वेंकट कृष्णा बी
Yo-Yo Test and Dexa Scan Explained: साल 2022 में टीम इंडिया (Team India) चोट से परेशान रही। केएल राहुल (KL Rahul), जसप्रीत बुमराह (Jasprit Bumrah), रवींद्र जडेजा (Ravindra Jadeja) और मोहम्मद शमी (Mohammed Shami) समेत काफी खिलाड़ी चोटिल हुए। यही कारण है कि भारतीय क्रिकेट कंट्रोल बोर्ड (BCCI) ने खिलाड़ियों के फिटनेस से समझौता नहीं करना चाहता। इसी के मद्देनजर टीम इंडिया (Team India) की समीक्षा बैठक में फैसला हुआ कि चयन से पहले खिलाड़ियों का यो-यो टेस्ट (Yo-Yo test) और डेक्सा स्कैन (Dexa Scan) होगा।
यो-यो टेस्ट (Yo-Yo test) भारतीय टीम के लिए नया नहीं है। इसे पहली बार विराट कोहली-रवि शास्त्री के समय लाया गया था। अंबाती रायडू, सुरेश रैना, पृथ्वी शॉ, वरुण चक्रवर्ती, संजू सैमसन और मोहम्मद शमी जैसे खिलाड़ी यो-यो टेस्ट को पास करने में विफल रहे थे। इस टेस्ट का असर देखने को मिला। मैदान पर खिलाड़ी काफी चुस्त और फुर्तिले दिखने लगे। कोरोना (COVID) आने के बाद खिलाड़ियों के फिटनेस मूल्यांकन को लेकर नियमों में बदलाव हुआ। फिटनेस टेस्ट पास करने के लिए खिलाड़ियों को 7.30 मिनट में 2 किलोमीटर दौड़ना होता था।
यो-यो टेस्ट क्या है (What Yo-Yo Test)
पर्याप्त आराम देने के बाद भी प्रमुख खिलाड़ियों के चोटिल होने के बाद फिर से यो-यो टेस्ट कराने लगा है। खिलाड़ियों को यो-यो टेस्ट पास करने के लिए 17 के स्कोर को पार करना होता था। यो-यो टेस्ट में खिलाड़ियों को एक सेट से दूसरे सेट के बीच दौड़ लगानी होती। इसके बीच की दूरी 20 मीटर होती है। एक बार दौड़ पूरा होने पर एक शटल पूरा होता है। टेस्ट की शुरुआत 5वें लेवल से होता है और 23वें लेवल तक चलता है। हर शटल के दौड़ लगाने का समय कम होता है पर दूरी उतनी ही होती है।
केवल यो-यो टेस्ट पर निर्भर नहीं रह सकते
साल 2011 में वर्ल्ड कप जीतने वाली टीम और 2013 में चैंपियंस ट्रॉफी जीतने वाली टीम का हिस्सा रहे रामजी श्रीनिवासन ने कहा, “यो-यो टेस्ट में बल्लेबाजों का स्कोर 18 और गेंदबाजों का स्कोर 19 होना चाहिए। चीजें काफी बदली हैं और आपको ट्रेंड के हिसाब से चलना होता है। आप केवल यो-यो टेस्ट पर निर्भर नहीं रह सकते। स्किल बेस्ट प्रोग्राम की भी आपको आवश्यकता होगी।”
डेक्सा स्कैन टेस्ट (Dexa Scan Test)
रामजी के अनुसार, उन्होंने 2011 में बीसीसीआई और एनसीए को डेक्सा स्कैन टेस्ट (Dexa Scan Test) की सिफारिश की थी। इसका कारण मैचों में बढ़ोतरी थी। डेक्सा टेस्ट से ट्रेनर्स को खिलाड़ियों के शरीर में कितना फैट है, पानी की मात्रा और हड्डियों की ताकत जैसी चीजों के बारे में पता चलेगा। फुटबॉल खिलाड़ियों के शरीर में 5-8 प्रतिशत और क्रिकेटर्स के बॉडी में 10 प्रतिशत तक फैट होना चाहिए। जितना कम फैट होगा उतनी हड्डियां मजबूत होंगी। इससे पीठ और घुटने की चोट की समस्या नहीं होगी।