भारतीय कुश्ती महासंघ (WFI) के प्रमुख बृजभूषण शरण सिंह के खिलाफ नई दिल्ली के जंतर मंतर में धरना दे रहे पहलवानों ने भविष्य की रणनीति तय करने के लिए दो समितियों का गठन किया। सुप्रीम कोर्ट की ओर उनकी याचिका पर कार्यवाही बंद करने के बाद पहलवानों ने यह कदम उठाया। बृजभूषण पर महिला पहलवानों का यौन उत्पीड़न का आरोप लगाया है। बजरंग, विनेश और साक्षी मलिक सहित देश के अन्य शीर्ष पहलवानों ने गुरुवार को सुप्रीम कोर्ट के फैसले के बाद धरने को जारी रखने की बात कही।

पहलवानों दोहराया कि वे बृजभूषण की गिरफ्तारी तक नई दिल्ली में जंतर मंतर पर बने रहेंगे। पहलवानों ने कुछ दिनों के लिए जनवरी में विरोध किया था। खेल मंत्रालय द्वारा एक समिति बनाने के बाद समाप्त हुआ। यह समिति साक्ष्य एकत्र करने और आरोपों पर एक रिपोर्ट दर्ज करेगी। पहलवानों ने अप्रैल में फिर धरना शुरू किया। उन्होंने कहा समिति पर उन्हें भरोसा उठ गया है, क्योंकि एक महीने की डेडलाइन बीत जाने के बाद भी रिपोर्ट सार्वजनिक नहीं की गई।

आइए जानते हैं 18 जनवरी से सुप्रीम कोर्ट में केस बंद होने तक पहलवानों के धरने में अबतक क्या-क्या हुआ

18 जनवरी: जंतर-मंतर पर पहलवानों ने धरना देना शुरू किया। उन्होंने रेसलिंग फेडरेशन ऑफ इंडिया के अध्यक्ष बृजभूषण शरण सिंह पर महिला पहलवानों का यौन उत्पीड़न का आरोप लगाया।

जनवरी 20: खेल मंत्री अनुराग ठाकुर ने आरोपों की जांच के लिए निगरानी समिति के गठन की घोषणा की। दिग्गज मुक्केबाज मैरी कॉम को समिति के प्रमुख बनाया गया।

10 अप्रैल: प्रदर्शनकारी पहलवानों का कहना था कि एक महीने की समय सीमा बीत जाने के बावजूद रिपोर्ट सार्वजनिक नहीं किए जाने के बाद उनका निगरानी समिति में विश्वास उठ गया है।

21 अप्रैल: कनॉट प्लेस पुलिस स्टेशन में डब्ल्यूएफआई अध्यक्ष के खिलाफ यौन उत्पीड़न और आपराधिक धमकी की एक नाबालिग सहित सात महिला पहलवानों ने अलग से शिकायत की।

23 अप्रैल: ओलंपिक और विश्व चैंपियनशिप के पदक विजेताओं सहित पहलवानों ने बृजभूषण शरण की गिरफ्तारी की मांग को लेकर जंतर-मंतर पर एक बार फिर विरोध प्रदर्शन शुरू किया।

25 अप्रैल: डब्ल्यूएफआई अध्यक्ष के खिलाफ यौन उत्पीड़न के आरोपों को “गंभीर” करार देते हुए सुप्रीम कोर्ट ने बृजभूषण के खिलाफ प्राथमिकी दर्ज करने की मांग करने वाली सात पहलवानों की याचिका पर दिल्ली पुलिस को नोटिस जारी किया।

28 अप्रैल: पुलिस ने दो प्राथमिकी दर्ज कीं, एक POCSO अधिनियम के तहत और दूसरी प्राथमिकी वयस्क शिकायतकर्ताओं की शिकायतों की जांच के लिए।

4 मई: सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि अगर पहलवानों को लगता है कि आगे निर्देशों की जरूरत है तो वे मजिस्ट्रेट कोर्ट और दिल्ली हाई कोर्ट जाने के लिए स्वतंत्र हैं।