CJI Gavai: सुप्रीम कोर्ट ने गुरुवार को ट्रिब्यूनल रिफॉर्म्स एक्ट 2021 की सुनवाई के दौरान एक बार फिर से केंद्र सरकार की मंशा पर सवाल उठाए। सीजेआई गवई ने स्थगन की मांग पर आपत्ति जताई। इससे पहले भी चीफ जस्टिस ऑफ इंडिया ने मामले को बड़ी बेंच के पास भेजे जाने के अनुरोध को लेकर केंद्र पर सवाल खड़े किए थे। सीजेआई ने कहा था कि लगता है सरकार मौजूदा बेंच से बचने की कोशिश कर रही है। क्योंकि उनके रिटायर होने में अब कुछ दिन ही बचे हैं।
बार एंड बेंच की रिपोर्ट के अनुसार, अटॉर्नी जनरल आर वेंकटरमणी ने मामले में स्थगन की मांग की थी। सुप्रीम कोर्ट एएसजी ऐश्वर्या भाटी की तरफ से यह अनुरोध पेश किया था। इस पर सीजेआई गवई ने पूछा कि क्या सरकार उनके सेवानिवृत्ति का इंतजार कर रही है।
सीजेआई ने का कि हम दो बार पहले ही आपकी बात मान चुके हैं। कितनी बार और? अगर आप यह 24 नवंबर के बाद चाहते हैं, तो हमें बता दें। यह अदालत के साथ अन्याय है। हर बार आप मध्यस्थता के लिए सुविधा मांगते हैं। आपके पास वकीलों की टोली है। आप बड़ी बेंच की मांग को लेकर आधी रात में आवेदन दाखिल करते हैं।
प्रधान न्यायाधीश ने कहा कि जब हम हाई कोर्ट में थे, तो हमें जो भी ब्रीफ छोड़ने पड़ते थे, उसके लिए हम यहां आते थे। हमारे मन में सर्वोच्च संवैधानिक न्यायालय के लिए बहुत सम्मान था। हमने कल कोई अन्य मामला नहीं लिया। हमने सोचा था कि हम कल सुनवाई करेंगे और वीकेंड में फैसला लिखेंगे।
इसके बाद कोर्ट ने वरिष्ठ अधिवक्ता अरविंद दातार को शुक्रवार को अपना पक्ष रखने को कहा। दातार इस मामले में याचिकाकर्ताओं में से एक, मद्रास बार एसोसिएशन का प्रतिनिधित्व कर रहे हैं।
पिछली सुनवाई को भी सुप्रीम कोर्ट हुआ था नाराज
सोमवार को सुप्रीम कोर्ट ने उसे अर्जी पर कड़ा रुख अपनाया जिसमें अधिकरण सुधार अधिनियम 2021 प्रावधानों को चुनौती देने वाली याचिकाओं को बड़ी पीठ के पास भेजने का निर्देश देने का अनुरोध किया गया था। सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि अंतिम सुनवाई के आखिरी चरण में सरकार से ऐसी उम्मीद नहीं थी।
सीजेआई गवई और जस्टिस विनोद चंद्रन की बेंच ने इस बात को लेकर नाराजगी जताई कि केंद्र अब इस मामले को पांच जजों की संविधान पीठ के पास भेजना चाहती है। बेंच ने इस मामले में मुख्य याचिकाकर्ता मद्रास बर एसोसिएशन सहित विभिन्न याचिकाकर्ताओं की ओर से अंतिम दलीलें पहले ही सुन ली हैं।
सीजेआई ने कहा था कि पिछली तारीख पर आपने (अटॉर्नी जनरल) ये आपत्तियां नहीं उठाई थीं…आपने व्यक्तिगत आधार पर स्थगन की मांग की थी। आप गुण-दोष के आधार पर पूरी सुनवाई के बाद ये आपत्तियां नहीं उठा सकते।
अटॉर्नी जनरल ने जवाब दिया था कि प्रारंभिक आपत्तियों पर सीमाएं नहीं खींची जा सकतीं। हालांकि, मुख्य न्यायाधीश गवई ने तीखी टिप्पणी करते हुए कहा था, “यदि हम आपके इस आवेदन को अस्वीकार कर देते हैं, तो हम यह मानेंगे कि केंद्र इस पीठ से बचने का प्रयास कर रहा है। गुण-दोष के आधार पर एक पक्ष की बात सुनने के बाद अब हम यह सब नहीं सुनेंगे।”
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मुख्य न्यायाधीश गवई ने कहा, ” हमें उम्मीद नहीं है कि केंद्र सरकार इस तरह की रणनीति अपनाएगी। ऐसा तब किया गया है जब हमने एक पक्ष को पूरी तरह से सुना है और अटॉर्नी जनरल को व्यक्तिगत आधार पर शामिल किया है। “
जस्चिस चंद्रन भी मुख्य न्यायाधीश से सहमत दिखे और कहा कि यह आपत्ति पहले ही उठाई जानी चाहिए थी। मुख्य न्यायाधीश ने तब स्पष्ट कर दिया था कि प्रारंभिक आपत्ति खारिज कर दी जाएगी। बता दें, सीजेआई गवई 23 नवबंर को रिटायर हो रहे हैं।
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