प्रेमानंद महाराज के अनुसार, भगवान को भोग बनाते समय शुद्धता और एकाग्रता का ध्यान रखना चाहिए। यदि भोग में मक्खी, मच्छर या बाल गिर जाए, तो उसे दोबारा बनाना चाहिए क्योंकि वह अशुद्ध हो जाता है। भोग बनाते समय बाल ढकने और बात करते समय मुंह ढकने की सलाह दी गई है। शुद्ध और श्रद्धा से बनाया गया भोग भगवान को प्रसन्न करता है और सुख-समृद्धि लाता है।