शिरोमणि अकाली दल के नेता और पंजाब के पूर्व मंत्री बिक्रम सिंह मजीठिया की याचिका पर सुप्रीम कोर्ट ने नोटिस जारी किया है। मजीठिया की याचिका में पंजाब एवं हरियाणा हाई कोर्ट के आदेश को चुनौती दी गई थी। हाई कोर्ट ने बिक्रम सिंह मजीठिया को कथित आय से ज्यादा संपत्ति से जुड़े भ्रष्टाचार के मामले में उन्हें नियमित जमानत देने से इनकार कर दिया था।

लाइव लॉ की रिपोर्ट के मुताबिक, जस्टिस विक्रम नाथ और जस्टिस एनवी अंजारिया की बेंच ने पंजाब एंड हरियाणा हाईकोर्ट के आदेश के खिलाफ उनकी विशेष अनुमति याचिका (SLP) पर नोटिस जारी किया, जिसने भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम, 1988 की धारा 13(1)(b) के सपठित धारा 13(2) के तहत पंजाब विजिलेंस ब्यूरो द्वारा दर्ज एफआईआर में मजीठिया की जमानत याचिका खारिज कर दी थी। कोर्ट ने मजीठिया की अंतरिम जमानत की प्रार्थना भी खारिज कर दी।

मजीठिया की तरफ से सीनियर वकील डॉ. एस. मुरलीधर ने कहा कि पंजाब सरकार ने उनके खिलाफ वही पुराने पैसों के लेन-देन दिखाकर एक नया भ्रष्टाचार का केस दर्ज कर दिया। उन्होंने बताया कि इन्हीं लेन-देन के आधार पर पहले एनडीपीएस का मामला बनाया गया था, जिसमें मजीठिया को पहले ही जमानत मिल चुकी है। इसलिए यह आपराधिक कानून का गलत इस्तेमाल है।

उन्होंने कहा कि उन्हें पहले एनडीपीएस मामले में जमानत मिल गई और जमानत आदेश को राज्य की चुनौती विफल हो गई, क्योंकि सुप्रीम कोर्ट ने विशेष अनुमति याचिका खारिज कर दी। उन्होंने बताया कि उन कार्यवाही के दौरान, राज्य ने सुप्रीम कोर्ट के समक्ष पूरक हलफनामा दायर किया, जिसमें दावा किया गया कि उसने कुछ वित्तीय लेन-देन से संबंधित सबूतों का पता लगाया है, जो कथित तौर पर NDPS मामले से जुड़े हैं।

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सीनियर एडवोकेट डॉ. एस मुरलीधर कहा कि ट्रायल कोर्ट कहता है कि चार्जशीट अभी दायर नहीं हुई, इसलिए मैं जमानत नहीं दे रहा हूं। ट्रायल कोर्ट के यह कहने के चार दिन बाद चार्जशीट दायर की जाती है। बाकी सभी के खिलाफ जांच पूरी हो गई है। यह बहुत अनुचित है। जब बेंच चार सप्ताह के भीतर जवाब देने के लिए नोटिस जारी करने पर सहमत हुई तो मुरलीधर ने अंतरिम जमानत के लिए गुहार लगाई। जस्टिस नाथ ने कहा, “नहीं, नहीं।” मामले पर अगली सुनवाई 19 जनवरी को होगी।

यह एफआईआर मजीठिया के खिलाफ पहले के एनडीपीएस मामले की जांच कर रही विशेष जांच टीम (एसआईटी) की 7 जून, 2025 की रिपोर्ट के आधार पर दर्ज की गई थी। एसआईटी ने आरोप लगाया था कि मजीठिया और उनकी पत्नी ने घरेलू और विदेशी संस्थाओं के नेटवर्क के माध्यम से अपनी ज्ञात आय के स्रोतों से कहीं अधिक 540 करोड़ रुपये की संपत्ति जमा कर ली थी। ये आरोप उस अवधि से संबंधित हैं जब मजीठिया 2007 से 2017 के बीच पंजाब में विधानसभा सदस्य और बाद में कैबिनेट मंत्री के रूप में कार्यरत थे।

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