Supreme Court Justice BV Nagarathna: सुप्रीम कोर्ट की जस्टिस बीवी नागरत्ना ने कुछ राज्यों में कन्या भ्रूण हत्या के कारण बिगड़ते लिंगानुपात पर शनिवार को चिंता व्यक्त की। जस्टिस नागरत्ना ने कहा कि लड़कियों को न केवल बचे रहना चाहिए बल्कि उन्हें फलना-फूलना भी चाहिए।
जस्टिस नागरत्ना ‘यूनिसेफ इंडिया’ के सहयोग से सुप्रीम कोर्ट की किशोर न्याय समिति द्वारा आयोजित ‘बालिकाओं की सुरक्षा : भारत में उनके लिए सुरक्षित और अनुकूल वातावरण की ओर’ विषय पर राष्ट्रीय वार्षिक परामर्श कार्यक्रम को संबोधित कर रही थीं।
न्यायमूर्ति नागरत्ना ने पोषण देखभाल के महत्त्व पर जोर देते हुए कहा कि उचित पोषण के बिना, बालिकाओं के उत्थान के सभी प्रयास निरर्थक हो सकते हैं। दूसरे शब्दों में कहें तो, उसके पैदा होने की संभावना, सही पोषण, देखभाल, शिक्षा और भौतिक संसाधनों तक उसकी पहुंच, सुरक्षित और संरक्षित वातावरण, स्वयं के बारे में एक अलग भावना का विकास और वह जो कुछ भी हासिल करने का मन बनाती है, उसे हासिल करने में सक्षम होना, इस देश में पैदा हुए एक लड़के के बराबर है।
नागरत्ना ने कहा कि लड़कियों को न केवल बचे रहना चाहिए बल्कि उन्हें फलना-फूलना भी चाहिए। देश में बालिकाओं के सामने सबसे पहली बाधा उनका जन्म लेना ही है। यह एक दुर्भाग्यपूर्ण वास्तविकता है कि कई परिवारों को यह सुनकर निराशा या हताशा महसूस हो सकती है कि बच्चा लड़का नहीं बल्कि लड़की है।
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बी.वी. नागरत्ना ने कहा कि अपनी इच्छा के विरुद्ध विवाह….इसके लिए उन सामाजिक, आर्थिक और सांस्कृतिक बाधाओं की गहन जांच की आवश्यकता है, जो लड़कियों के जीवन में बाधा डालती रहती हैं। उन्होंने आगे कहा कि आज के तकनीकी युग में, जहां नवाचार प्रगति को परिभाषित करता है, यह पहचानना महत्वपूर्ण है कि प्रौद्योगिकी, हालांकि सशक्त बनाती है, लेकिन नई कमजोरियां भी लाती है, विशेष रूप से बालिकाओं के लिए…युवा लड़कियों के सामने आने वाले खतरे अब भौतिक स्थानों तक ही सीमित नहीं हैं, वे विशाल और अक्सर अनियमित डिजिटल दुनिया तक फैल गए हैं।
न्यायमूर्ति नागरत्ना ने कहा कि एक प्रसिद्ध कहावत है कि जब आप एक लड़की को शिक्षित करते हैं, तो आप एक राष्ट्र को शिक्षित करते हैं। मैं अक्सर सोचती हूं कि अगर मैं स्कूल या कॉलेज नहीं जाती, तो क्या बनती। गुणवत्तापूर्ण शिक्षा न केवल बालिकाओं के सशक्तीकरण के लिए, बल्कि राष्ट्र की समृद्धि के लिए भी आधार का काम करती है। भारत को एक दिन वैश्विक महाशक्ति बनने के लिए, जैसा कि वह बनना चाहता है, उसे यह सुनिश्चित करना होगा कि आज की युवा लड़कियों को भविष्य की महिला बनने के लिए पर्याप्त समर्थन मिले, जो देश की दिशा तय करेंगी।
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