सुप्रीम कोर्ट ने हाल ही में समाजवादी पार्टी के नेता अरविंद कुमार सिंह की याचिका पर नोटिस जारी किया है। इस याचिका में उन्होंने उत्तर प्रदेश में मतदाता सूची के विशेष गहन संशोधन को चुनौती दी है। अरविंद सिंह ने चुनाव आयोग की इस प्रक्रिया से जुड़ी अधिसूचना को रद्द करने की मांग की है। इसके साथ ही उन्होंने जनगणना, नियंत्रण तालिका, मसौदा मतदाता सूची को अपडेट करने और अंतिम मतदाता सूची जारी करने की तय समय-सीमा को तीन महीने बढ़ाने की भी अपील की है।ल

लाइव लॉ की रिपोर्ट के मुताबिक, मुख्य न्यायाधीश सूर्यकांत और जस्टिस जॉयमाल्य बागची की पीठ ने अरविंद सिंह के वकील, वरिष्ठ अधिवक्ता सिद्धार्थ दवे की दलीलें सुनने के बाद यह आदेश दिया। वकील के अनुरोध पर अदालत ने इस मामले को अन्य एसआईआर मामलों से अलग कर दिया। साथ ही, उत्तर प्रदेश से जुड़े एसआईआर मामलों- जिसमें यह याचिका और कांग्रेस सांसद तनुज पुनिया की याचिका शामिल है उसकी सुनवाई 18 दिसंबर को तय की गई।

समाजवादी पार्टी के नेता के अलावा, डीएमके, अभिनेता विजय की पार्टी टीवीके, सीपीआई (एम), उत्तर प्रदेश कांग्रेस कमेटी, टीएमसी और इनके नेता भी अदालत में मौजूद थे। इन सभी ने तमिलनाडु, पश्चिम बंगाल, केरल जैसे राज्यों में लागू एसआईआर को चुनौती दी है।

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सिंह ने उत्तर प्रदेश में एसआईआर को चुनौती देते हुए एक याचिका दायर की है। इस याचिका में उन्होंने चुनाव आयोग की 27 अक्टूबर की अधिसूचना और उससे जुड़े सभी आदेशों व निर्देशों को रद्द करने की मांग की है। उनका कहना है कि ये आदेश संविधान के अनुच्छेद 14, 19, 21, 325 और 326, साथ ही जनप्रतिनिधित्व अधिनियम और मतदाता पंजीकरण नियम, 1960 का उल्लंघन करते हैं। इन आदेशों में वह निर्देश भी शामिल है, जिसमें उत्तर प्रदेश के मुख्य चुनाव अधिकारी ने एसआईआर प्रक्रिया के बारे में सभी राष्ट्रीय और क्षेत्रीय राजनीतिक दलों के अध्यक्षों और मंत्रियों को जानकारी दी थी।

याचिकाकर्ता ने यह भी मांग की है कि चुनाव आयोग को आधार कार्ड को वोटर आईडी (ईपीआईसी) से जोड़ने की प्रक्रिया शुरू करने और उसे पूरी तरह पूरा करने का निर्देश दिया जाए। उनका कहना है कि एसआईआर से जुड़े आदेश और अधिसूचनाएं मनमानी हैं और इससे राज्य के कई निर्दोष मतदाताओं को नुकसान हो रहा है। उनका यह भी तर्क है कि एसआईआर के कारण लाखों मतदाता अपने प्रतिनिधि चुनने के अधिकार से वंचित हो सकते हैं।

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