बाद अदालत ने कहा, “शैक्षणिक संस्थान केवल शिक्षा के लिए होते हैं और ऐसे संस्थानों की भूमि और भवन के उपयोग की अनुमति किसी तरह की वाणिज्यिक गतिविधि के लिए नहीं दी जा सकती।” अदालत ने कहा, “शैक्षणिक संस्थानों की ढांचागत सुविधाओं का उपयोग खेलों, सांस्कृतिक गतिविधियों, वाद विवाद प्रतियोगिताओं आदि के लिए होना चाहिए ना कि अन्य उद्देश्यों के लिए।”

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