Former CJI Sanjiv Khanna: पूर्व सीजेआई संजीव खन्ना ने शनिवार को कहा कि वित्तीय मामलों में कार्रवाई करने में विफलता के हर मामले को सफेदपोश अपराध नहीं कहा जा सकता। उन्होंने तेरापंथ प्रोफेशनल फोरम द्वारा आयोजित ‘सफेदपोश अपराध पर राष्ट्रीय सम्मेलन’ में यह बात कही।

जस्टिस खन्ना ने कहा कि सफेदपोश अपराध कोई नई बात नहीं है और इसे हम हर दिन सुनते हैं, लेकिन हममें से बहुत कम लोग वास्तव में समझते हैं कि सफेदपोश अपराध क्या होता है।

पूर्व सीजेआई ने कहा कि यह अभिव्यक्ति 1939 में एक समाजशास्त्री द्वारा गढ़ी गई थी, जिन्होंने इसे पद और जिम्मेदारी वाले व्यक्तियों द्वारा किया गया अहिंसक अपराध बताया था।

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खन्ना ने कहा कि ये अपराध विश्वास, अधिकार या सम्मान के पदों पर बैठे लोगों द्वारा, आमतौर पर व्यक्तिगत या संगठनात्मक लाभ के लिए किए जाते हैं और ये आमतौर पर अहिंसक और आर्थिक प्रकृति के होते हैं। हां, सफेदपोश अपराध भी हिंसा का कारण बन सकते हैं और फिर इन्हें लालपोश अपराध की श्रेणी में रखा जाता है।

उन्होंने कहा कि अब, यह कहना गलत होगा कि कार्रवाई में विफलता का हर वह कृत्य, जिसके वित्तीय परिणाम होते हैं, सफेदपोश अपराध है। मेरे हिसाब से, वित्तीय या मौद्रिक गलतियों को तीन श्रेणियों में विभाजित किया जा सकता है।’ उन्होंने कहा कि पहली श्रेणी में लालच या लाभ से प्रेरित अपराध शामिल हैं, जैसे धोखाधड़ी, गबन, साइबर अपराध, धनशोधन, जानबूझकर कर चोरी, रिश्वतखोरी और भ्रष्टाचार।

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