Supreme Court: सुप्रीम कोर्ट ने शुक्रवार को छत्तीसगढ़ के पूर्व मुख्यमंत्री भूपेश बघेल के बेटे चैतन्य बघेल की याचिका ईडी से जवाब मांगा है। चैतन्य ने शराब घोटाले के सिलसिले में ईडी द्वारा गिरफ्तारी को चुनौती दी है।
बार एंड बेंच की रिपोर्ट के मुताबिक, जस्टिस सूर्यकांत और जस्टिस बागची की पीठ ने इस मामले में ईडी को नोटिस जारी किया है। सुनवाई के दौरान जस्टिस बागची ने कहा कि गिरफ्तारी के आधार से ज्यादा, यह धारा 190 (बीएनएसएस, 2023) की व्याख्या के बारे में है। आप जांच में कितना समय ले सकते हैं?
ईडी की ओर से पेश अतिरिक्त सॉलिसिटर जनरल एसवी राजू ने जवाब दिया कि इस अदालत ने मुझे तीन महीने में जांच पूरी करने का समय दिया है। इसके बाद कोर्ट ने ईडी को दस दिनों के भीतर अपना जवाब दाखिल करने का आदेश दिया।
वरिष्ठ अधिवक्ता एन हरिहरन और कपिल सिब्बल ने बघेल की ओर से दलील दी कि ईडी उनके मुवक्किल की गिरफ्तारी को लम्बा खींचने के लिए मुकदमे में अनावश्यक देरी कर रहा है।
हरिहरन ने कहा कि जांच का कोई अंत होता नहीं दिख रहा है। हमने हाई कोर्ट में गिरफ्तारी के आधार को रद्द करने की मांग की है।
सिब्बल ने कहा कि उन्होंने (ईडी) मेरे मुवक्किल को असहयोग के आधार पर गिरफ्तार किया। लेकिन उन्होंने मुझे कभी नोटिस नहीं भेजा। उन्होंने मुझे कभी तलब नहीं किया। यही गिरफ्तारी को चुनौती है। उन्होंने मुझे कभी बुलाया नहीं और उन्होंने मुझे धारा 19 (पीएमएलए) के तहत गिरफ्तार कर लिया, जो वे नहीं कर सकते। उन्हें मुझे नोटिस जारी करना होगा। वे बिना नोटिस दिए असहयोग के आधार पर मुझे गिरफ्तार नहीं कर सकते।
जस्टिस कांत ने कहा कि असहयोग ही गिरफ्तारी का एकमात्र आधार नहीं है।
सिब्बल ने जवाब दिया, ” ये आरोप हैं ।” उन्होंने आगे कहा कि मुद्दा यह नहीं है। मुद्दा असहयोग का है। उन्होंने शिकायत दर्ज की, उन्होंने अदालत की अनुमति नहीं ली और इस तरह मुकदमा कभी शुरू नहीं हुआ। उन्होंने मुकदमे में देरी की और मुझे हिरासत में रखा।
बता दें, पूर्व सीएम भूपेश बघेल के बेटे चैतन्य ने धन शोधन निवारण अधिनियम (पीएमएलए) के प्रमुख प्रावधानों पर हमला देते हुए एक अलग याचिका भी दायर की है, जिसमें तर्क दिया गया है कि ये मौलिक अधिकारों का उल्लंघन है। उनके वकील ने आज सुझाव दिया कि अदालत उनकी गिरफ्तारी रद्द करने की उनकी याचिका के साथ इस याचिका को भी संलग्न कर सकती है।
बता दें, 2,000 करोड़ रुपये के शराब घोटाले में आरोप है कि राजनेताओं, आबकारी अधिकारियों और निजी ऑपरेटरों ने 2019 और 2022 के बीच छत्तीसगढ़ में शराब व्यापार में हेरफेर किया। चैतन्य बघेल पर फर्जी कंपनियों और रियल एस्टेट निवेश के माध्यम से अपराध की आय के एक हिस्से को वैध बनाने का आरोप है।
17 अक्टूबर को छत्तीसगढ़ हाई कोर्ट ने मामले में चैतन्य बघेल की गिरफ्तारी को चुनौती देने वाली याचिका खारिज कर दी थी। हाई कोर्ट ने कहा कि यद्यपि ईडी ने क्षेत्राधिकार वाली अदालत की अनिवार्य अनुमति के बिना आगे की जांच की, लेकिन यह केवल एक प्रक्रियागत अनियमितता थी, जिससे उसकी जांच अवैध नहीं हो जाती।
चैतन्य बघेल ने इस फैसले को चुनौती देते हुए तर्क दिया है कि ईडी की ओर से प्रक्रियागत अनियमितता के कारण पूरी प्रक्रिया निरर्थक हो गई है और उनकी गिरफ्तारी अवैध है।
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एक अलग याचिका में चैतन्य बघेल ने पीएमएलए की धारा 50 और 63 की संवैधानिक वैधता पर सवाल उठाया है और तर्क दिया है कि वे संविधान के अनुच्छेद 14, 20(3) और 21 का उल्लंघन करते हैं। उन्होंने तर्क दिया है कि ये प्रावधान ईडी को दंड प्रक्रिया संहिता (सीआरपीसी) के तहत उपलब्ध प्रक्रियात्मक सुरक्षा के बिना व्यक्तियों को आत्म-दोषी बयान देने के लिए मजबूर करने का अधिकार देते हैं।
याचिका में कहा गया है कि पीएमएलए की धारा 50 के तहत दर्ज बयान अक्सर दबाव में लिए जाते हैं और आरोपी व्यक्तियों के खिलाफ इस्तेमाल किए जाते हैं, जो आत्म-दोष (Self-Incrimination) के खिलाफ संरक्षण का उल्लंघन है।
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