Supreme Court Judges News: सुप्रीम कोर्ट में कुल 34 जज हैं। जिनमें एक सीजेआई और 33 अन्य जज हैं। इन सभी 34 जजों पर देश की न्यायिक व्यवस्था को संभालने और उसकी प्रक्रिया को सतत रूप से बनाए रखने की जिम्मेदारी है। क्योंकि हर पीड़ित के लिए सुप्रीम कोर्ट ही अंतिम दरवाजा है। जब किसी पीड़ित शख्स के सारे रास्ते बंद हो जाते हैं या सरकारें अन्याय करती हैं तो उसे इस न्याय के मंदिर से एक अंतिम उम्मीद होती है।
इन सभी 34 जजों पर देश के बड़े केस सुनने की जिम्मेदारी है। कई बार ऐसा भी होता है कि सुप्रीम कोर्ट कई गंभीर मामलों का स्वत: संज्ञान भी लेता है, जैसा कि उसे लगता है। बता दें, अभी वर्तमान सीजेआई बीआर गवई हैं। गवई के बाद जस्टिस सूर्यकांत देश के अगले सीजेआई होंगे। जिसकी प्रक्रिया शुरू हो चुकी है। जस्टिस सूर्यकांत 09-02-2027 तक देश के सीजेआई रहेंगे। सूर्यकांत के सीजेआई पद से रिटायर होने के बाद देश को जस्टिस नागरत्ना के रूप में देश की पहली महिला सीजेआई मिलेंगी। किसी महिला के सीजेआई बनना देश के इतिहास में ऐसा पहली बार होगा। क्योंकि अभी तक देश में कोई महिला सीजेआई नहीं बनी हैं। ऐसे में आइए एक नजर देश के इन सभी सुप्रीम कोर्ट के 34 जजों पर डालते हैं। जिन पर देश की कानून-व्यवस्था, न्यायिक व्यवस्था की अहम जिम्मेदारी है।
सीजेआई बीआर गवई (CJI BR Gavai)
चीफ जस्टिस ऑफ इंडिया बीआर गवई का पूरा नाम जस्टिस भूषण रामकृष्ण गवई है। गवई का 24 नवंबर 1960 को अमरावती में जन्म हुआ। 16 मार्च 1985 को बार में शामिल हुए। इन्होंने 1987 तक पूर्व महाधिवक्ता और उच्च न्यायालय के न्यायाधीश स्वर्गीय राजा एस. भोंसले के साथ काम किया। 1987 से 1990 तक बॉम्बे हाई कोर्ट में स्वतंत्र रूप से वकालत की। 1990 के बाद, मुख्यतः बॉम्बे हाई कोर्ट की नागपुर पीठ में वकालत की।
सीजेआई बीआर गवई ने अगस्त 1992 से जुलाई 1993 तक बॉम्बे हाई कोर्ट के नागपुर पीठ में सहायक सरकारी वकील और अतिरिक्त लोक अभियोजक के रूप में काम किया। 17 जनवरी 2000 को नागपुर पीठ के लिए सरकारी वकील और लोक अभियोजक के रूप में नियुक्त किया गया। 14 नवंबर 2003 को हाई कोर्ट के अतिरिक्त न्यायाधीश के रूप में पदोन्नत किया गया।
12 नवंबर 2005 को गवई बॉम्बे हाई कोर्ट के स्थायी न्यायाधीश बने। मुंबई स्थित मुख्य पीठ के साथ-साथ नागपुर, औरंगाबाद और पणजी स्थित पीठों में सभी प्रकार के कार्यभार संभाले। 24 मई 2019 को सुप्रीम कोर्ट के न्यायाधीश के रूप में पदोन्नत हुए। 14 मई 2025 को भारत के मुख्य न्यायाधीश नियुक्त हुए।
उन्होंने कानून के शासन को कायम रखने और नागरिकों के मौलिक अधिकारों, मानवाधिकारों और कानूनी अधिकारों की सुरक्षा से संबंधित विभिन्न मुद्दों पर संविधान पीठ के निर्णयों सहित लगभग 300 निर्णय लिखे हैं। सीजेआई गवई उलानबटार (मंगोलिया), न्यूयॉर्क (अमेरिका), कार्डिफ़ (यूके) और नैरोबी (केन्या) में विभिन्न अंतर्राष्ट्रीय सम्मेलनों में भाग लिया। कोलंबिया विश्वविद्यालय और हार्वर्ड विश्वविद्यालय सहित विभिन्न विश्वविद्यालयों और संगठनों में विभिन्न संवैधानिक और पर्यावरणीय मुद्दों पर व्याख्यान दिए। सीजेआई गवई 23 नवंबर 2025 को सेवानिवृत्त होंगे।
जस्टिस सूर्यकांत (Justice Surya Kant)
जस्टिस सूर्यकांत देश के अगले सीजेआई होंगे। जिसको लेकर केंद्र सरकार की तरफ से प्रक्रिया शुरू कर दी गई है। सूर्यकांत का जन्म 10 फ़रवरी , 1962 को हिसार (हरियाणा) में एक मध्यमवर्गीय परिवार में हुआ। इन्होंने 1981 में राजकीय स्नातकोत्तर महाविद्यालय, हिसार से स्नातक की उपाधि प्राप्त की। 1984 में महर्षि दयानंद विश्वविद्यालय, रोहतक से विधि स्नातक की उपाधि प्राप्त की। 1984 में हिसार ज़िला न्यायालय में वकालत शुरू की।
सूर्यकांत 1985 में पंजाब एवं हरियाणा हाई कोर्ट में वकालत करने के लिए चंडीगढ़ चले गए। इनको संवैधानिक, सेवा और सिविल मामलों में विशेषज्ञता हासिल है। सूर्यकांत ने कई विश्वविद्यालयों, बोर्डों, निगमों, बैंकों और स्वयं उच्च न्यायालय का प्रतिनिधित्व किया।
जस्टिस सूर्यकांत को 7 जुलाई 2000 को हरियाणा के सबसे युवा महाधिवक्ता नियुक्त होने का गौरव प्राप्त किया। इनको मार्च 2001 में वरिष्ठ अधिवक्ता के रूप में नामित किया गया। 09 जनवरी 2004 को पंजाब और हरियाणा उच्च न्यायालय के स्थायी न्यायाधीश के रूप में उनकी पदोन्नति होने तक हरियाणा के महाधिवक्ता के पद पर रहे। 23 फरवरी 2007 को 22 फरवरी 2011 तक वो लगातार दो कार्यकालों के लिए राष्ट्रीय विधिक सेवा प्राधिकरण के शासी निकाय के सदस्य के रूप में नामित किए गए। वर्तमान में भारतीय विधि संस्थान की विभिन्न समितियों के सदस्य हैं। सूर्यकांत ने विभिन्न प्रतिष्ठित राष्ट्रीय/अंतर्राष्ट्रीय सम्मेलनों में भी भाग भी लिया है।
सूर्यकांत 24 मई, 2019 को भारत के सुप्रीम कोर्ट के न्यायाधीश के रूप में पदोन्नत हुए। साथ ही, 12 नवंबर, 2024 से प्रभावी, सर्वोच्च न्यायालय कानूनी सेवा समिति के अध्यक्ष। वह 09 फरवरी , 2027 को सीजेआई रहते हुए रिटायर होंगे।
जस्टिस विक्रमनाथ (Justice Vikram Nath)
जस्टिस विक्रमनाथ का जन्म 24 सितम्बर 1962 को हुआ। 30 मार्च 1987 को उन्हें उत्तर प्रदेश बार काउंसिल में नामांकित किया गया। 24 सितम्बर 2004 को उन्हें इलाहाबाद हाई कोर्ट के अतिरिक्त न्यायाधीश के रूप में पदोन्नत किया गया। उन्होंने 27 फरवरी 2006 को इलाहाबाद हाई कोर्ट के न्यायाधीश के रूप में शपथ ली। 10 सितंबर 2019 को उन्हें गुजरात हाई कोर्ट के मुख्य न्यायाधीश के रूप में पदोन्नत किया गया। 31 अगस्त 2021 को उन्हें भारत के सर्वोच्च न्यायालय के न्यायाधीश के रूप में पदोन्नत किया गया। वह 23 सितंबर 2027 को रिटायर होंगे। बता दें, जस्टिस विक्रमनाथ भारत में किसी हाई कोर्ट के पहले चीफ जस्टिस हैं, जिन्होंने यू-ट्यूब चैनल पर अदालती कार्यवाही का सीधा प्रसारण किया।
जस्टिस जेके माहेश्वरी (Justice J.K. Maheshwari)
सुप्रीम के जस्टिस जे.के. माहेश्वरी का जन्म 29 जून, 1961 को मुरैना (मध्य प्रदेश) जिले के एक छोटे से कस्बे जौरा में हुआ था। उन्होंने 1982 में कला स्नातक, 1985 में एल.एल.बी. और 1991 में एल.एल.एम. की डिग्री प्राप्त की। 22 नवंबर, 1985 को वे मध्य प्रदेश राज्य बार काउंसिल में अधिवक्ता के रूप में पंजीकृत हुए और उन्होंने सिविल, आपराधिक, संवैधानिक, सेवा और कर मामलों में वकालत की। वे मध्य प्रदेश राज्य बार काउंसिल के निर्वाचित सदस्य थे।
उन्हें 25 नवंबर, 2005 को मध्य प्रदेश हाई कोर्ट के अतिरिक्त न्यायाधीश के रूप में नियुक्त किया गया और 25 नवंबर, 2008 को माननीय न्यायालय के स्थायी न्यायाधीश के रूप में नियुक्त किया गया।
वह मध्य प्रदेश हाई कोर्ट के प्रशासन में सुधार से संबंधित विभिन्न समितियों के सदस्य रहे और 6 अक्टूबर, 2019 तक इस पद पर कार्यरत रहे। उन्हें आंध्र प्रदेश हाई कोर्ट के मुख्य न्यायाधीश के रूप में स्थानांतरित किया गया और 7 अक्टूबर, 2019 को उन्होंने पदभार ग्रहण किया। वे नव स्थापित आंध्र प्रदेश हाई कोर्ट के प्रथम मुख्य न्यायाधीश थे। 6 जनवरी, 2021 को उन्हें सिक्किम हाई कोर्ट के मुख्य न्यायाधीश के रूप में स्थानांतरित किया गया। उन्होंने 31 अगस्त, 2021 को भारत के सर्वोच्च न्यायालय के न्यायाधीश के रूप में शपथ ली। वह 28-06-2026 को अपने पद से रिटायर होंगे।
जस्टिस बी.वी. नागरत्ना (Justice B.V. Nagarathna)
सुप्रीम की जस्टिस बी.वी. नागरत्ना का जन्म 30 अक्टूबर 1962 को बेंगलुरु में हुआ। नागरत्ना ने 1984 में जीसस एंड मैरी कॉलेज, दिल्ली विश्वविद्यालय से इतिहास में बी.ए. (ऑनर्स) की डिग्री प्राप्त की। जुलाई 1987 में कैंपस लॉ सेंटर, दिल्ली विश्वविद्यालय से एल.एल.बी. की डिग्री प्राप्त की।
1987 में केईएसवीवाई एंड कंपनी, एडवोकेट्स में वकालत शुरू की और जुलाई 1994 में स्वतंत्र रूप से वकालत शुरू की। 2008 में कर्नाटक हाई कोर्ट के न्यायाधीश के रूप में पदोन्नत हुईं। प्रशासनिक कानून, संवैधानिक कानून, वाणिज्यिक कानून, पारिवारिक कानून आदि जैसे विविध क्षेत्रों में वकालत की। कर्नाटक राज्य विधिक सेवा प्राधिकरण और हाई कोर्ट विधिक सेवा समिति का प्रतिनिधित्व किया। कुछ मामलों में न्यायमित्र भी नियुक्त हुईं 18 फरवरी, 2008 को कर्नाटक हाई कोर्ट के अतिरिक्त न्यायाधीश तथा 17 फरवरी, 2010 को स्थायी न्यायाधीश नियुक्त किए गए।
जस्टिस बी.वी. नागरत्ना 31 अगस्त 2021 को भारत के सुप्रीम कोर्ट के न्यायाधीश के रूप में पदोन्नत हुईं। वह 29 अक्टूबर, 2027 को सेवानिवृत्त होंगी।
जस्टिस एम.एम. सुंदरेश (Justice M.M. Sundresh)
जस्टिस एम.एम. सुंदरेश ने लोयोला कॉलेज, चेन्नई से बी.ए. की डिग्री और मद्रास लॉ कॉलेज से बी.एल. की डिग्री हासिल की। साल 1985 में वे अधिवक्ता के रूप में पंजीकृत हुए। उन्होंने 1991 से 1996 के बीच सरकारी अधिवक्ता के रूप में कार्य किया। उन्हें 31.03.2009 को मद्रास उच्च न्यायालय के अतिरिक्त न्यायाधीश के रूप में नियुक्त किया गया तथा 29.03.2011 को स्थायी न्यायाधीश के रूप में उनकी नियुक्ति की पुष्टि की गई। पदोन्नति के समय वे तमिलनाडु राज्य न्यायिक अकादमी के अध्यक्ष के रूप में कार्यरत थे। उन्हें 31.08.2021 को भारत के सर्वोच्च न्यायालय के न्यायाधीश के रूप में पदोन्नत किया गया।
जस्टिस पामिदिघंतम श्री नरसिम्हा (P. S. Narasimha)
जस्टिस पामिदिघंतम श्री नरसिम्हा भारत के सर्वोच्च न्यायालय के एक न्यायाधीश हैं, जिनका जन्म 3 मई 1963 को हैदराबाद में हुआ था। वे भारत के पूर्व अतिरिक्त सॉलिसिटर जनरल रह चुके हैं और बार से सीधे सर्वोच्च न्यायालय में नियुक्त होने वाले कुछ वकीलों में से एक हैं। वे बीसीसीआई और अयोध्या मामले जैसे प्रमुख मामलों में अपनी भूमिका के लिए जाने जाते हैं।
नरसिम्हा का जन्म 3 मई 1963 को हैदराबाद में हुआ था। उनके पिता, न्यायमूर्ति पी. कोदंडा रामय्या, 1982 से 1998 तक आंध्र प्रदेश उच्च न्यायालय के न्यायाधीश रहे थे। उन्होंने निज़ाम कॉलेज, हैदराबाद से अर्थशास्त्र, राजनीति विज्ञान और लोक प्रशासन में स्नातक की उपाधि प्राप्त की। उन्होंने 1988 में दिल्ली विश्वविद्यालय के कैंपस लॉ सेंटर से कानून की डिग्री पूरी की।
एक वकील के रूप में, उन्होंने आंध्र प्रदेश उच्च न्यायालय में वकालत शुरू की। उन्हें 31 अगस्त, 2021 को बार से सीधे भारत के सर्वोच्च न्यायालय में पदोन्नत किया गया था। वे बीसीसीआई (BCCI) मामले में मध्यस्थ के रूप में नियुक्त किए गए थे, जहाँ उन्होंने बोर्ड के भीतर चुनाव और शासन सुधारों पर आम सहमति बनाने में मदद की। न्यायमूर्ति नरसिम्हा ने कानूनी सुधारों और संस्थागत विकास में भी योगदान दिया है। उन्होंने अंतर्राष्ट्रीय समुद्री विधि न्यायाधिकरण (ITLOS) और स्थायी मध्यस्थता न्यायालय (PCA) के समक्ष भी भारत का प्रतिनिधित्व किया है।
जस्टिस जेबी पारदीवाला (Justice J.B. Pardiwala)
जस्टिस जेबी पारदीवाला का जन्म 12 अगस्त, 1965 को मुंबई में हुआ। इन्होने वर्ष 1985 में जे.पी. आर्ट्स कॉलेज, वलसाड से स्नातक किया। इन्होंने वर्ष 1988 में के.एम. लॉ कॉलेज, वलसाड से विधि की उपाधि प्राप्त की और 18 नवंबर 1988 को सनद प्राप्त की। इनका जन्म वकीलों के परिवार में हुआ। ये दक्षिण गुजरात के वलसाड नामक मूल शहर से हैं। इनके परदादा श्री नवरोजी भीखाजी पारदीवाला ने वर्ष 1894 में वलसाड में वकालत शुरू की। इनके दादाजी श्री कावासजी नवरोजी पारदीवाला 1929 में वलसाड में एक बार में शामिल हुए और 1958 तक वकालत की। इनके पिता श्री बुर्जोर कावासजी पारदीवाला 1955 में वलसाड में बार में शामिल हुए और दिसंबर, 1989 से मार्च, 1990 तक की अवधि के लिए 7वीं गुजरात विधान सभा के अध्यक्ष भी रहे।
इन्होंने जनवरी, 1989 से वलसाड में वकालत शुरू की। सितंबर, 1990 में ये गुजरात उच्च न्यायालय, अहमदाबाद में स्थानांतरित हो गये। इन्होंने विधि की सभी शाखाओं में वकालत की। ये 1994 से 2000 तक बार काउंसिल ऑफ गुजरात के सदस्य रहे। इन्हें बार काउंसिल ऑफ इंडिया की अनुशासन समिति के मनोनीत सदस्य के रूप में भी नियुक्त किया गया था। इन्होंने बार काउंसिल ऑफ गुजरात के प्रकाशन, गुजरात लॉ हेराल्ड के मानद सह-संपादक के रूप में काम किया।
पारदीवाला ने गुजरात उच्च न्यायालय विधिक सेवा प्राधिकरण के सदस्य के रूप में कार्य किया। इन्हें 2002 से गुजरात उच्च न्यायालय और उसके अधीनस्थ न्यायालयों के लिए स्थायी अधिवक्ता के रूप में नियुक्त किया गया था और पीठ में पदोन्नत होने तक ये इसी पद पर बने रहे।
17 फरवरी, 2011 को इन्हें गुजरात उच्च न्यायालय में अतिरिक्त न्यायाधीश के रूप में पदोन्नत किया गया और 28 जनवरी, 2013 को स्थायी न्यायाधीश के रूप में पुष्टि की गई। 9 मई, 2022 को इन्हें भारत के सर्वोच्च न्यायालय के न्यायाधीश के रूप में पदोन्नत किया गया।
जस्टिस दीपांकर दत्ता (Justice Dipankar Datta)
जस्टिस दीपांकर दत्ता का जन्म 9 फरवरी, 1965 को मीरा और न्यायमूर्ति (सेवानिवृत्त) सलिल कुमार दत्ता के घर कलकत्ता में हुआ था। 1989 में कलकत्ता विश्वविद्यालय के हाजरा लॉ कॉलेज से स्नातक होने के बाद, उन्होंने उसी वर्ष पश्चिम बंगाल बार काउंसिल में अधिवक्ता के रूप में नामांकन कराया। लगभग सोलह वर्षों तक कलकत्ता हाई कोर्ट, अन्य उच्च न्यायालयों, न्यायाधिकरणों और भारत के सर्वोच्च न्यायालय में अपने व्यापक अभ्यास के दौरान, उन्होंने पश्चिम बंगाल राज्य, भारत संघ और कई वैधानिक प्राधिकारियों सहित विभिन्न वादियों का प्रतिनिधित्व किया। वे 1996-97 और 1999-2000 के बीच कलकत्ता विश्वविद्यालय के यूनिवर्सिटी कॉलेज ऑफ लॉ में संवैधानिक कानून पर अतिथि व्याख्याता भी रहे।
उन्हें 22 जून, 2006 को कलकत्ता उच्च न्यायालय के स्थायी न्यायाधीश के रूप में पदोन्नत किया गया और 28 अप्रैल, 2020 को बॉम्बे उच्च न्यायालय के मुख्य न्यायाधीश के रूप में नियुक्त किया गया। बॉम्बे उच्च न्यायालय में ढाई साल से अधिक समय तक रहने के बाद, उन्होंने 12 दिसंबर 2022 को भारत के सर्वोच्च न्यायालय के न्यायाधीश के रूप में पदभार ग्रहण किया। वह 8 फरवरी, 2030 को पद से रिटायर होंगे।
जस्टिस पंकज मिथल (Justice Pankaj Mithal)
जस्टिस पंकज मिथल का जन्म 17 जून 1961 को मेरठ में एक वकील परिवार हुआ। उन्होंने अपनी प्रारंभिक शिक्षा सेंट मैरी अकादमी, मेरठ से प्राप्त की। 1982 में इलाहाबाद विश्वविद्यालय से बी.कॉम (ऑनर्स) में स्नातक किया। बाद में मेरठ कॉलेज मेरठ में शामिल हो गए और चौधरी चरण सिंह विश्वविद्यालय, मेरठ से कानून की डिग्री प्राप्त की। 1985 में बार काउंसिल ऑफ यूपी में दाखिला लिया और श्री सुधीर चंद्र वर्मा के कुशल मार्गदर्शन में प्रैक्टिस शुरू की, जो बाद में इलाहाबाद उच्च न्यायालय के न्यायाधीश के रूप में सुशोभित हुए और फिर लोकायुक्त (यूपी) बने।
उन्होंने मुख्य रूप से सिविल पक्ष में प्रैक्टिस की और भूमि अधिग्रहण, किराया नियंत्रण, शिक्षा, मोटर दुर्घटना, श्रम और सेवा और संवैधानिक सहित अन्य विविध मामलों का बड़ी संख्या में निपटारा किया। उन्होंने उत्तर प्रदेश आवास एवं विकास परिषद, लखनऊ और डॉ बीआर अंबेडकर विश्वविद्यालय, आगरा के स्थायी वकील के रूप में कार्य किया। उनके पिता न्यायमूर्ति नरेंद्र नाथ मिथल भी 14 दिसंबर, 1978 से 7 अप्रैल, 1992 तक इलाहाबाद उच्च न्यायालय के न्यायाधीश रहे। वे स्वयं 7 जुलाई, 2006 को इलाहाबाद उच्च न्यायालय के अतिरिक्त न्यायाधीश के रूप में पदोन्नत हुए।
साल 2020 में उन्हें इलाहाबाद उच्च न्यायालय की लखनऊ पीठ में वरिष्ठ न्यायाधीश के रूप में नियुक्त किया गया। 4 जनवरी, 2021 को उन्हें जम्मू-कश्मीर और लद्दाख उच्च न्यायालय के मुख्य न्यायाधीश के रूप में पदोन्नत किया गया। 14 अक्टूबर, 2022 को उन्हें राजस्थान उच्च न्यायालय के मुख्य न्यायाधीश के रूप में स्थानांतरित किया गया। वे चौधरी चरण सिंह विश्वविद्यालय, मेरठ की कार्यकारी परिषद में राज्यपाल द्वारा नामित सदस्य हैं। वे इटावा हिंदी सेवा निधि के न्यासी और न्यायमूर्ति नरेंद्र नाथ मिथल मेमोरियल फाउंडेशन के संस्थापक न्यासी हैं, जो उनके दिवंगत पिता की स्मृति में उनकी मां द्वारा स्थापित एक ट्रस्ट है। 6 फरवरी, 2023 को उन्हें सर्वोच्च न्यायालय में पदोन्नत किया गया और 16 जून, 2026 को वह रिटायर होंगे।
जस्टिस संजय करोल (Justice Sanjay Karol)
जस्टिस संजय करोल का जन्म 23 अगस्त, 1961 हुआ। वह भारत के पहले विरासत गांव गरली, जिला कांगड़ा, हिमाचल प्रदेश से हैं। उन्होंने सेंट एडवर्ड्स स्कूल, शिमला से अपनी स्कूली शिक्षा की और हिमाचल प्रदेश विश्वविद्यालय से स्नातक ऑनर्स की डिग्री और कानून की डिग्री प्राप्त की। उन्होंने दिल्ली और अन्य उच्च न्यायालयों में विभिन्न मंचों पर वकालत की। उन्हें 1998 में हिमाचल प्रदेश राज्य का महाधिवक्ता नियुक्त किया गया और उन्होंने 2003 तक इस पद पर कार्य किया। उन्हें 1999 में पूर्ण न्यायालय द्वारा वरिष्ठ अधिवक्ता का पदनाम दिया गया।
8 मार्च, 2007 को उन्हें उच्च न्यायालय के न्यायाधीश के रूप में पदोन्नत किया गया। उन्होंने कार्यवाहक मुख्य न्यायाधीश के रूप में एक वर्ष से अधिक सहित, साढ़े ग्यारह वर्षों की अवधि के लिए न्यायालय में सेवा की। इसके अलावा वे हिमाचल प्रदेश विधिक सेवा प्राधिकरण के मुख्य संरक्षक और हिमाचल प्रदेश राष्ट्रीय विधि विश्वविद्यालय के कुलाधिपति भी थे। इसके बाद 14 नवंबर, 2018 को उन्हें त्रिपुरा उच्च न्यायालय के मुख्य न्यायाधीश के पद पर पदोन्नत किया गया। त्रिपुरा में, वे त्रिपुरा विधिक सेवा प्राधिकरण के प्रधान संरक्षक भी रहे, जहाँ उन्होंने 10 नवंबर, 2019 को पटना उच्च न्यायालय में स्थानांतरण होने तक कार्य किया। पटना उच्च न्यायालय में, उन्होंने तीन वर्षों से अधिक समय तक कार्य किया। पटना में, वे बिहार विधिक सेवा प्राधिकरण के प्रधान संरक्षक और चाणक्य राष्ट्रीय विधि विश्वविद्यालय के कुलाधिपति भी रहे। 6 फरवरी, 2023 को उन्हें भारत के माननीय सर्वोच्च न्यायालय के न्यायाधीश के रूप में पदोन्नत किया गया।
जस्टिस संज कुमार (Justice Sanjay Kumar)
जस्टिस संजय कुमार का जन्म 14.08.1963 को हैदराबाद में हुआ। उन्होंने अगस्त, 1988 में अपनी वकालत शुरू की। उन्हें 08.08.2008 को आंध्र प्रदेश हाई कोर्ट का अतिरिक्त न्यायाधीश नियुक्त किया गया। 20.01.2010 को स्थायी न्यायाधीश बनाया गया। 01.01.2019 को तेलंगाना हाई कोर्ट के गठन के बाद उन्होंने वहाँ के न्यायाधीश के रूप में शपथ ली। 14.10.2019 को उन्हें पंजाब एवं हरियाणा हाई कोर्ट के न्यायाधीश के रूप में स्थानांतरित किया गया। 14.02.2021 को उन्हें मणिपुर हाई कोर्ट के मुख्य न्यायाधीश के रूप में पदोन्नत किया गया। 06.02.2023 को उन्हें भारत के सर्वोच्च न्यायालय के न्यायाधीश के रूप में पदोन्नत किया गया। वह 13.08.2028 को सेवानिवृत्त होंगे।
जस्टिस अहसानुद्दीन अमानुल्लाह (Justice Ahsanuddin Amanullah)
जस्टिस अहसानुद्दीन अमानुल्लाह सुप्रीम कोर्ट में एक मात्र मुस्लिम जज हैं। उनका जन्म 11-05-1963 हुआ। उन्होंने 27-09-1991 को बिहार राज्य बार काउंसिल में नामांकन प्राप्त किया। मुख्यतः संवैधानिक न्यायालयों, मुख्यतः पटना उच्च न्यायालय में वकालत की। माननीय सर्वोच्च न्यायालय और विभिन्न उच्च न्यायालयों में, संवैधानिक, सिविल, आपराधिक, सेवा, सहकारिता, कराधान, श्रम, कॉर्पोरेट, वन मामलों में समय-समय पर उपस्थित हुए। संवैधानिक और सेवा कानूनों में विशेषज्ञता प्राप्त है।
साल 20-06-2011 को वह पटना हाई कोर्ट के न्यायाधीश के रूप में पदोन्नत हुए। 10-10-2021 को आंध्र प्रदेश उच्च न्यायालय में ट्रांसफर हुआ और 20-06-2022 को पटना उच्च न्यायालय में पुनः स्थानांतरित। 06-02-2023 को उनको सर्वोच्च न्यायालय में पदोन्नत किया गया।
जस्टिस मनोज मिश्रा (Justice Manoj Misra)
जस्टिस मनोज मिश्रा का जन्म 02 जून 1965 को हुआ था। उन्होंने 1988 में इलाहाबाद विश्वविद्यालय से कानून में स्नातक की उपाधि प्राप्त की।
12 दिसम्बर 1988 को उन्हें अधिवक्ता के रूप में नामांकित किया गया। उन्होंने इलाहाबाद उच्च न्यायालय में सिविल, राजस्व, आपराधिक और संवैधानिक मामलों में लगभग 23 वर्षों तक प्रैक्टिस की। उन्हें 21 नवंबर, 2011 को इलाहाबाद हाई कोर्ट के अतिरिक्त न्यायाधीश के रूप में और 06 अगस्त, 2013 को स्थायी न्यायाधीश के रूप में नियुक्त किया गया था। उन्हें 06 फरवरी, 2023 को सुप्रीम कोर्ट के न्यायाधीश के रूप में पदोन्नत किया गया। वह 1 जून 2030 को सेवानिवृत्त होंगे।
जस्टिस राजेश बिंदल (Justice Rajesh Bindal)
जस्टिस राजेश बिंदल का जन्म 16 अप्रैल, 1961 को हरियाणा राज्य के अंबाला शहर में हुआ। 1985 में कुरुक्षेत्र विश्वविद्यालय से एलएलबी की डिग्री प्राप्त की और सितंबर 1985 में पंजाब एवं हरियाणा उच्च न्यायालय से अपनी कानूनी यात्रा शुरू की। उच्च न्यायालय में आयकर विभाग, हरियाणा क्षेत्र और कर्मचारी भविष्य निधि संगठन (पंजाब एवं हरियाणा क्षेत्र) का तथा केन्द्रीय प्रशासनिक न्यायाधिकरण में केन्द्रीय प्रशासनिक न्यायाधिकरण और चंडीगढ़ प्रशासन का प्रतिनिधित्व किया। 22 मार्च 2006 को पंजाब एवं हरियाणा उच्च न्यायालय के न्यायाधीश के रूप में पदोन्नत हुए।
जम्मू और कश्मीर उच्च न्यायालय में स्थानांतरण से पहले, वे चंडीगढ़ न्यायिक अकादमी के बोर्ड ऑफ गवर्नर्स के अध्यक्ष और कंप्यूटर समिति सहित विभिन्न समितियों के अध्यक्ष रहे। 8 दिसंबर, 2020 से केंद्र शासित प्रदेश जम्मू और कश्मीर और लद्दाख के लिए सामान्य उच्च न्यायालय के कार्यवाहक मुख्य न्यायाधीश के कार्यालय के कर्तव्यों का पालन करने के लिए नियुक्त किया गया।
कलकत्ता उच्च न्यायालय के न्यायाधीश के रूप में स्थानांतरित हुए और 5 जनवरी, 2021 को शपथ ली। सर्वोच्च न्यायालय की ई-कमेटी द्वारा उनकी अध्यक्षता में एक समिति गठित की गई थी जिसका उद्देश्य आदर्श इलेक्ट्रॉनिक रजिस्टर तैयार करना था, जिसे जिला न्यायपालिका द्वारा देश के सभी भागों में उपयुक्त क्षेत्रीय भिन्नता के साथ अपनाया जा सके ताकि मैनुअल रजिस्टरों का स्थान लिया जा सके और एकाधिक प्रविष्टियों से बचा जा सके।
27 अप्रैल, 2021 से कलकत्ता उच्च न्यायालय के मुख्य न्यायाधीश के कार्यालय के कर्तव्यों का पालन करने के लिए नियुक्त किया गया।11 अक्टूबर, 2021 को इलाहाबाद उच्च न्यायालय के मुख्य न्यायाधीश के रूप में शपथ ली। 13.02.2023 वो सुप्रीम कोर्ट के जज नियुक्त किए गए।
जस्टिस अरविंद कुमार (Justice Aravind Kumar)
जस्टिस अरविंद कुमार ने अपनी पढ़ाई बेंगलुरु से की। नेशनल कॉलेज से स्नातक की पढ़ाई की और बेंगलुरु विश्वविद्यालय से कानून की पढ़ाई पूरी की। छात्र जीवन के दौरान, वे छात्र संघ के नेता के रूप में सक्रिय रहे और बैंगलोर विश्वविद्यालय छात्र कार्रवाई समिति के उपाध्यक्ष रहे।
वर्ष 1987 में अधिवक्ता के रूप में नामांकित होने के बाद, लगभग 3 वर्षों तक ट्रायल कोर्ट में पैरवी की। वर्ष 1990 के बाद से, उन्होंने उच्च न्यायालय में अपना अभ्यास स्थानांतरित कर दिया और स्वतंत्र रूप से प्रैक्टिस करना शुरू कर दिया। वर्ष 1999 में, उन्हें कर्नाटक उच्च न्यायालय में केंद्र सरकार के अतिरिक्त स्थायी वकील के रूप में नियुक्त किया गया। वर्ष 2002 में, उन्हें भारत सरकार द्वारा क्षेत्रीय प्रत्यक्ष कर सलाहकार समिति का सदस्य नियुक्त किया गया।
वर्ष 2005 में भारत के सहायक सॉलिसिटर जनरल नियुक्त हुए। उन्होंने भारतीय संविधान, केंद्रीय उत्पाद शुल्क अधिनियम, सीमा शुल्क अधिनियम, सिविल प्रक्रिया संहिता, दंड प्रक्रिया संहिता आदि से संबंधित मामलों का संचालन किया है।
विधानसभा और संसदीय निर्वाचन क्षेत्रों से संबंधित अनेक चुनाव याचिकाओं का संचालन भी किया। आयकर विभाग में स्थायी वकील के रूप में 11 वर्षों तक कराधान संबंधी कार्य भी किया।
26-6-2009 को कर्नाटक हाई कोर्ट के अतिरिक्त न्यायाधीश के रूप में नियुक्त किए गए और उक्त तिथि को पद की शपथ ली और 07-12-2012 से स्थायी न्यायाधीश बनाए गए। गुजरात उच्च न्यायालय के मुख्य न्यायाधीश के रूप में नियुक्त किए गए और 13.10.2021 को पद की शपथ ली।
जस्टिस प्रशांत कुमार मिश्रा (Justice Prashant Kumar Mishra)
जस्टिस प्रशांत कुमार मिश्रा का जन्म 29 अगस्त, 1964 को रायगढ़ (छत्तीसगढ़) में हुआ। उन्होंने गुरु घासीदास विश्वविद्यालय, बिलासपुर (छत्तीसगढ़) से बीएससी और एलएलबी की उपाधि प्राप्त की। 4 सितंबर, 1987 को अधिवक्ता के रूप में पंजीकृत हुए। रायगढ़ जिला न्यायालय, जबलपुर स्थित मध्य प्रदेश उच्च न्यायालय और बिलासपुर स्थित छत्तीसगढ़ उच्च न्यायालय में वकालत की और सिविल, फौजदारी और रिट शाखाओं में कार्य किया।
जनवरी, 2005 में छत्तीसगढ़ हाई कोर्ट द्वारा वरिष्ठ अधिवक्ता नामित किए गए। छत्तीसगढ़ राज्य बार काउंसिल के अध्यक्ष रहे। छत्तीसगढ़ हाई कोर्ट की नियम निर्माण समिति के सदस्य नियुक्त/सहयोजित किए गए। गुरु घासीदास विश्वविद्यालय, बिलासपुर की कार्यकारी परिषद में कुलाधिपति द्वारा नामित किए गए। हिदायतुल्ला राष्ट्रीय विधि विश्वविद्यालय, रायपुर (छत्तीसगढ़) की कार्यकारी परिषद में पदेन सदस्य के रूप में संबद्ध रहे। 26 जून, 2004 से 31 अगस्त, 2007 तक छत्तीसगढ़ राज्य के अतिरिक्त महाधिवक्ता के रूप में और उसके बाद 1 सितंबर, 2007 से पदोन्नति तक राज्य के महाधिवक्ता के रूप में कार्य किया। 10 दिसंबर, 2009 को छत्तीसगढ़ उच्च न्यायालय के न्यायाधीश के रूप में पदोन्नत हुए। 01.6.2021 से 11.10.2021 तक छत्तीसगढ़ उच्च न्यायालय के कार्यवाहक मुख्य न्यायाधीश रहे। 13.10.2021 को आंध्र प्रदेश उच्च न्यायालय के मुख्य न्यायाधीश नियुक्त हुए और कार्यभार संभाला। 19 मई, 2023 को सुप्रीम कोर्ट के न्यायाधीश के रूप में पदोन्नत हुए।
जस्टिस केवी विश्वनाथन (Justice K.V. Viswanathan)
जस्टिस केवी विश्वनाथन का जन्म 26 मई 1966 को हुआ। विश्वनाथन ने अरोकिआमाथा मैट्रिकुलेशन हायर सेकेंडरी स्कूल, पोलाची; सैनिक स्कूल अमरावतीनगर और सेंट जोसेफ हायर सेकेंडरी स्कूल, ऊटी में पढ़ाई की। कोयंबटूर लॉ कॉलेज, भारथिअर विश्वविद्यालय, कोयंबटूर से पांच वर्षीय विधि पाठ्यक्रम (1983-1988) के प्रथम बैच के भाग के रूप में प्रथम रैंक के साथ स्नातक की उपाधि प्राप्त की तथा विधि स्नातक की उपाधि प्राप्त की।
विश्वनाथन 28 अक्टूबर 1988 को तमिलनाडु बार काउंसिल की सूची में अधिवक्ता के रूप में नामांकित हुए तथा दिल्ली बार काउंसिल की सूची में स्थानांतरित हुए। 1983 से 1988 के बीच कॉलेज के दिनों में कोम्बेटोर में अग्रणी आपराधिक वकील स्वर्गीय श्री के.ए. रामचंद्रन के चैंबर में रहे। नवंबर, 1988 से नई दिल्ली में वरिष्ठ अधिवक्ता और पूर्व अतिरिक्त सॉलिसिटर जनरल श्री सी.एस. वैद्यनाथन के चैंबर में शामिल हुए और अक्टूबर, 1990 तक काम किया। सर्वोच्च न्यायालय, दिल्ली उच्च न्यायालय और दिल्ली में विभिन्न अधीनस्थ न्यायालयों और न्यायाधिकरणों के समक्ष महत्वपूर्ण मामलों में उनकी सहायता की।
नवंबर, 1990 से जून, 1995 तक भारत के वरिष्ठ अधिवक्ता और पूर्व अटॉर्नी जनरल श्री के.के. वेणुगोपाल के साथ काम किया तथा उच्चतम न्यायालय और उच्च न्यायालयों में महत्वपूर्ण मामलों में उनके साथ पेश हुए। जून 2002 में हार्वर्ड लॉ स्कूल, बोस्टन, मैसाचुसेट्स में वकीलों के लिए प्रशिक्षण कार्यक्रम में भाग लिया।
28 अप्रैल 2009 को भारत के सर्वोच्च न्यायालय के पूर्ण न्यायालय द्वारा वरिष्ठ अधिवक्ता के रूप में नामित। 26 अगस्त 2013 को भारत के अतिरिक्त सॉलिसिटर जनरल नियुक्त किये गये तथा मई 2014 तक इस पद पर रहे। अपनी प्रैक्टिस के दौरान, उन्होंने भारत के सर्वोच्च न्यायालय और देश भर के कई उच्च न्यायालयों में पैरवी की। एक वरिष्ठ अधिवक्ता और अतिरिक्त सॉलिसिटर जनरल के रूप में, उन्होंने कानून के विविध विषयों पर कई मामलों में पैरवी की, जिनमें सर्वोच्च न्यायालय की संविधान पीठों के समक्ष कई बार पेश होना भी शामिल है।
जस्टिस केवी विश्वनाथन सर्वोच्च न्यायालय के समक्ष कई महत्वपूर्ण मामलों में न्यायमित्र के रूप में उपस्थित हुए। राष्ट्रीय विधिक सेवा प्राधिकरण (एनएएलएसए) के सदस्य रहे हैं। सर्वोच्च न्यायालय विधिक सेवा समिति के सदस्य रहे हैं। वह सुप्रीम कोर्ट मध्य आय समूह कानूनी सहायता समिति के सचिव और बाद में कोषाध्यक्ष रहे हैं। 1991 में जस्टिस वर्मा जांच आयोग और जस्टिस एम.सी. जैन जांच आयोग के समक्ष पेश हुए।
‘न्याय प्रशासन’ विषय के अंतर्गत ‘मौलिक कर्तव्यों के कार्यान्वयन’ पर मुख्य न्यायाधीश जे.एस. वर्मा समिति की रिपोर्ट में योगदान दिया।विभिन्न राष्ट्रीय प्रकाशनों में संपादकीय लेखों का योगदान दिया है तथा विधि महाविद्यालयों में व्याख्यान दिए हैं। 19 मई, 2023 को बार से सीधे सुप्रीम कोर्ट के जज के रूप में पदोन्नत हुए।
जस्टिस उज्जवल भुयान (Justice Ujjal Bhuyan)
जस्टिस उज्जल भुयान का जन्म 2 अगस्त, 1964 को गुवाहाटी में हुआ। उनके पिता सुचेंद्र नाथ भुयान एक वरिष्ठ अधिवक्ता और असम के पूर्व महाधिवक्ता थे। उन्होंने अपनी स्कूली शिक्षा डॉन बॉस्को हाई स्कूल, गुवाहाटी से प्राप्त की। उसके बाद कॉटन कॉलेज, गुवाहाटी से शिक्षा प्राप्त की। दिल्ली के किरोड़ीमल कॉलेज से कला में स्नातक करने के बाद, उन्होंने गवर्नमेंट लॉ कॉलेज, गुवाहाटी से एलएलबी और गुवाहाटी विश्वविद्यालय, गुवाहाटी से एलएलएम की डिग्री प्राप्त की।
20-03-1991 को असम, नागालैंड, मेघालय, मणिपुर, त्रिपुरा, मिज़ोरम और अरुणाचल प्रदेश की बार काउंसिल में नामांकित हुए। गुवाहाटी स्थित गुवाहाटी उच्च न्यायालय की मुख्य पीठ में वकालत की और गुवाहाटी उच्च न्यायालय की अगरतला, शिलांग, कोहिमा और ईटानगर पीठों में पेश हुए। केंद्रीय प्रशासनिक न्यायाधिकरण, गुवाहाटी पीठ और असम राजस्व बोर्ड में भी वकालत की। श्रम न्यायालय, गुवाहाटी, विभिन्न सिविल न्यायालयों और राज्य उपभोक्ता फोरम, अरुणाचल प्रदेश में भी पेश हुए।
वे मई, 1995 से कनिष्ठ स्थायी अधिवक्ता के रूप में कार्यरत रहे और तत्पश्चात 03-12-2008 को आयकर विभाग के वरिष्ठ स्थायी अधिवक्ता नियुक्त हुए। वे अप्रैल, 2002 से अक्टूबर, 2006 तक गुवाहाटी उच्च न्यायालय की मुख्य पीठ में मेघालय के अतिरिक्त सरकारी अधिवक्ता रहे। वे दिसंबर, 2005 से अप्रैल, 2009 तक अरुणाचल प्रदेश सरकार के वन विभाग में विशेष अधिवक्ता के रूप में कार्यरत रहे। 03-03-2010 को गुवाहाटी उच्च न्यायालय के स्थायी अधिवक्ता नियुक्त हुए।
06-09-2010 को गुवाहाटी हाई कोर्ट द्वारा वरिष्ठ अधिवक्ता के रूप में नामित। 21-07-2011 को उन्हें असम का अतिरिक्त महाधिवक्ता नियुक्त किया गया। वे गुवाहाटी हाई कोर्ट बार एसोसिएशन, लॉयर्स एसोसिएशन, गुवाहाटी, बार एसोसिएशन ऑफ इंडिया, ऑल इंडिया फेडरेशन ऑफ टैक्स प्रैक्टिशनर्स और इंडियन लॉ इंस्टीट्यूट, असम चैप्टर के सदस्य रहे।
17 अक्टूबर, 2011 को गुवाहाटी हाई कोर्ट के अतिरिक्त न्यायाधीश के रूप में नियुक्त और 20 मार्च, 2013 को स्थायी। वह मिजोरम राज्य विधिक सेवा प्राधिकरण के कार्यकारी अध्यक्ष भी थे।
जस्टिस उज्जल भुयान न्यायिक अकादमी, असम और राष्ट्रीय विधि विश्वविद्यालय, गुवाहाटी से निकटता से जुड़े थे। बॉम्बे हाई कोर्ट में स्थानांतरित हुए और 03.10.2019 को बॉम्बे उच्च न्यायालय के न्यायाधीश के रूप में शपथ ली।
मुंबई में दो साल के कार्यकाल के बाद, न्यायमूर्ति भुयान का तेलंगाना उच्च न्यायालय में स्थानांतरण हुआ और उन्होंने 22 अक्टूबर 2021 को तेलंगाना उच्च न्यायालय के न्यायाधीश के रूप में शपथ ली। वे तेलंगाना राज्य विधिक सेवा प्राधिकरण के कार्यकारी अध्यक्ष थे। उन्हें तेलंगाना राज्य के उच्च न्यायालय के मुख्य न्यायाधीश के रूप में नियुक्त किया गया और 28 जून 2022 को उन्होंने शपथ ग्रहण की।
05-07-2023 को, सुप्रीम कोर्ट कॉलेजियम ने सुप्रीम कोर्ट के न्यायाधीश के रूप में नियुक्ति की सिफारिश की, जिसके बाद 14.07.2023 को उन्हें सुप्रीम कोर्ट का जज नियुक्त किया गया।
जस्टिस सरसा वेंकटनारायण भट्टी (Justice Sarasa Venkatanarayana Bhatti)
जस्टिस एसवीएन भट्टी का जन्म 6 मई, 1962 को हुआ था। वे वाणिज्य और विधि स्नातक हैं। 21 जनवरी, 1987 को आंध्र प्रदेश बार काउंसिल में पंजीकृत हुए। उन्होंने मदनपल्ले, आंध्र प्रदेश में ट्रायल कोर्ट में प्रैक्टिस शुरू की और फिर हैदराबाद स्थित आंध्र प्रदेश उच्च न्यायालय में चले गए। वे कुछ सार्वजनिक क्षेत्र के उपक्रमों/सांविधिक निकायों के स्थायी अधिवक्ता रहे।
भट्टी ने 2000 से 2003 तक हाई कोर्ट के महाधिवक्ता कार्यालय में विशेष सरकारी वकील के रूप में कार्य किया। 12 अप्रैल, 2013 को आंध्र प्रदेश उच्च न्यायालय के न्यायाधीश बनने से पहले उन्होंने हैदराबाद स्थित आंध्र प्रदेश उच्च न्यायालय में मूल और अपीलीय पक्ष में प्रैक्टिस की। उन्होंने आंध्र प्रदेश और तेलंगाना राज्यों के लिए हैदराबाद उच्च न्यायालय के न्यायाधीश के रूप में कार्य किया। अमरावती में आंध्र प्रदेश उच्च न्यायालय की स्थापना होने पर, उन्हें आंध्र प्रदेश उच्च न्यायालय, अमरावती में स्थानांतरित कर दिया गया और उन्होंने 18 मार्च, 2019 तक काम किया। उन्हें एर्नाकुलम में केरल हाई कोर्ट में स्थानांतरित कर दिया गया। उन्होंने 19 मार्च, 2019 को पदभार ग्रहण किया। वह 24 अप्रैल, 2023 से केरल उच्च न्यायालय के कार्यवाहक मुख्य न्यायाधीश थे, जब तक कि वे 1 जून, 2023 को केरल उच्च न्यायालय के मुख्य न्यायाधीश नहीं बन गए। 14 जुलाई 2023 को उन्हें सुप्रीम कोर्ट के जज के रूप में शपथ दिलाई गई।
जस्टिस सतीश चंद्र शर्मा (Justice Satish Chandra Sharma)
जस्टिस सतीश चंद्र शर्मा का जन्म 30 नवंबर, 1961 को भोपाल में हुआ। पिता डॉ. बीएन शर्मा एक सुप्रसिद्ध कृषिविद् होने के साथ-साथ जबलपुर विश्वविद्यालय के एक प्रख्यात प्रोफेसर और बाद में बरकतउल्ला विश्वविद्यालय, भोपाल के कुलपति भी रहे। माता श्रीमती शांति शर्मा एक प्राचार्य थीं और सेवानिवृत्ति से पहले जबलपुर में जिला शिक्षा अधिकारी के रूप में भी कार्यरत थीं। उन्होंने क्राइस्ट चर्च बॉयज़ हायर सेकेंडरी स्कूल से स्कूली शिक्षा शुरू की और केंद्रीय विद्यालय, जबलपुर से 10वीं और 12वीं कक्षा उत्तीर्ण की। 1979 में डॉ. हरि सिंह गौर विश्वविद्यालय, सागर में विज्ञान स्नातक के छात्र के रूप में नामांकित हुए। 1981 में तीन विषयों में विशिष्टता के साथ विज्ञान स्नातक की उपाधि प्राप्त की।
स्नातकोत्तर अध्ययन के लिए राष्ट्रीय मेधा छात्रवृत्ति से सम्मानित। 1981 में डॉ. हरि सिंह गौर विश्वविद्यालय, सागर में विधि के छात्र के रूप में नामांकित। कक्षा में सर्वोच्च स्थान प्राप्त किया और 1984 में तीन विश्वविद्यालय स्वर्ण पदकों के साथ एल.एल.बी. की उपाधि प्राप्त की। 1 सितंबर, 1984 को अधिवक्ता के रूप में नामांकित हुए। जबलपुर स्थित मध्य प्रदेश उच्च न्यायालय में संवैधानिक, सेवा, सिविल और फौजदारी मामलों में वकालत की। 28 मई, 1993 को अतिरिक्त केंद्रीय सरकारी वकील नियुक्त किए गए और 28 जून, 2004 को भारत सरकार द्वारा वरिष्ठ पैनल वकील नियुक्त किए गए। 2003 में, 42 वर्ष की में मध्य प्रदेश हाई कोर्ट द्वारा उन्हें वरिष्ठ अधिवक्ता के रूप में नामित किया गया, जो मध्य प्रदेश हाई कोर्ट के सबसे युवा वरिष्ठ अधिवक्ताओं में से एक थे।
18 जनवरी 2008 को मध्य प्रदेश हाई कोर्ट के अतिरिक्त न्यायाधीश के रूप में पदोन्नत हुए। 15 जनवरी 2010 को स्थायी न्यायाधीश नियुक्त हुए। जस्टिस एस.सी. शर्मा एक उत्साही पाठक हैं और विभिन्न विश्वविद्यालयों में अपने योगदान के लिए भी जाने जाते हैं। वे राष्ट्रीय विधि विश्वविद्यालयों से जुड़े हुए हैं। वे राष्ट्रीय विधि संस्थान विश्वविद्यालय, भोपाल और भारतीय अंतर्राष्ट्रीय विधि शिक्षा एवं अनुसंधान विश्वविद्यालय, गोवा के सलाहकार बोर्ड के सदस्य भी हैं और उनके कई शोध लेख और शोध पत्र प्रकाशित हुए हैं।
31 दिसंबर, 2020 को न्यायाधीश के रूप में कर्नाटक हाई कोर्ट में स्थानांतरित हुए और 4 जनवरी, 2021 को शपथ ली। बाद में उन्हें 31 अगस्त, 2021 को कर्नाटक हाई कोर्ट के कार्यवाहक मुख्य न्यायाधीश के रूप में नियुक्त किया गया। उन्हें 11 अक्टूबर, 2021 को तेलंगाना उच्च न्यायालय के मुख्य न्यायाधीश के रूप में पदोन्नत किया गया और मुख्य न्यायाधीश के रूप में दिल्ली उच्च न्यायालय में स्थानांतरित किया गया और 28 जून, 2022 को पद की शपथ ली। 09.11.2023 को उन्हें सुप्रीम कोर्ट का जज नियुक्त किया गया। 29-11-2026 को वह रिटायर होंगे।
जस्टिस ऑगस्टीन जॉर्ज मसीह (Justice Augustine George Masih)
जस्टिस ऑगस्टीन जॉर्ज मसीह का जन्म 12 मार्च, 1963 को पंजाब के रोपड़ में हुआ। उन्होंने सेंट मैरी कॉन्वेंट स्कूल, कसौली (हिमाचल प्रदेश) से प्रारंभिक शिक्षा प्राप्त करने की। इसके बाद सैफुद्दीन ताहिर हाई स्कूल, अलीगढ़ से स्कूली शिक्षा पूरी की। अलीगढ़ मुस्लिम विश्वविद्यालय, अलीगढ़ से विज्ञान (ऑनर्स) में स्नातक और फिर एलएलबी (ऑनर्स) की डिग्री प्राप्त की। 6 जून, 1987 को पंजाब एवं हरियाणा बार काउंसिल की बार काउंसिल में अधिवक्ता के रूप में नामांकित हुए। संविधान कानून, सेवा कानून, श्रम कानून, सिविल कानून आदि के क्षेत्र में मूल और अपीलीय दोनों पक्षों में वकालत की। सर्वोच्च न्यायालय, पंजाब एवं हरियाणा उच्च न्यायालयों, दिल्ली, हिमाचल प्रदेश और विभिन्न अन्य न्यायालयों एवं न्यायाधिकरणों में भी वकालत की। पंजाब के महाधिवक्ता कार्यालय में सहायक महाधिवक्ता, उप महाधिवक्ता, अतिरिक्त महाधिवक्ता के पदों पर कार्य किया। 10 जुलाई, 2008 को पंजाब एवं हरियाणा उच्च न्यायालय के अतिरिक्त न्यायाधीश के रूप में शपथ ली और 14 जनवरी, 2011 को स्थायी न्यायाधीश बने।
मसीह 30 मई, 2023 को राजस्थान उच्च न्यायालय के मुख्य न्यायाधीश के रूप में पदोन्नत। 09 नवंबर, 2023 को सर्वोच्च न्यायालय के न्यायाधीश के रूप में पदोन्नत और पदभार ग्रहण। वो 01-02-2030 को पद से रिटायर होंगे।
जस्टिस संदीप मेहता (Justice Sandeep Mehta)
जस्टिस संदीप मेहता ने ट्रायल कोर्ट, हाई कोर्ट और सुप्रीम कोर्ट में प्रैक्टिस की। वह हाई कोर्ट के सेवानिवृत्त और मौजूदा माननीय न्यायाधीशों की अध्यक्षता वाले 3 न्यायिक जाँच आयोगों में वकील रहे। 2003 से 2009 तक राजस्थान बार काउंसिल के सदस्य रहे। 2004-2005 में राजस्थान बार काउंसिल के उपाध्यक्ष रहे। 2010 में राजस्थान बार काउंसिल के अध्यक्ष रहे। 30 मई 2011 को राजस्थान हाई कोर्ट के अतिरिक्त न्यायाधीश के रूप में पदोन्नत हुए और 6 फरवरी 2013 को स्थायी न्यायाधीश बने। मेहता ने 15 फरवरी 2023 को गुवाहाटी हाई कोर्ट के मुख्य न्यायाधीश के रूप में शपथ ली। 9 नवंबर 2023 को वह सुप्रीम कोर्ट के जज से रूप में पदोन्नत हुए। जस्टिस मेहता 10-01-2028 को अपने पद से रिटायर होंगे।
जस्टिस प्रसन्ना भालचंद्र वरले (Justice Prasanna Bhalachandra Varale)
जस्टिस प्रसन्ना भालचंद्र वरले का जन्म 23 जून, 1962 को निप्पानी में हुआ। उन्होंने अपनी स्कूली शिक्षा और डिग्री स्तर की पढ़ाई महाराष्ट्र के विभिन्न स्थानों जैसे शहादा, शिरपुर, नासिक, सांगली, बुलढाणा, लातूर और नांदेड़ में की। वरले ने डॉ. बाबासाहेब अम्बेडकर विश्वविद्यालय से एलएलबी की पढ़ाई पूरी की। इसके बाद प्रसन्ना बी. वरले ने बॉम्बे उच्च न्यायालय, औरंगाबाद पीठ में प्रैक्टिस शुरू की। वह प्रसिद्ध वकील सत्यनारायण लोया के चैंबर में शामिल हुए और औरंगाबाद उच्च न्यायालय पीठ में सिविल और आपराधिक दोनों पक्षों की प्रैक्टिस की।
जस्टिस वरले 1990 से 1992 तक औरंगाबाद के डॉ. अम्बेडकर लॉ कॉलेज में कानून के व्याख्याता के रूप में भी काम किया। जस्टिस प्रसन्ना बी. वराले ने औरंगाबाद उच्च न्यायालय पीठ में सहायक सरकारी वकील और अतिरिक्त लोक अभियोजक के रूप में भी काम किया। न्यायमूर्ति प्रसन्ना बी. वराले को 18 जुलाई 2008 को बॉम्बे उच्च न्यायालय में पदोन्नत किया गया। उन्होंने 15 अक्टूबर 2022 को कर्नाटक उच्च न्यायालय के मुख्य न्यायाधीश के रूप में पदभार ग्रहण किया। 25 जनवरी 2024 को उन्होंने सुप्रीम कोर्ट के जज के रूप में शपथ ली। वह 22 जून, 2027 को सेवानिवृत्त होंगे।
जस्टिस एन. कोटिश्वर सिंह (Justice N. Kotiswar Singh)
जस्टिस एन कोटिश्वर सिंह का जन्म इंफाल में हुआ। उन्होंने प्राथमिक शिक्षा इंफाल से प्राप्त की। इसके बाद 1983 में किरोड़ीमल कॉलेज, दिल्ली विश्वविद्यालय से राजनीति विज्ञान में बीए (ऑनर्स) की डिग्री और 1986 में कैंपस लॉ सेंटर, दिल्ली विश्वविद्यालय से कानून की डिग्री (एलएलबी) प्राप्त की। 1986 में वह एक वकील के रूप में नामांकित हुए। 1992 में लंदन विश्वविद्यालय के अंतर्गत छह महीने के “कॉमनवेल्थ यंग लॉयर्स कोर्स” में भाग लिया।
सुप्रीम कोर्ट में कुछ वक्त तक वकालत करने के बाद उन्होंने गुवाहाटी हाई कोर्ट में वकालत की, जो उस समय असम, नागालैंड, मेघालय, मणिपुर, त्रिपुरा, मिज़ोरम और अरुणाचल प्रदेश का संयुक्त हाई कोर्ट था। उन्होंने केंद्रीय प्रशासनिक न्यायाधिकरण, गुवाहाटी और मणिपुर के अधीनस्थ न्यायालयों में भी वकालत की। वे मणिपुर सरकार के विभिन्न सरकारी विभागों और सार्वजनिक उपक्रमों/संस्थाओं के स्थायी अधिवक्ता भी रहे। वे जाँच आयोग अधिनियम, 1952 के तहत मणिपुर में गठित कई आयोगों के समक्ष भी उपस्थित हुए।
वह 31.03.2008 को गुवाहाटी उच्च न्यायालय द्वारा वरिष्ठ अधिवक्ता के रूप में मनोनीत। 03.11.2007 से न्यायमूर्ति पद पर पदोन्नति तक मणिपुर राज्य के महाधिवक्ता के रूप में कार्यरत।
17.10.2011 को गुवाहाटी उच्च न्यायालय के अतिरिक्त न्यायाधीश और 07.11.2012 को गुवाहाटी उच्च न्यायालय के न्यायाधीश के रूप में शपथ ली। 23.03.2013 से मणिपुर उच्च न्यायालय के गठन के बाद से ही इसके न्यायाधीश के रूप में नियुक्त हुए। 01.07.2017 से 08.02.2018 तक और फिर 23.02.2018 से 17.05.2018 तक मणिपुर उच्च न्यायालय के मुख्य न्यायाधीश के पद के कर्तव्यों का निर्वहन करने के लिए नियुक्त हुए।
मणिपुर उच्च न्यायालय से गुवाहाटी उच्च न्यायालय में स्थानांतरण के बाद, 11.10.2018 को गुवाहाटी उच्च न्यायालय के न्यायाधीश के रूप में कार्यभार ग्रहण किया। गुवाहाटी उच्च न्यायालय के न्यायाधीश के रूप में उन्होंने नागालैंड राज्य विधिक सेवा प्राधिकरण और असम राज्य विधिक सेवा प्राधिकरण के कार्यकारी अध्यक्ष के रूप में कार्य किया। इस दौरान, वे राष्ट्रीय विधिक सेवा प्राधिकरण के केंद्रीय प्राधिकरण के सदस्य और राष्ट्रीय न्यायिक अकादमी, भोपाल के शासी निकाय के सदस्य भी रहे।
21.09.2020 से 09.01.2021 तक, 09.05.2022 से 22.06.2022 तक और 12.01.2023 से 15.02.2023 को जम्मू और कश्मीर और लद्दाख के उच्च न्यायालय के मुख्य न्यायाधीश के रूप में पदोन्नति तक गौहाटी उच्च न्यायालय के मुख्य न्यायाधीश के कार्यालय के कर्तव्यों का पालन किया। इसके बाद 18.07.2024 को वह सुप्रीम कोर्ट के जज बने। वह 29-02-2028 को अपने पद से रिटायर होंगे।
जस्टिस आर. महादेवन (Justice R. Mahadevan)
जस्टिस आर महादेवन का जन्म 10 जून, 1963 को चेन्नई में हुआ। उन्होंने मद्रास लॉ कॉलेज से कानून की डिग्री हासिल की। इसके बाद 1989 में तमिलनाडु बार काउंसिल में दाखिला लिया। 25 वर्षों तक अप्रत्यक्ष करों, सीमा शुल्क और केंद्रीय उत्पाद शुल्क मामलों में विशेषज्ञता के साथ सिविल, आपराधिक और रिट मामलों में वकालत की। तमिलनाडु सरकार के लिए अतिरिक्त सरकारी वकील (कर), मद्रास उच्च न्यायालय में केंद्र सरकार के अतिरिक्त स्थायी वकील और भारत सरकार के वरिष्ठ पैनल वकील के रूप में कार्य किया। 2013 में मद्रास उच्च न्यायालय के न्यायाधीश के रूप में पदोन्नत हुए।
24.05.2024 को मद्रास हाई कोर्ट के कार्यवाहक मुख्य न्यायाधीश का पदभार ग्रहण किया। 18.07.2024 को वह सुप्रीम कोर्ट के जज के रूप में नियुक्त हुए। वह 09-06-2028 को अपने पद से रिटायर होंगे।
जस्टिस मनमोहन (Justice Manmohan)
जस्टिस मनमहोन मॉडर्न स्कूल, हिंदू कॉलेज और कैम्पस लॉ सेंटर के छात्र रह चुके हैं। जस्टिस मनमोहन को 1987 में दिल्ली बार काउंसिल में एक वकील के रूप में नामांकित किया गया था। उन्होंने सुप्रीम कोर्ट और दिल्ली उच्च न्यायालय में सिविल, आपराधिक, संवैधानिक, कराधान, मध्यस्थता और बौद्धिक संपदा अधिकार मुकदमों में प्रैक्टिस की।
2008 में दिल्ली उच्च न्यायालय के अतिरिक्त न्यायाधीश के रूप में पदोन्नत और 2009 में स्थायी न्यायाधीश के रूप में नियुक्त हुए। उन्होंने सरकार के कर्तव्य से संबंधित कई महत्वपूर्ण फैसले दिए हैं ताकि यह सुनिश्चित किया जा सके कि आर्थिक रूप से कमजोर वर्गों के पास एंजाइम रिप्लेसमेंट जैसी दुर्लभ बीमारियों के लिए भी आवश्यक दवाओं तक पहुंच हो
9 नवंबर , 2023 को जस्टिस मनमोहन दिल्ली हाई कोर्ट के कार्यवाहक मुख्य न्यायाधीश नियुक्त किए गए। 29 सितंबर, 2024 को दिल्ली उच्च न्यायालय के मुख्य न्यायाधीश के रूप में नियुक्त किए गए। 05 दिसंबर , 2024 को सुप्रीम कोर्ट के जज बने। वह 16-12-2027 को अपने पद से रिटायर होंगे।
जस्टिस के. विनोद चंद्रन (Justice K. Vinod Chandran)
जस्टिस के. विनोद चंद्रन का जन्म 25 अप्रैल, 1963 को हुआ। उन्होंने केरल लॉ अकादमी लॉ कॉलेज, तिरुवनंतपुरम से कानून की डिग्री प्राप्त की। साल 1991 में वकालत शुरू की। 2007 से 2011 तक वह केरल सरकार के विशेष सरकारी वकील (कर) के रूप में कार्यरत रहे।
8 नबंवर, 2011 को वह केरल हाई कोर्ट के अतिरिक्त न्यायाधीश के रूप में शपथ ली। 24 जून, 2013 को वह केरल हाई कोर्ट के स्थायी जज के रूप में नियुक्त किए गए। इसके बाद वह पटना हाई कोर्ट के मुख्य न्यायाधीश के रूप में पदोन्नत हुए और 29 मार्च, 2023 को इस पद की शपथ ली। चंद्रन ने 16 जनवरी, 2025 को सुप्रीम कोर्ट के जज के रूप में शपथ ली। वह 24-04-2028 को अपने पद से रिटायर होंगे।
जस्टिस जॉयमाल्या बागची (Justice Joymalya Bagchi)
जस्टिस जॉयमाल्या बागची का जन्म 3 अक्टूबर, 1966 को कोलकाता में हुआ। उन्होंने कलकत्ता विश्वविद्यालय से एल.एल.बी. की। 1991 में अधिवक्ता के रूप में नामांकित हुए। कलकत्ता उच्च न्यायालय, अन्य उच्च न्यायालयों और भारत के सर्वोच्च न्यायालय में आपराधिक और संवैधानिक कानून में विशेषज्ञता के साथ वकालत की।
बागची 2011 में कलकत्ता हाई कोर्ट के स्थायी न्यायाधीश के रूप में नियुक्त हुए। 4 जनवरी, 2021 को वह आंध्र प्रदेश हाई कोर्ट में स्थानांतरित हुए। 17 मार्च, 2025 को वह सुप्रीम कोर्ट के जज बने। 2 अक्टूबर, 2031 को वह अपने पद से रिटायर होंगे।
जस्टिस निलय विपीनचंद्र अंजारिया (Justice Nilay Vipinchandra Anjaria)
जस्टिस निलय विपीनचंद्र अंजारिया का जन्म 23 मार्च, 1965 को अहमदाबाद (कच्छ) में हुआ। उनके पिता भी न्यायपालिका में थे। उन्होंने एच.एल. कॉलेज ऑफ कॉमर्स, अहमदाबाद से स्नातक किया। 1988 में सर एल.ए. शाह लॉ कॉलेज से एल.एल.बी. की। 1989 में यूनिवर्सिटी स्कूल ऑफ लॉ, अहमदाबाद से कानून में स्नातकोत्तर उपाधि प्राप्त की।
अगस्त 1988 से गुजरात हाई कोर्ट में वरिष्ठ अधिवक्ता एस.एन. शेलत के चैंबर में कार्यरत होकर वकालत शुरू की। संवैधानिक मुद्दों और सभी प्रकार के दीवानी मामलों, श्रम एवं सेवा से संबंधित मामलों में वकालत की। उच्च न्यायालय एवं अधीनस्थ न्यायालयों, राज्य चुनाव आयोग, गुजरात सूचना आयोग, गुजरात औद्योगिक विकास निगम, नगर पालिकाओं आदि के लिए स्थायी परामर्शदाता/पैनल अधिवक्ता रहे।
21 नबंवर, 2011 को जस्टिस अंजारिया को गुजरात उच्च न्यायालय में अतिरिक्त न्यायाधीश के रूप में पदोन्नत किया गया तथा 06 सितंबर, 2013 को स्थायी न्यायाधीश के रूप में नियुक्त किए गए। जस्टिस अंजारिया ने 25 फरवरी, 2024 को कर्नाटक हाई कोर्ट के चीफ जस्टिस के रूप में शपथ ली। 30 मई, 2025 को वह सुप्रीम कोर्ट के जज नियुक्त किए गए। 22 मार्च, 2030 को वह अपने पद से रिटायर होंगे।
जस्टिस विजय बिश्नोई (Justice Vijay Bishnoi)
जस्टिस विजय बिश्नोई का जन्म 26 मार्च, 1964 को जोधपुर में हुआ। 8 जुलाई, 1989 को एक वकील के रूप में वह पंजीकृत हुए। इसके बाद उन्होंने राजस्थान उच्च न्यायालय और जोधपुर में केंद्रीय प्रशासनिक न्यायाधिकरण में प्रैक्टिस की। सिविल, आपराधिक, संवैधानिक, सेवा, चुनाव मामलों आदि जैसे क्षेत्रों में प्रैक्टिस की।
8 जनवरी, 2013 को राजस्थान उच्च न्यायालय के अतिरिक्त न्यायाधीश के रूप में नियुक्त हुए। 07 जनवरी, 2015 को राजस्थान उच्च न्यायालय के स्थायी न्यायाधीश के रूप में शपथ ली। 05 फरवरी, 2024 को उन्होंने गुवाहाटी उच्च न्यायालय के मुख्य न्यायाधीश के रूप में शपथ ली। 30 मई, 2025 को वह सुप्रीम कोर्ट के जज नियुक्त किए गए। 25 मार्च, 2029 को वह अपने पद से रिटायर होंगे।
जस्टिस अतुल शरचचंद्र चांदूरकर (Justice Atul Sharachchandra Chandurkar)
जस्टिस अतुल शरचचंद्र चांदूरकर का महाराष्ट्र के भुसावल में 7 अप्रैल, 1965 को जन्म हुआ। उन्होंने सेंट विंसेंट हाई स्कूल, पुणे से स्कूली शिक्षा पूरी की। नेस वाडिया कॉलेज, पुणे से वाणिज्य में स्नातक और आईएलएस लॉ कॉलेज, पुणे से कानून की डिग्री प्राप्त की।
21 जुलाई 1988 को मुंबई में वरिष्ठ अधिवक्ता भीमराव नाइक के चैंबर में बार में शामिल हुए। जनवरी 1992 में नागपुर स्थानांतरित हो गए। उन्होंने मुख्यतः सिविल मामलों में प्रैक्टिस की और ट्रायल व अपीलीय अदालतों सहित विभिन्न न्यायालयों में पेश हुए। स्थानीय निकायों और निगमों का भी प्रतिनिधित्व किया।
चांदूरकर 21 जून 2013 को बॉम्बे हाई कोर्ट के अतिरिक्त न्यायाधीश के रूप में पदोन्नत हुए। 2 मार्च 2016 को बॉम्बे उच्च न्यायालय के स्थायी न्यायाधीश बने। बॉम्बे उच्च न्यायालय की मुख्य पीठ के साथ-साथ नागपुर और औरंगाबाद में इसकी पीठों के साथ-साथ गोवा उच्च न्यायालय में विभिन्न कार्यभार संभाला। जस्टिस चांदूरकर 30 मई 2025 को सुप्रीम कोर्ट के जज बने। 6 अप्रैल, 2030 को वह अपने पद से रिटायर होंगे।
जस्टिस आलोक अराधे (Justice Alok Aradhe)
जस्टिस आलोक अराधे का जन्म 13 अप्रैल, 1964 को हुआ। उन्होंने बी.एस.सी. और एल.एल.बी. की पढ़ाई की। 12 जुलाई, 1988 को वह अधिवक्ता के रूप में नामांकित हुए। इसके बाद मध्य प्रदेश उच्च न्यायालय में सिविल एवं संवैधानिक, मध्यस्थता एवं कंपनी मामलों पर वकालत की। अप्रैल, 2007 में वरिष्ठ अधिवक्ता के रूप में मनोनीत हुए।
जस्टिस अराधे 29 दिसंबर 2009 को मध्य प्रदेश हाई कोर्ट के अतिरिक्त न्यायाधीश और 15 फरवरी, 2011 को स्थायी न्यायाधीश नियुक्त हुए।
20 सितंबर, 2016 को वह जम्मू-कश्मीर उच्च न्यायालय में स्थानांतरित होकर शपथ ली। 11मई, 2018 को जम्मू-कश्मीर उच्च न्यायालय के कार्यवाहक मुख्य न्यायाधीश नियुक्त हुए और 10 अगस्त, 2018 तक इस पद पर कार्यरत रहे।
कर्नाटक हाई कोर्ट में स्थानांतरण के बाद जस्टिस अराधे ने 17 नबंवर, 2018 को कर्नाटक उच्च न्यायालय के न्यायाधीश के रूप में शपथ ली। 3 जुलाई, 2022 को कर्नाटक उच्च न्यायालय के कार्यवाहक मुख्य न्यायाधीश के रूप में कार्यभार संभाला और 14 अक्टूबर, 2022 तक इस पद पर कार्यरत रहे। उन्होंने बैंगलोर मध्यस्थता केंद्र, मध्यस्थता एवं सुलह केंद्र के अध्यक्ष और कर्नाटक न्यायिक अकादमी के अध्यक्ष के रूप में कार्य किया।
19 जुलाई, 2023 को तेलंगाना राज्य के लिए उच्च न्यायालय के मुख्य न्यायाधीश के रूप में नियुक्त किया गया। उन्होंने 23 जुलाई 2023 को पद की शपथ ली। इसके बाद वह बॉम्बे उच्च न्यायालय के मुख्य न्यायाधीश के रूप में स्थानांतरित हुए और 21 जनवरी 2025 की दोपहर को कार्यभार ग्रहण किया। 29 अगस्त, 2025 को वह सुप्रीम कोर्ट के जज के रूप में नियुक्त हुए। वह 12 अप्रैल, 2029 को अपने पद से रिटायर होंगे।
जस्टिस विपुल मनुभाई पंचोली (Justice Vipul Manubhai Pancholi)
जस्टिस विपुल मनुभाई पंचोली का जन्म 28 मई, 1968 को अहमदाबाद में हुआ। जस्टिस पंचोली ने सेंट जेवियर्स कॉलेज, अहमदाबाद, गुजरात विश्वविद्यालय से विज्ञान स्नातक (इलेक्ट्रॉनिक्स) और सर एल.ए. शाह लॉ कॉलेज, अहमदाबाद, गुजरात विश्वविद्यालय से वाणिज्यिक समूह में विधि स्नातकोत्तर की उपाधि प्राप्त की।
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पंचोली ने सितंबर 1991 में बार में प्रवेश किया और गुजरात उच्च न्यायालय में अधिवक्ता के रूप में प्रैक्टिस शुरू की। गुजरात उच्च न्यायालय में सहायक सरकारी वकील और अतिरिक्त लोक अभियोजक नियुक्त हुए और मार्च 2006 तक सात वर्षों तक इस पद पर कार्यरत रहे। दिसंबर 1993 से इक्कीस वर्षों तक सर एल.ए. शाह लॉ कॉलेज, अहमदाबाद में विजिटिंग फैकल्टी के रूप में कार्य किया।
कानून की विभिन्न शाखाओं जैसे आपराधिक कानून, सिविल कानून, संपत्ति कानून, सेवा कानून, पारिवारिक कानून, बैंकिंग कानून और विभिन्न अन्य कानूनों में महत्वपूर्ण मामलों का संचालन किया। 1 अक्टूबर 2014 को गुजरात उच्च न्यायालय के अतिरिक्त न्यायाधीश के रूप में पदोन्नत हुए तथा 10 जून, 2016 को स्थायी न्यायाधीश के रूप में नियुक्त हुए। 24 जुलाई, 2023 को पटना हाई कोर्ट के न्यायाधीश के रूप में शपथ ली और 21 जुलाई , 2025 को पटना उच्च न्यायालय के मुख्य न्यायाधीश बने। 29 अगस्त, 2025 को वह सुप्रीम कोर्ट के जज बने। 27 मई, 2033 को वह अपने पद से रिटायर होंगे।
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