अर्जुन रणतुंगा

विश्व कप में निश्चित तौर पर भारत का पलड़ा भारी रहेगा, लेकिन अपने ही प्रशंसकों के सामने खेलने का उसे सबसे बड़ा नुकसान भी होगा। भारत में दर्शक भारतीय टीम पर काफी दबाव डालेंगे और उन्हें विपक्षी टीम से अलग हटकर इससे पार पाना होगा। भारत के पास बहुत अच्छी टीम है। यदि आप घरेलू मैदान पर टूर्नामेंट जीतना चाहते हैं तो आपके पास एक या दो अच्छे ऑलराउंडर और दो बहुत अच्छे स्पिनर होने चाहिए।

हालांकि, ईमानदारी से कहूं तो मुझे नहीं पता कि भारत के पास दो उचित स्पिनर हैं या नहीं। उनके पास अच्छे ऑलराउंडर हैं, जो स्पिनर भी हैं, लेकिन मुझे इस टीम में कोई उचित स्पिनर नजर नहीं आता। भारतीय पिचों पर उन्हें स्पिनर्स के एक मजबूत समूह की जरुरत है। यदि नहीं, तो यह भारत के लिए नुकसानदेह होगा। बेशक, कुलदीप यादव हैं, वह मैच विजेता हो सकते हैं जैसा कि उन्होंने एशिया कप में पाकिस्तान और श्रीलंका के खिलाफ दिखाया था।

मैंने जो देखा, उसके अनुसार वह काफी चतुर हैं। खासकर जब विविधताओं का इस्तेमाल करने की बात आती है। लेकिन आपको उसका समर्थन करने के लिए एक और स्पिनर की जरुरत है। जो नियंत्रित करे और हमला कर सके, क्योंकि टीमें उसे निशाना बनाने और अस्थिर करने की कोशिश करेंगी।

खासकर जब आप इंग्लैंड, ऑस्ट्रेलिया, दक्षिण अफ्रीका, न्यूजीलैंड के खिलाफ खेलते हैं, तो कभी-कभी आपको टीम के संतुलन को प्रभावित किए बिना 3 स्पिनर्स को खिलाना पड़ सकता है। भारत के पास ऐसा कोई बल्लेबाज नहीं है जो गेंदबाजी कर सके। गेंदबाजी करने वाले रविंद्र जडेजा सातवें नंबर पर बल्लेबाजी करते हैं।

आप पाकिस्तान और इंग्लैंड को लीजिए। उनके पास उचित स्पिनर हैं। इसलिए मुझे यकीन है कि भारत विश्व कप से पहले इस पर विचार करेगा। वे रविंद्र जडेजा और अक्षर पटेल जैसे हरफनमौला खिलाड़ियों पर अधिक ध्यान दे रहे हैं, लेकिन मुझे व्यक्तिगत रूप से लगता है कि उन्हें अंतिम एकादश में रविचंद्रन अश्विन जैसा कोई खिलाड़ी टीम में रखना चाहिए।

मैच विजेता खिलाड़ी हैं रविचंद्रन अश्विन

जब वह (अश्विन) खेलता है तो वह आपके लिए मैच विजेता हो सकता है। वह थोड़े उम्रदराज हो सकते हैं, वह मैदान पर थोड़ा स्लो हो सकते हैं, लेकिन आपको उपमहाद्वीप में ऐसे लोगों की जरुरत है जो विकेट रोक सके और ले सके। जो टीमें अधिकांश मैच जीतना चाहती हैं। वे विकेट लेकर ऐसा करती हैं। इसके लिए आपके पास एक संतुलित हरफनमौला आक्रमण की आवश्यकता होती है।

विश्व कप में ऑफ स्पिनर के बिना अधूरा है आक्रमण

अगर अनिल कुंबले जैसा कोई व्यक्ति उस टीम में है तो मैं उन्हें पक्का पसंदीदा के रूप में टैग करूंगा, लेकिन उन्हें अपने स्पिनर्स से निपटने में समस्या है। मुझे यकीन है कि वे इसे देख रहे होंगे। उनके पास एक अलग विचार होना चाहिए, लेकिन मेरे हिसाब से अश्विन को खेलना चाहिए क्योंकि ऑफ स्पिनर के बिना आक्रमण अधूरा लगता है। उनके पास रोहित शर्मा, विराट कोहली, केएल राहुल के साथ एक बहुत मजबूत बल्लेबाजी क्रम है।

मेरी टीम में मैं अरविंदा (अरविंद डिसिल्वा) को नंबर 4 पर बल्लेबाजी के लिए भेजता था और बीच के ओवर्स में विकेट लेता था। मैं इस भारतीय टीम में ऐसा किसी को भी नहीं देखता। पहले आपके पास वीरेंद्र सहवाग थे जो बहुत अच्छे ऑफ स्पिनर थे। उस टीम में सचिन तेंदुलकर थे। शीर्ष क्रम के बल्लेबाज यदि गेंदबाजी नहीं कर सकते तो बड़े टूर्नामेंट्स में बड़ा नुकसान हो सकता है।

गेंदबाजी करने वाले बल्लेबाज और बल्लेबाजी करने वाले गेंदबाज चाहिए

वहां आपको टीम के संतुलन पर नजर रखने की जरुरत होती है। हां, नंबर 7 पर बल्लेबाजी करने के लिए रविंद्र जडेजा एक अच्छे ऑलराउंडर के रूप में मौजूद हैं, लेकिन मेरी राय में आप उन्हें शीर्ष क्रम के बल्लेबाज के रूप में नहीं मान सकते। यह उपमहाद्वीप में होने वाला टूर्नामेंट है और आपको ऐसे बल्लेबाजों की जरुरत है जो गेंदबाजी कर पाएं और ऐसे गेंदबाज चाहिए जो बल्लेबाजी कर पाएं। यह ऐसी चीज है जो भारतीय टीम में गायब है।

भारत अच्छा प्रदर्शन करेगा, इसका मुख्य कारण उनके पास मौजूद तेज गेंदबाजी आक्रमण है। मोहम्मद शमी जैसे किसी खिलाड़ी का एशिया कप से बाहर रहना दर्शाता है कि उनमें कितनी गुणवत्ता है। तो कुल मिलाकर मुझे लगता है कि भारत के पास सर्वश्रेष्ठ तेज गेंदबाजी आक्रमणों में से एक है। विश्व कप जीतने के लिए यह सब योजना बनाने पर निर्भर करता है।

1996 विश्व कप के लिए 3 साल पहले बनाई थी योजना

1996 विश्व कप को ही लीजिए। हम लगभग 2-3 वर्षों से विश्व कप की योजना बना रहे थे। हम एक टीम बनाते हैं। हमने पहचाना कि हमें किसके खिलाफ खेलना चाहिए, खासकर एशियाई उपमहाद्वीप में। और हमने जिन खिलाड़ियों की पहचान की, हमने उन्हें चुना जो हमें 100 प्रतिशत देंगे। यदि आप अरविंद डिसिल्वा के अलावा 1996 की टीम को लें, तो बाकी सभी आगे आ रहे थे और प्रदर्शन करने के लिए भूखे थे।

यहां तक कि सनथ जयसूर्या, मुथैया मुरलीधरन, चामिंडा वास सभी अपेक्षाकृत नए थे। लेकिन वे देश के लिए इतने प्रतिबद्ध थे, इसलिए वे अपनी व्यक्तिगत चीजों को देखने के बजाय योगदान देने और मैच जीतने के लिए अधिक उत्सुक थे। साल 1996 के बाद 1999 में भी हमारी टीम बहुत अच्छी थी, लेकिन हमारा विश्व कप बहुत खराब रहा।

जब सनथ जयसूर्या ने पदभार संभाला था तब तक हमारे पास फिर से एक उचित टीम थी, क्योंकि उस समय लगभग 5 ऐसे लोग थे जो मेरी जगह ले सकते थे, इसलिए कोई शून्यता नहीं थी। यह सब एक टीम बनाने और उसे अगले व्यक्ति को देने के बारे में है। भले ही आप विश्व कप जीतें, या इसे दूसरे को सौंप दें।

बांग्लादेश और अफगानिस्तान भी अच्छा प्रदर्शन करने की क्षमता

भारत में विश्व कप एक पूरी तरह से अलग कहानी है, क्योंकि आपको एक आयोजन स्थल से दूसरे आयोजन स्थल तक विभिन्न परिस्थितियों का सामना करना पड़ेगा। ऐसे में उपमहाद्वीप की सभी टीमों के पास हर मैच में मौका है। यहां तक कि बांग्लादेश और अफगानिस्तान में भी अच्छा प्रदर्शन करने की क्षमता है।

मेरा दिल कहता है कि विश्व कप 2023 में श्रीलंका को सेमीफाइनल में जगह बनानी है। इस टीम में जो प्रतिभा है, अगर हम सही खिलाड़ियों को चुनें और उनका समर्थन करें तो हम कुछ शीर्ष देशों को परेशान कर सकते हैं। फिर पाकिस्तान, बांग्लादेश, अफगानिस्तान हैं। वे सबसे अप्रत्याशित टीमें हैं। वे किसी भी दिन किसी को भी परेशान कर सकती हैं, लेकिन असंगत हैं।