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मंच की नई रंगभाषा

हिंदी में पहले और हाल तक नाट्य लेखन पारंपरिक तरीके से होता था- यानी नायक, प्रतिनायक, खलनायक, दोस्त-दुश्मन आदि।

अच्छे नाटकों की कमी नहीं

मोहन राकेश के पहले नाटक ‘आषाढ़ का एक दिन’ का मंचन पहली बार 1962 में राष्ट्रीय नाट्य विद्यालय में ही…

जन्मशती: एक थीं कानन देवी

बेपनाह शोहरत और दौलत कमाने वाली कानन देवी कभी अपने अतीत को नहीं भूल पार्इं। समाज के वंचित तबके के…